नेग क्या है? जानें विंध्य में विवाह के दौरान इसके महत्व के बारे में

vindhya men vivah ki rasm

Neg Kya Hai: विंध्य के लोगों का मानना है कि जो भी संस्कार किए जाते हैं उनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी न रहे। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इस दौरान कोई भी व्यक्ति या देवी-देवता नाराज न हों। विवाह के दौरान कई प्रकार की ऐसी रस्में होती हैं जिसमें शगुन के रूप में उपहार दिए जाते हैं. जिसे ‘नेग’ के नाम से जाना जाता है।

Shadi main Kya gift Dena Chahiye: देशभर में विवाह के दौरान कई प्रकार की ऐसी रस्में होती हैं, जिनमें शगुन के तौर पर कुछ उपहार दिए जाते हैं. देशभर के अन्य हिस्सों की तरह बघेलखण्ड में भी कई मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। जो अपने मनाने के ढंग को लेकर विशेष हो जाते हैं। कई मांगलिक कार्यों में से एक विवाह भी है जिसे हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में गिना जाता है। विंध्य के लोगों का मानना है कि जो भी संस्कार किए जाते हैं उनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी न रहे। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इस दौरान कोई भी व्यक्ति या देवी-देवता नाराज न हों।

Neg Kyon Diya Jata Hai: विवाह के दौरान कई प्रकार की ऐसी रस्में होती हैं जिसमें शगुन के रूप में उपहार दिए जाते हैं. जिसे ‘नेग’ के नाम से जाना जाता है। विंध्य के लोगों का मानना है कि नेग देने का मतलब धन खर्च नहीं बल्कि इस परंपरा के जरिये नए और पुराने रिश्तों में मजबूती लाना है। कहा जाता है कि नेग देने और लेने से नए रिश्ते में जहां मिठास आती है वहीं पुराने रिश्तों में समन्वय और खुशियों के साथ ताजगी आती है। आज हम जानेंगे कि विंध्य क्षेत्र में शादी के दौरान किसे और कब नेग दिया जाता है।

Vindhya Main Shadiyon ki Rasm: विंध्य में विवाह के दौरान सभी रिश्तेदारों, संबंधियों और आसपास के विभिन्न वर्ग के लोग शामिल होते हैं। इस पूरे आयोजन के दौरान कई रिश्तेदार और घर के लोग नेग के अधिकारी होते हैं। आपने अक्सर सुना होगा कि शादी में फूफा जी नाराज (Shadi main fufaji naraja kyon hote hain) क्यों गए उनको मनाने के लिए कई लोग उनके पीछे-पीछे घूमते हैं। उसका क्या कारण है आज हम आपको बताएंगे। आइए अब हम जानते हैं विंध्य में होने वाली शादियों के दौरान मिलने वाले सभी नेगों के बारे में…

कोहबर बनाने का नेग

Kohabar Kya hai: तो शुरुआत करते हैं विवाह में मिलने वाले पहले नेग से। जी हां, पहला नेग है ‘कोहबर’. दरअसल विंध्य में कोहबर विवाह से एक या दो दिन पहले बनाई जाने वाली एक चित्रकारी है, जिसे वर-वधु दोनों पक्ष में बनाया जाता है, इसे बनाने के काम बुआ करती है। बुआ द्वारा (kohabar kaun banata hai) बनाई गई इस चित्रकारी के लिए वह मुंहमांगे नेग की अधिकारी होती है। इसके लिए बुआ को पूरा हक दिया जाता है कि वह अपनी इच्छानुसार जो भी मांगे उसे दिया जाए।

