Was Nawab Abdul Samad’s Tomb a Hindu Temple: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित नवाब अब्दुल समद का मकबरा (Nawab Abdul Samad’s Tomb) इन दिनों विवादों के केंद्र में है। स्थानीय लोगों के बीच इस बात को लेकर तनाव बढ़ गया है कि क्या यह मकबरा वास्तव में एक प्राचीन हिंदू मंदिर का रूपांतर है। इस विवाद ने सोमवार, 11 अगस्त 2025 को हिंसा (violence in Fatehpur) और पत्थरबाजी (Fatehpur stone-pelting) की घटना को जन्म दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए। आइए जानते हैं कि नवाब अब्दुल समद कौन थे, क्या इस जगह पर कभी मंदिर था, और हाल की हिंसा के पीछे क्या कारण रहे।
नवाब अब्दुल समद कौन था
Who Was Nawab Abdul Samad In Hindi: नवाब अब्दुल समद 18वीं शताब्दी के एक प्रभावशाली मुस्लिम शासक (Muslim ruler) था , जो अवध क्षेत्र (Awadh region) में अपने समय के दौरान फतेहपुर और आसपास के इलाकों पर शासन करते था। उसका जन्म 1740 के आसपास माना जाता है, और वे एक स्थानीय जमींदार (local landlord) परिवार से ताल्लुक रखते थे। नवाब अब्दुल समद को अपने शासनकाल में कला, वास्तुकला, और स्थानीय प्रशासन के लिए जाना जाता था। उसकी मृत्यु 1802 में हुई, और उसके सम्मान में उनके अनुयायियों ने फतेहपुर में एक भव्य मकबरा बनवाया, जो आज भी एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में खड़ा है। यह मकबरा इस्लामी वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है, जिसमें गुंबद और मेहराब की विशेषताएं हैं।
क्या अब्दुल समद मकबरा हिंदू मंदिर था?
Was Abdul Samad’s Hindu Temple: हाल के दिनों में कुछ स्थानीय समूहों और सोशल मीडिया पोस्ट्स ने दावा किया है कि नवाब अब्दुल समद का मकबरा मूल रूप से एक हिंदू मंदिर था, जिसे मुगल काल में मस्जिद या मकबरे में परिवर्तित कर दिया गया। हालांकि, इस दावे का कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। पुरातत्वविदों और इतिहासकारों के अनुसार, इस साइट पर कोई प्राचीन हिंदू मंदिर होने के संकेत नहीं मिले हैं। स्थल पर खुदाई या ऐतिहासिक दस्तावेज में मंदिर की मौजूदगी का उल्लेख नहीं है।
फतेहपुर का इतिहास
History of Fatehpur: फतेहपुर का इतिहास प्राचीन काल से समृद्ध रहा है, जहां हिंदू, मुस्लिम, और अन्य संस्कृतियों का मेल देखने को मिलता है। नवाब अब्दुल समद के समय में अवध क्षेत्र मुगल प्रभाव और स्थानीय शासकों के बीच सत्ता संघर्ष का गवाह रहा। उनके मकबरे का निर्माण 1802-1810 के बीच हुआ, जो स्थानीय कारीगरों द्वारा किया गया था। इस संरचना में हिंदू वास्तुकला के कोई स्पष्ट निशान नहीं हैं, जो मंदिर होने के दावों को कमजोर करते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि इस तरह के विवाद अक्सर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए राजनीतिक उद्देश्यों से उठाए जाते हैं
सोमवार, 11 अगस्त 2025 को फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर दो समूहों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। विवाद तब शुरू हुआ जब एक समूह ने मकबरे पर हिंदू धार्मिक चिह्न लगाने की कोशिश की, जिसका दूसरे समूह ने विरोध किया। इस दौरान भारी पत्थरबाजी हुई, जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। स्थानीय प्रशासनने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया और धारा 144 लागू की।हिंसा के बाद मकबरे के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और दोनों पक्षों के नेताओं से बातचीत की जा रही है। पुलिस ने बताया कि यह घटना धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली अफवाहों से उत्पन्न हुई, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलीं। अब तक 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है.