मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल के बारे में सब जानें

Election Commision Bill 2023

Chief Election Commissioner and Other Commissioners (Appointment, Conditions of Service and Tenure) Bill: केंद्र सरकार 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुला रही है. इस सत्र में 4 बिल पेश होने हैं जिसमे सबसे जरूरी और सबसे विवादित बिल है ‘मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल’

मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल: केंद्र सरकार 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुला रही है. Special Session Of Parliament बुलाने के पीछे का कारण हैं केंद्र सरकार के 4 नए बिल. जो जिस प्रकार हैं.

  1. अधिवक्ता (संशोधन) बिल
  2. रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल
  3. दी पोस्ट ऑफिस बिल
  4. मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल

इन चार बिल में से हम मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल शार्ट में कहें तो CEC Bill की चर्चा कर रहे हैं. CEC Bill इस समय देश का सबसे विवादित मुद्दा बन गया है. केंद्र सरकार पर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इस बिल को लाकर सरकार चुनाव आयुक्त और चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) की शक्तियों को कम कर रही है.

क्या है मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल

What Is CEC Bill 2023: मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल को आप इलेक्शन कमीशन बिल (Election Commision Bill 2023) कह सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार यह पेश पास कराकर चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों को कम करना चाहती है. जिससे उनके अधिकारों भी खत्म किया जा रहा है. इस बिल की सच्चाई क्या है? आइये जानते हैं.

  • CEC Bill पास हो गया तो चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों का तरीका बदल जाएगा। एक पैनल बनेगा जिसमे प्रधान मंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के कुछ नेता होंगे। यानी पैनल में एक पीएम, एक मंत्री और एक विपक्ष का नेता होगा।
  • वर्तमान में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं और नामों का अनुमोदन पीएम करते हैं. इसी साल मार्च में 5 जजों की बेंच ने केंद्र को सुझाव दिया था कि इस पैनल में CJI को शामिल किया जाए. ये सुझाव 2015 में दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते वक़्त दिया गया था. लेकिन केंद्र सरकार इस पैनल में CJI को नहीं शामिल करना चाहती। विपक्ष इसी बात का मुद्दा बना रहा है.
  • बिल पास होने के बाद एक सर्च कमेटी बनेगी। इसको कैबिनट सेक्रेटी लीड करेंगे, इसमें दो और सेक्रेटरी होंगे। ये तीन लोग प्रत्याशियों को खोजकर नियुक्ति वाली कमेटी को भेजेंगे।
  • इस बिल के पास होने के बाद चुनाव आयुक्त का पद कैबिनेट सचिव के बराबर हो जाएगा जो अबतक सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होता था. साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त सहित दो चुनाव आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों को बदला जाएगा।

विपक्ष को CEC Bill से दिक्क्त क्या है?

  • इस बिल के पास होने के बाद कोई बड़ा फर्क तो नहीं पड़ेगा। देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट के जज और कैबिनेट सेक्रेटरी की सैलरी बराबर ही होती है. लेकिन SC जजों को रिटायरमेंट के बाद भी खासी सरकारी सुविधाएं मिलती हैं. जैसे ताउम्र ड्राइवर, हॉउस हेल्पर, गाड़ी, घर, फ्री बिजली-पानी, स्टेशनरी-फोन आदि.
  • इस बिल के पास होने के बाद चुनाव आयुक्त ब्यूरोक्रेसी के कैटेगरी में गिने जाने लगेंगे ऐसे में इनकी पोस्ट राज्य मंत्री से नीचे हो सकती है. विपक्ष का यही कहना है कि अगर इस बिल के बाद चुनाव के दौरान कोई केंद्रीय मंत्री नियम तोड़ता है तो चुनाव आयुक्त उसपर एक्शन कैसे लेंगे?
  • फ़िलहाल चुनाव आयुक्त का आदेश यानी SC के जज के आदेश के बराबर माना जाता है. लेकिन कैबिनेट सचिव की रैंक में जानें के बाद उनके आदेश को कौन मिनिस्टर मान लेगा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *