About Houthi Rebels In Hindi: सऊदी अरब ने मक्का और मदीना में अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम (MIM-104) तैनात किया है, मुख्य रूप से यह हज यात्रा के दौरान लाखों तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों, खासकर यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा संभावित मिसाइल और ड्रोन हमलों के सुरक्षात्मक बचाव के लिए उठाया गया है। हूती विद्रोहियों ने अतीत में सऊदी अरब के शहरों, जिसमें मक्का के आसपास के क्षेत्र पर भी मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं।
क्या बोला सऊदी रक्षा मंत्रालय
सऊदी रक्षा मंत्रालय ने 5 जून 2025 को तस्वीरें जारी कीं, जिनमें पैट्रियट सिस्टम और सैन्य हेलीकॉप्टरों की तैनाती दिखाई गई। साथ ही कैप्शन में लिखा- “एयर डिफेंस फोर्स… एक आंख जो कभी नहीं सोती। इसका उद्देश्य मुस्लिम तीर्थयात्रियों की रक्षा करना है।” यह प्रणाली बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों, ड्रोनों और अन्य हवाई खतरों को 150 किलोमीटर से अधिक दूरी पर ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है।
हूती विद्रोहियों के संभावित हमले की वजह से लिया गया फैसला
इस तैनाती का उद्देश्य मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्षों, विशेष रूप से हूती विद्रोहियों के हमलों, जो ईरान के समर्थन से होते हैं, के खिलाफ सुरक्षा को मजबूत करना है। सऊदी अरब ने पहले भी इस सिस्टम का उपयोग हूती हमलों को रोकने के लिए किया है, और हज जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर यह कदम सुरक्षा को प्राथमिकता देने का हिस्सा है।
कौन हैं हूती विद्रोही
हूती विद्रोही जिन्हें अंसार अल्लाह (अल्लाह के समर्थक) के नाम से भी जाना जाता है, यमन का एक शिया जैदी समूह है, जो 1990 के दशक में उभरा। इसके गठन का उद्देश्य था तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के भ्रष्टाचार और सऊदी अरब व अमेरिका के प्रभाव के खिलाफ ‘बिलीविंग यूथ’ नामक आंदोलन शुरू किया। इनका नाम इसके संस्थापक हुसैन बद्रेद्दीन अल-हूती के नाम पर पड़ा, जिन्होंने 2004 में यमन सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू किया और उसी साल यमनी सेना द्वारा मार डाला गया। वर्तमान में इसका नेतृत्व अब्दुल मलिक अल-हूती कर रहा है।
हूती विद्रोही यमन में एक शक्तिशाली सैन्य और राजनीतिक ताकत हैं, जो ईरान के समर्थन से क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल रहे हैं। उनकी गतिविधियाँ, खासकर लाल सागर में हमले, वैश्विक व्यापार और मिडिल ईस्ट की भू-राजनीति को प्रभावित कर रही हैं। हालांकि उनके कार्यों से यमन में गंभीर मानवीय संकट भी उत्पन्न हो गया है।
हूती को ईरान का समर्थन
हूती जैदी शिया हैं, जो यमन की लगभग 35% आबादी का हैं। वे अमेरिका, इजरायल, और सऊदी अरब को अपने प्रमुख दुश्मन मानते हैं। लेकिन ईरान हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है। इनको ईरान से सैन्य और वित्तीय सहायता मिलती है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार- ईरान हूतियों को ड्रोन, मिसाइलें, और सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करता है, हालांकि यह सहायता अप्रत्यक्ष रूप से छोटे-छोटे हथियारों के हिस्सों के माध्यम से दी जाती है।
हूती का यमन में प्रभाव
2014 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना और सादा प्रांत पर कब्जा कर लिया। 2015 में उन्होंने राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी को सत्ता से बेदखल कर दिया, जिसके बाद हादी विदेश भाग गए। हूतियों के सत्ता पर कब्जे के बाद यमन में गृहयुद्ध छिड़ गया। सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन में जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, और यूएई शामिल हैं, उन्होंने हूतियों के खिलाफ हवाई हमले शुरू किए, लेकिन वे हूतियों को पूरी तरह हरा नहीं पाए। इस युद्ध में 1.5 लाख से अधिक लोग मारे गए और यमन में भयावह मानवीय संकट पैदा हो गया। वर्तमान में हूती यमन के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों, जिसमें लगभग 80% आबादी रहती है, वहाँ पर नियंत्रण रखते हैं।
हूतियों का वर्तमान में प्रभाव
हूतियों ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिसमें तेल अवीव के बेन गुरियन हवाई अड्डे को निशाना बनाया गया। हालांकि, कई हमले इजराइल द्वारा असफल कर दिए गए। लेकिन इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने हूती ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। जनवरी 2024 में अमेरिका ने हूतियों को आतंकवादी संगठन घोषित किया। हूती इन हमलों के बावजूद निडर बने हुए हैं और वैश्विक व्यापार पर असर डाल रहे हैं, नवंबर 2023 से अब तक हूतियों ने 30 से अधिक मालवाहक जहाजों पर हमले किए, कईयों का अपहरण किया। जिसके कारण कई व्यापारिक जहाज अफ्रीका का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं, हूतियों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में भुखमरी और गरीबी बढ़ी है। यमन दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, और गृहयुद्ध ने स्थिति ने इसको और भी बदतर बना दिया है।
सऊदी अरब और यूएई से टकराव की वजह
एक्सपर्ट मानते हैं, हूतियों द्वारा सऊदी विरोध का प्रमुख कारण सुन्नी-शिया तनाव है। हूती शिया होने के कारण सुन्नी बहुल सऊदी अरब और यूएई से लगातार टकरा रहे हैं। हूतियों ने सऊदी अरब और यूएई पर कई बार ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसमें 2022 में अबू धाबी हवाई अड्डे पर हुआ प्रमुख हमला शामिल है, जिसमें दो भारतीय भी मारे गए थे। हालांकि सऊदी अरब के साथ उनकी शांति वार्ता चल रही है, लेकिन लाल सागर में हमलों के कारण उनके बीच तनाव भी बना हुआ है।यमन में सुन्नियों के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण हैं, हालांकि कुछ सुन्नी समूहों के साथ उनके गठबंधन भी हैं। माना जाता है शिया होने के कारण ही ईरान हूतियों का समर्थन करते हैं।