संसद के विशेष सत्र में पेश होने वाले ‘Registration of Press And Periodical Bill’ के बारे में सब जानें

Registration Of Press and Periodical Bill

18 से 22 सितंबर तक संसद में विशेष सत्र बुलाया गया है. जिसमे केंद्र सरकार 4 नए बिल पेश कर रही है. उन्ही में से एक बिल है ‘रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल’ जिसके बारे में हम आपको फुल-टू जानकारी देने वाले हैं.

What Is Press and Registration of Periodical Bill: लोकसभा में 18 से 22 सितंबर के बीच केंद्र सरकार ने विशेष सत्र बुलाया है. विपक्ष पहले अचानक से स्पेशल सत्र बुलाने का विरोध कर रहा था, फिर सत्र बुलाए जाने का कारण पूछने लगा और अब कारण बता दिए गए तो उसका भी विरोध शुरू हो गया. खैर, केंद्र सरकार ने 4 नए बिल को पेश करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है. जिनमे निचे दिए गए 4 बिल शामिल हैं.

  1. अधिवक्ता (संशोधन) बिल
  2. रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल
  3. दी पोस्ट ऑफिस बिल
  4. मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल

अपन इन चारों बिल में से ‘रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल’ (Registration of Press and Periodical Bill) पर चर्चा करने वाले हैं. अन्य बिल के बारे में जानें के लिए आप ऊपर किसी भी बिल पर किल्क कर सकते हैं.

रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल क्या है?

Press and Registration of Periodical Bill को शार्ट में RPP Bill कहते हैं. अगर आप कोई पिरियॉडिकल या कोई पत्रिका या फिर अखबार निकालना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिए आपको अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. कई स्तर पर पेपर वर्क होता है जब कहीं जाकर प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के यहां आपकी पत्रिका/मैगजीन/अखबार का रजिस्ट्रेशन होता है.

सरकार इसी लंबी प्रोसेस को छोटा करने के लिए आरपीपी बिल पेश कर रही है. इस बिल के पास होने के बाद पत्रिका/ अखबार के रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस आसान हो जाएगी। RPP Bill को 1867 में बने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन कानून (Press And Registration Act 1867) से बदला जा रहा है.

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Registration of Press and Periodical Bill Rules

  • किसी पत्रिका का रजिस्ट्रेशन रद्द करने या ससपेंड करने का अधिकार पहले सिर्फ जिलाधिकारी के पास होता था (वो DM जहां से पत्रिका का मूल प्रकाशन होता है). पीआरपी बिल पास होने के बाद ये अधिकार प्रेस जनरल के पास भी होगा।
  • इस बिल के पास होने के बाद पब्लिशर्स को DM के सामने शपथ पत्र देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • प्रकाशक ‘अपील अधिकारी’ के पास प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के फैसले की अपील कर सकेंगे
  • पहले गलत जानकारी छापने पर 6 महीने की सज़ा का प्रावधान था. अब सिर्फ उसी प्रकाशक को जेल होगी जो बिना रजिस्ट्रेशन की पत्रिका में खबर छपेगा।
  • किसी व्यक्ति को आतंकी गतिविधि या किसी गैर कानूनी काम के लिए सज़ा हुई है तो उसके पास अखबार छापने का अधिकार नहीं होगा।
  • ऐसा कोई व्यक्ति जिसने देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है उसे भी पत्रिका छापने का अधिकार नहीं होगा।

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