नहछू

Nahchhu: दूसरा नेग है नहछू। दरअसल नहछू विवाह के दिन नाइन या नाउन (Nahchhu kaun karta hai) द्वारा किया जाता है। इसमें वर या वधु के फूफा का भी प्रमुख किरदार होता है। नाउन द्वारा वर या वधु के नाख़ून काटने से लेकर उसपर महावर लगाने का काम किया जाता है। इस दौरान फूफा द्वारा साड़ी से छाया की जाती है। विवाह में फूफा जी का बहुत महत्व होता है। यही वह रस्म है जहाँ फूफाजी गुस्सा हो जाते हैं। दरअसल फूफा को इस समय काजल या महावर लगा दिया जाता है। जाहिर सी बात है कि विवाह समारोह के दौरान बारात जाने के लिए सज-धज कर तैयार बैठे फूफा जी के चमकते-धमकते कपड़ों और चेहरे को कोई रंगकर उन्हें बंदर बना दे तो गुस्सा तो आएगा ही। हालांकि नहछू के बाद उन्हें मनाने के लिए उपहार के रूप में नए कपड़े भी दिए जाते हैं। साथ ही नाउन को भी उसकी मांग के अनुसार न्यौछावर दी जाती है।

कलशा उतराई

Kalash Puja: तीसरा नेग है कलशा उतराई। बारात जब दरवाजे पर आ जाती है, तो उसी समय द्वार पूजा की रस्म होती है, जिसे बघेलखण्ड में द्वारचार (dwarpuja aur dwarachaar) के नाम से जाना जाता है. इस दौरान द्वार पूजा के लिए कलश रखना पड़ता है. इस कलश को रखने का काम वधु पक्ष की बुआ करती है. बुआ को इसके लिए वर पक्ष द्वारा मुंहमांगा नेग दिया जाता है.

लावा परसाई

Lawa Parsaai: चौथा नेग है लावा परसाई का. विंध्य में विवाह के दौरान सात फेरे लेते समय लावा परसाई की एक रस्म होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कहा जाता है कि लड़की तो घर से जा ही रही है पर उसके जाने के बाद मायके में कभी धन धान्य की कमी ना हो, उसके घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहे। इस रस्म में लड़की के भाई (shadi main bhai ka kya kaam hota hai) द्वारा उसे धान का लावा दिया जाता है, जिसे हाथ में लेकर वह पीछे की ओर फेंकती है और माता-पिता द्वारा उसे आँचल में भरकर पूरे घर में छीटा जाता है. इसके लिए लड़की के भाई को वर पक्ष द्वारा नेग के रूप में नए कपड़े और अन्य भेंट दी जाती है.

जूता चुराई

Juta Churai ki Rasm: पांचवां नेग है जूता चुराई का। वैसे तो विवाह के दौरान यह रस्म देशभर होती है, लेकिन विंध्य में इस रस्म का अलग ही महत्व होता है. इस रस्म में दुल्हन की छोटी बहन (dulhe ke jute kaun chori karta hai) द्वारा दूल्हे के जूते चोरी कर लिए जाते है. जूते वापस लेने के लिए दुल्हन की छोटी बहन को वर पक्ष द्वारा मुँहमाँगा नेग दिया जाता है. कहा जाता है कि लड़की की छोटी बहन विवाह के समय मुख्य भूमिका में होती है. उसे लक्ष्मी मानकर उपहार स्वरुप भेंट दी जाती है.

मूसर अंड़ाई

Moosar Adai: छठवां नेग है द्वार छकाई या मूसर अंड़ाई का. दरअसल विवाह संपन्न होने के बाद जब वर-वधु को कोहबर के पास ले जाया जाता है तो उस दौरान दूल्हेराजा को वधु की भौजाइयों का सामना करना पड़ता है. सामना इसलिए करना पड़ता है क्योंकि भौजाइयां (dulhan ki bhabhi ka shadi main kya kaam hota hai) दरवाजे पर मूसर और डंडे लेकर खड़ी रहती हैं और पूरे दमखम के साथ डटी रहती है ताकि दूल्हेराजा से बिना नेग लिए उसे अंदर न जाने दिया जाए. भला अब दुल्हेराजा की इतनी हिम्मत कहां कि वे अकेले तीन-चार महिलाओं का सामना कर सकें। इसके लिए वे नेग देकर ही डेहरी पार करते हैं. वधु कि भाभियों को उनकी इच्छानुसार नेग देकर ही वर कोहबर में प्रवेश करता है.

