रीवा। बगला पान रीवा जिले के गुढ़ तहसील अंतर्गत महसांव के गांव में तैयार होता है। चौरसिया सामाज के किसान पान की खेती को वर्षो से करते आ रहे है। विंध्य क्षेत्र के रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली आदि जिलों के साथ ही देश के कोने-कोने में रीवा का पान तो पहुचता ही है, यहा तैयार होने वाला बंगला पान पाकिस्तान, बग्लादेश में भी बहुत पंसद किया जाता है। यही वजह है की रीवा के बंगला पान की डिमांड दूसरें देशों में भी है।
कार्यक्रमों की शान बनता है पान
ज्ञात हो कि आज भले ही गुटखा तेजी से अपने पैर बाजार में जमा रहा है, लेकिन धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर शादी-विवाह के फंक्शन। सभी आयोजनों में आज भी पान की शान बरकरार है। महिला-पुरूष सभी भोजन के बाद पान के स्टाल में पहुचते है। पान का धार्मिक महत्वं भी है। सभी तरह की पूजा में पान का उपयोग होता है। भगवान को भी पान समर्पित किया जाता है।
गुटखा कारोबार ने किया प्रभावित
पान के किसानों के साथ ही व्यवसाय जुड़े लोगो के लिए पान आमदनी का बड़ा माध्यम बनता रहा है। किसानों एवं व्यवसायीयों का कहना है कि गुटखा ने उनके पान व्यवसाय को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया। पान के पत्तों में मौजूद औषधी गुण मुंह और सेहत के लिए लाभकारी है, जबकि गुटखा खाने वालों को नुकसानी भी उठानी पड़ जाती है।
किसानों को मदद की दरकार
पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि अब तो पान की खेती से उनका मोह भंग होने लगा है। सरकार पान के किसानों के लिए न तो कोई व्यवस्था बना रही है और न ही उन्हे कोई मदद दी जाती है, जबकि पान की खेती काफी कठिन है। पान को धूंप, ठंड से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उनका कहना है कि सरकार पान की खेती को भी बढ़ावा दे, जिससे देश- विदेश में अपनी पहचान बनाने वाला रीवा का बंगला आदि पान पूरी तरह से सामाप्त हो जाएगा।