संसद के विशेष सत्र में पेश होने वाले ‘अधिवक्ता संशोधन बिल’ के बारे में सब जानें

Advocates Amendment Bill 2023

Advocates Amendment Bill 2023: केंद्र सरकार 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुला रही है. जिसमे 4 बिल पेश किए जानें हैं. जिनमे से एक है ‘अधिवक्ता संशोधन बिल’ जिसकी हम चर्चा करने वाले हैं.

अधिवक्ता संशोधन बिल क्या है: मोदी सरकार 18 से 22 सितंबर के बीच पुराने और नए संसद भवन में संसद का विशेष सत्र (Special Session Of Parliament) बुला रही है. अचानक से विशेष सत्र बुलाए जाने के पीछे केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जा रहे 4 बिल हैं.

  1. अधिवक्ता (संशोधन) बिल
  2. रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल
  3. दी पोस्ट ऑफिस बिल
  4. मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल

इन चार बिलों में से अपन यहां बात करेंगे अधिवक्ता संसोशन बिल की, इसके आलावा अन्य 3 बिल के बारे में जानने के लिए आप ऊपर क्लिक कर सकते हैं.

क्या है अधिवक्ता संशोधन बिल

What Is Advocates Amendment Bill 2023: अधिवक्ता संसोधन बिल 1 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया था. विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बिल के बारे में जानकारी दी थी.

विधि एवं न्याय राज्य मंत्री के अनुसार- अदालतों में ऐसे लोग होते हैं जो जजों, वकीलों और मुवक्किलों को प्रभावित करते हैं. ऐसे लोगों को कानून की भाषा में टाउट्स (Touts) कहते हैं. साफ़ शब्दों में कहें तो ‘दलाल’ इनसे इन तीनों लोगों को बचकर रहना चाहिए। दलालों का सबसे ज्यादा शिकार मुवक्किल होते हैं.

ये दलाल वकीलों, जजों और मुवक्किलों के बीच काम करके पैसा छापते हैं. अधिवक्ता संशोधन बिल के पास होने के बाद हाईकोर्ट से लेकर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और कलेक्टर रैंक के अधिकारी ऐसे दलालों की लिस्ट बना सकते हैं और छाप सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति पर दलाली का शक है, तो उसकी भी जांच के आदेश दिए जा सकते हैं. आरोपी को आपका पक्ष रखने का मौका भी दिया जाएगा। लेकिन अगर दोष सिद्ध हुआ तो 3 साल की जेल और 500 रुपए का अर्थदंड या दोनों भरना पड़ेगा।

इस बिल के पेश होने के बाद दलालों जो किसी भी रूप में हों (चाहे खुद वकील हों) उनकी लिस्ट बनेगी और उन्हें कारण बताओ नोटिश दिया जाएगा कि ‘आपको टाउट्स क्यों नहीं माना जाए?) इससे कोर्ट में होने वाली दलाली और ठगी को कम किया जा सकता है. कोर्ट में ज्यादातर टाउट्स का प्रोफेशन वकील ही होता है जो अपने मुवक्किलों को केस से बाहर निकालने की जगह उन्हें जबरजस्ती लीगल प्रोसीजर में फंसा देते हैं.

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