महाराष्ट्र सरकार ने स्कूली शिक्षा में एक बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने 2 जून 2025 को घोषणा की कि महाराष्ट्र में अब पहली कक्षा से ही बच्चों को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना, अनुशासन सिखाना और नियमित शारीरिक व्यायाम की आदत को प्रोत्साहित करना है। इस योजना को लागू करने के लिए रिटायर्ड सैनिकों की मदद ली जाएगी।
दादा भुसे ने कहा, “हमने फैसला लिया है कि पहली कक्षा से बच्चों को बेसिक स्तर की सैन्य ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे बच्चों में देश के प्रति प्रेम की भावना जगेगी, नियमित व्यायाम की आदत बनेगी और अनुशासन का विकास होगा, जो उनके जीवन में बहुत फायदेमंद होगा।” उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग के लिए राज्य के 2.5 लाख पूर्व सैनिकों की सहायता ली जाएगी। इसके साथ ही, खेल शिक्षकों, नेशनल कैडेट कोर (NCC), स्काउट्स और गाइड्स की भी मदद ली जाएगी ताकि यह कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू हो सके।
मंत्री भुसे ने यह भी कहा कि इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, जिसके बाद इस योजना को जल्द ही लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। यह ट्रेनिंग बच्चों को कम उम्र से ही अनुशासित जीवन जीने और शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए प्रेरित करेगी। भुसे ने जोर देकर कहा कि यह कदम बच्चों के समग्र विकास में मदद करेगा और उन्हें भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए तैयार करेगा।
यह योजना महाराष्ट्र के स्कूलों में एक नया दृष्टिकोण लाएगी, जहां पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण को शामिल किया जाएगा। हालांकि, इस फैसले पर कुछ शिक्षा विशेषज्ञों ने सवाल भी उठाए हैं। उनका कहना है कि पहली कक्षा के बच्चों के लिए सैन्य प्रशिक्षण की अवधारणा को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और इसके लिए उचित प्रशिक्षण मॉड्यूल और बच्चों की उम्र के अनुरूप गतिविधियों की जरूरत होगी। दूसरी ओर, कई लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे देशभक्ति और अनुशासन को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है।
यह पहल महाराष्ट्र को स्कूली शिक्षा में एक अनोखा प्रयोग करने वाला राज्य बनाती है। आने वाले दिनों में इस योजना के कार्यान्वयन और इसके प्रभावों पर सभी की नजर रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह ट्रेनिंग बच्चों के विकास और उनकी मानसिकता पर क्या असर डालती है।