Rewa’s drug market closed in protest against raids on medical stores: छिंदवाड़ा में नशीली सिरप के सेवन से लगभग दो दर्जन बच्चों की मौत की भयावह घटना के बाद, मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल के गृह जिले रीवा में प्रशासन ने नशे और अवैध दवा बिक्री पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। सोमवार को जिला कलेक्टर के निर्देश पर, एसडीएम के नेतृत्व में ड्रग इंस्पेक्टर, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक टीम ने शहरभर के मेडिकल स्टोर्स पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इस कार्रवाई के केंद्र में सिरमौर चौराहा, अस्पताल चौराहा और धोबिया टंकी क्षेत्र रहे, जहां एक साथ 12 से अधिक दुकानें सील कर दी गईं। कई संचालक तो जांच टीम के पहुंचने से पहले ही शटर गिराकर फरार हो गए।
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ये खामियां मिलीं, जिस पर हुई कार्रवाई
एसडीएम ने कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि दुकानों में कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। जैसे कि कई दुकानों में फार्मासिस्ट की फिजिकल प्रेजेंस अनिवार्य होने के बावजूद नहीं थी। कुछ स्टोर बिना वैध लाइसेंस के संचालित हो रहे थे।दुकानों में एक्सपायरी दवाएं मिलीं और दवाओं के रखरखाव में भारी खामियां थीं। निर्धारित दवाओं की बिक्री के नियमों का उल्लंघन पाया गया। एसडीएम ने स्पष्ट किया कि दस्तावेजों को ठीक करने और एक्सपायरी सामान को हटाने के बाद ही इन सील की गई दुकानों को दोबारा संचालन की अनुमति मिलेगी।
दुकान संचालकों का फूटा गुस्सा
प्रशासन की इस व्यापक कार्रवाई के विरोध में मेडिकल दुकानदारों ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया। दवा विक्रेता संघ के प्रतिनिधियों ने इसे ‘भयप्रद’ और ‘पूर्वाग्रहपूर्ण’ बताते हुए विरोध जताया। संचालकों का कहना था कि छोटी-मोटी खामियां हर व्यापार में होती हैं, और एक्सपायरी दवाओं को ‘नॉट फॉर सेल’ मार्किंग के साथ मासिक वापसी के लिए अलग रखा जाता है।एक संचालक ने गुस्से में प्रशासन से सवाल किया, “अगर एक अधिकारी गलती करता है, तो क्या पूरे मध्य प्रदेश के अधिकारियों की जांच होगी? हम व्यापारी हैं, डकैत नहीं। एक घटना पर पूरे शहर की दुकानों को टारगेट करना अनुचित है।” विरोध स्वरूप पूरे शहर के दुकानदारों ने सामूहिक रूप खुद ही अपनी दुकानें बंद कर लीं।
