Madras High Court Verdict: जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस वी. लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने यह फैसला एक याचिकाकर्ता के पक्ष में सुनाया। खंडपीठ ने कहा कि ‘चुने हुए परिवार’ की अवधारणा अब न्यायशास्त्र में स्थापित और स्वीकृत है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों के विवाह को मौलिक अधिकार नहीं माना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे परिवार नहीं बना सकते।
High Court’s Decision for Homosexuals: मद्रास हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि समलैंगिक (LGBTQ) जोड़े भले ही देश में विवाह न कर सकें, लेकिन वे परिवार बना सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परिवार बनाने के लिए विवाह एकमात्र तरीका नहीं है। जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस वी. लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने यह फैसला एक याचिकाकर्ता के पक्ष में सुनाया।
खंडपीठ ने कहा कि ‘चुने हुए परिवार’ की अवधारणा अब न्यायशास्त्र में स्थापित और स्वीकृत है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों के विवाह को मौलिक अधिकार नहीं माना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे परिवार नहीं बना सकते।
पुलिस के रवैये की कड़ी निंदा
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसके साथी को उसके परिवार ने जबरन अलग कर लिया और पुलिस से मदद मांगने पर कोई सहायता नहीं मिली। इसके बजाय, पुलिस ने याचिकाकर्ता के साथी के परिवार का पक्ष लिया। खंडपीठ ने पुलिस के इस रवैये की कड़ी निंदा की और कहा कि LGBTQ समुदाय के सदस्यों की शिकायतों पर पुलिस का कर्तव्य है कि वह त्वरित और उचित कार्रवाई करे।