Farmers’ ‘semi-naked water satyagraha’ in Mauganj: मऊगंज जिले में सिंचाई योजनाओं की कथित लापरवाही और सूखे तालाबों से त्रस्त किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है। गुरुवार को राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की जिला इकाई के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने पछपारा स्थित तालाब में उतरकर अर्धनग्न जल सत्याग्रह किया। किसानों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ अनोखे ढंग से विरोध जताते हुए तत्काल सिंचाई सुविधाओं की मांग की। एक दिवसीय जल सत्याग्रह के दौरान, किसानों ने पानी के अभाव को लेकर जमकर नारे लगाए। तालाब में खड़े होकर प्रदर्शनकारी किसान लगातार “किसानों को पानी दो… पानी दो…” की गूंज पैदा कर रहे थे, जो सिंचाई संकट की भयावहता को दर्शा रहा था।
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करोड़ों खर्च, फिर भी तालाब सूखे
विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण सिंचाई बांधों की खराब गुणवत्ता और अप्रभावीता है। किसानों का आरोप है कि जिले में करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद, अधिकांश सिंचाई बांध पानी को रोक पाने में विफल साबित हो रहे हैं, जिससे उनकी खेती चौपट हो रही है। जिला अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2009-10 से 2015-16 के बीच बने ज्यादातर सिंचाई बांधों का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, “शासन ने करोड़ों रुपये फूंके, लेकिन किसानों को एक बूंद सिंचाई पानी नहीं मिला। नेता और अधिकारी भाषणों में रीवा-मऊगंज को सिंचित क्षेत्र बताते हैं, जबकि हकीकत यह है कि इन तालाबों में पशु-पक्षियों तक के लिए पानी नहीं बचा है।”
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
जल सत्याग्रह समाप्त होने के बाद, आंदोलनकारी किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपकर कलेक्टर से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि सिंचाई बांधों में पानी रोकने की व्यवस्था तुरंत सुधारी जाए ताकि आगामी फसल के लिए उन्हें पानी मिल सके। किसानों के इस उग्र विरोध ने मऊगंज में सिंचाई और जल प्रबंधन की वर्तमान स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