कलेवा खबाई

Kaleva Rasm: सातवां नेग है कलेवा खबाई का. विवाह सपन्न होने के बाद दूल्हे और उसके भाइयों को मंडप के नीचे भोजन कराने (shadi main kaleva kab khilaya jaata hai) की रस्म पूरी की जाती है. इस दौरान दुल्हेराजा खामखां नाराज हो जाते हैं और खाना भी नहीं खाते। उन्हें मनाने के लिए दुल्हन के पिता द्वारा नेग के तौर पर सोने का गहना या रुपया दिया जाता है.

मड़वा डोलाई

Madwa Dolai Rasm: आठवां नेग बनता है मड़वा डोलाई का. विदाई की रस्म पूरी होने से पहले एक रस्म होती है मड़वा या मंडप (Madwa kaun hilata hai) हिलाने की. इसके लिए वर के पिता, ताऊ और चाचा द्वारा मंडप के नीचे जाकर समधिनों से परिचय किया जाता है. इस दौरान दोनों ओर से रंग अबीर खेली जाती है. इसके बाद बारातियों की ओर से मंडप हिलाया जाता है. इसके लिए उन्हें नेग के रूप में कुछ उपहार दिए जाते हैं.

मुंह दिखाई

Munh Dikhai ki Rasm: नौवां नेग है मुंह दिखाई का. विदाई समारोह के बाद जब दुल्हन ससुराल पहुँचती है, तो उसके ससुराल की महिलाएं उसे सम्मानपूर्वक अंदर ले जाती हैं. इसके बाद कोहबर पूजा होती है, पूजा के बाद उसकी मुँह (dulhan ki munh dikhai ki rasm kab hoti hai) दिखाई की रस्म होती है. इस दौरान दुल्हन को नेग के रूप में उपहार दिए जाते हैं. साथ ही दुल्हन की सुंदरता का बखान भी किया जाता है.

खिचरी परसाई

Khichari Khilane Ki Rasm: दसवां नेग है खिचरी परसाई का। ससुराल पहुँचने के बाद दुल्हन द्वारा पहली बार घर के सभी बड़े बुजुर्गों और रिश्तेदारों को भोजन कराया जाता है. जिसे खिचरी परसाई के नाम से भी जाना जाता है. इसके लिए पंगत में बैठाकर (dulhan pahli baar bhojan kab banati hai) नई बहू सभी को भोजन कराती है. जिसके बदले में उसे नेग के रूप में उपहार दिए जाते हैं. साथ ही सभी उसके दांपत्य जीवन को सुखी रखने का आशीर्वाद देते हैं.

जूठ खबाई

Junth Khilane Ki Rasm: ग्यारहवां नेग बनता है दुल्हन की ननद के लिए. सभी बड़े बुजुर्गों को भोजन कराने के बाद जब नई-नवेली दुल्हन पहली बार ससुराल के व्यंजनों का स्वाद लेती है, तो उसमें से कुछ हिस्सा बचाकर अपनी ननद के लिए रखती है. और ननद उसे खाती है. इस रस्म के पूरा होने के बाद दुल्हन अपनी ननद को उपहार देती है.

सेज सजाई या बेड सजाई

Bed Sajane Ki Rasm: बारहवां नेग बनता है सेज सजाई या बेड सजाई का. यह नेग विवाह समारोह का अंतिम नेग भी माना जाता है. और इसका अधिकारी होता है दुल्हन का (dulhan ka bed kaun sajata hai) देवर। जिसे नई-नवेली भाभी के बेड को सजाने के बदले में भाभी द्वारा उसे नेग के रूप में महंगा उपहार दिया जाता है. देवर द्वारा भाभी को पानी पिलाने और बेड सजाने यानी कि दोनों नेग उसी समय दिए जाते हैं।

विंध्य में विवाह के दौरान होने वाली सभी रस्मों के वीडियो…

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