Winter Parliament Session : आज शीतकालीन सत्र का 11वां दिन है। इसी दौरान हम जानना चाहते हैं कि संसद चलाने में कितना खर्च आता है और 1 घंटे की कार्यवाही की लागत कितनी होती है। शीतकालीन सत्र 2025 अभी अपने 11वें दिन में है और यह 19 दिसंबर को खत्म होने वाला है। इस बीच एक सवाल उठ रहा है कि आखिर संसद चलाने में कितना खर्च होता है।
संसद चलाने में कितना खर्च आता है?
जिस संसद में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि देश के मुद्दों बर बहस करते हैं, क्या आपने कभी सोचा उस संसद को चलाने में खर्च कितना आता है? संसद चलाने की प्रति घंटे की लागत बहुत ज्यादा है। संसद को चलाने पर हर मिनट लगभग दो लाख पच्चीस हजार रुपए खर्च होते हैं। इसका मतलब है कि एक घंटे का खर्च करीब डेढ़ करोड़ रुपए है। यह आंकड़ा मुख्य रूप से लोकसभा के लिए है। राज्यसभा में आमतौर पर कम समय की बैठकें होती हैं, इसलिए वहां प्रति घंटे का खर्च करीब 75 लाख रुपए होता है।
संसद में इन चीजों की लागत पर होता है खर्च
संसद के खर्च में कई चीजें शामिल हैं। संसद का खर्च सिर्फ सांसदों के बोलने तक ही सीमित नहीं है। इसमें सांसदों का वेतन और दैनिक भत्ते भी शामिल हैं। साथ ही सांसदों की यात्रा और रहने का खर्च भी होता है। इसके अलावा, संसद को चलाने में हजारों कर्मचारी काम करते हैं, जैसे सचिवालय कर्मचारी, अनुवादक, रिपोर्टर, मार्शल और तकनीकी कर्मचारी। सुरक्षा पर भी बहुत पैसा खर्च होता है, जिसमें संसद सुरक्षा सेवा, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय बल शामिल हैं। बिजली, पानी, एयर कंडीशनिंग, सफाई, रखरखाव और स्टेशनरी जैसे बुनियादी काम भी खर्च का हिस्सा हैं। इसके साथ ही, संसद के प्रसारण और तकनीकी खर्च भी बहुत जरूरी होते हैं।
संसद के एक दिन का खर्च 9 करोड़ रुपए है
जब संसद पूरे दिन काम करती है तो हर दिन का खर्च करीब 9 करोड़ रुपए आता है। यह आंकड़ा लगभग 6 घंटे की बैठक मान कर निकाला गया है। शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक चलता है और इसमें कुल 15 बैठकें होती हैं। अनुमान है कि इस पूरे सत्र में कुल खर्च करीब 135 करोड़ रुपए हो सकता है। अभी तक 11 दिनों में, अधिकांश दिनों की बैठकों को देखते हुए, संसद लगभग 99 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।
संसद स्थगित होने पर होता है देश का नुकसान
अब सोचिये, संसद के राज्यसभा या लोकसभा में कार्रवाई के दौरान हंगामा होता है, जिसकारण संसद भंग कर दी जाती है या कुछ घंटों के लिए स्थगित कर दी जाती है तो देश का कितना नुकसान हो जाता है। जब संसद में बार-बार व्यवधान और हंगामे क्यों होते हैं, क्योंकि इससे पैसा और समय दोनों बर्बाद होता है। यह पैसा टैक्स देने वालों का ही होता है और जब काम नहीं हो पाता, तो देश के विकास में भी देरी होती है।
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