Sharmistha Panoli Arrest Case: कोलकाता पुलिस ने गार्डनरीच थाने में FIR दर्ज की और 30 मई 2025 को गुरुग्राम के डीएलएफ क्षेत्र से शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया। कंगना ने इंस्टाग्राम पर लिखा, शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, जो आजकल युवा करते हैं। माफी के बाद उन्हें और परेशान करना गलत है। उन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए। नीदरलैंड के सांसद ने एक्स पर लिखा, “शर्मिष्ठा को रिहा करो! यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
Sharmistha Panoli Arrest Case: पुणे की 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने भारत से लेकर विदेश तक हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया से सियासत तक इस मामले की आंच पहुंच चुकी है। अमेरिका में शर्मिष्ठा के समर्थन में प्रदर्शन हुए, तो नीदरलैंड के सांसद गीर्ट विल्डर्स ने उनकी रिहाई की मांग की। बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा कि माफी के बाद गिरफ्तारी अनुचित है, जबकि विरोधी उनकी गिरफ्तारी को जायज ठहरा रहे हैं। पुणे के सिम्बायोसिस लॉ स्कूल ने शर्मिष्ठा को तीन महीने के लिए निलंबित कर विवाद को और हवा दी। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
वीडियो से गिरफ्तारी तक: क्या है पूरा मामला?
शर्मिष्ठा, जो पुणे के सिम्बायोसिस लॉ स्कूल में लॉ की पढ़ाई कर रही हैं, ने 14 मई 2025 को एक इंस्टाग्राम वीडियो पोस्ट किया था। यह वीडियो 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर सवाल उठाता था। वीडियो में कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद और एक धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां थीं, जिसके बाद भारी विवाद खड़ा हुआ। AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने इस वीडियो को एक्स पर साझा कर शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी की मांग की।
कोलकाता पुलिस ने गार्डनरीच थाने में FIR दर्ज की और 30 मई 2025 को गुरुग्राम के डीएलएफ क्षेत्र से शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि शर्मिष्ठा और उनके परिवार को कई बार नोटिस भेजे गए, लेकिन जवाब न मिलने और उनके कथित तौर पर फरार होने के बाद अलीपुर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 31 मई को कोर्ट में पेशी के बाद उनकी जमानत याचिका खारिज हुई और उन्हें 13 जून तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
शर्मिष्ठा के वकील मोहम्मद शमीमुद्दीन ने दावा किया कि एक ही अपराध के लिए कई FIR दर्ज करना सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। पुलिस ने उनके मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं ताकि और सबूतों की जांच हो सके।
माफी के बावजूद कार्रवाई
15 मई को शर्मिष्ठा ने वीडियो हटा लिया और एक्स पर बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने लिखा, “मैं बिना शर्त माफी मांगती हूं। मेरी भावनाएं व्यक्तिगत थीं, मैंने जानबूझकर किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई। कृपया मेरी माफी स्वीकार करें।” इसके बावजूद, कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ी।
कंगना से डच सांसद तक: समर्थन और विरोध
कंगना रनौत (बीजेपी सांसद): कंगना ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, जो आजकल युवा करते हैं। माफी के बाद उन्हें और परेशान करना गलत है। उन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए।”
शुभेंदु अधिकारी (बीजेपी नेता): पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता ने एक्स पर लिखा, “ममता बनर्जी ने महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ और जय श्री राम को गाली कहा, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं। लेकिन शर्मिष्ठा की एक टिप्पणी पर तुरंत गिरफ्तारी? यह तुष्टिकरण की राजनीति है।”
गीर्ट विल्डर्स (डच सांसद): नीदरलैंड के सांसद ने एक्स पर लिखा, “शर्मिष्ठा को रिहा करो! यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।”
पवन कल्याण (आंध्र प्रदेश डिप्टी सीएम): उन्होंने एक्स पर सवाल उठाया, “जब हमारे धर्म को ‘गंध धर्म’ कहा जाता है, तब कार्रवाई क्यों नहीं? शर्मिष्ठा ने माफी मांग ली, फिर भी गिरफ्तारी क्यों?”
रणवीर अल्लाहबादिया (यूट्यूबर): शर्मिष्ठा ने जिन्हें वीडियो में निशाना बनाया, उन्होंने एक्स पर लिखा, “सोशल मीडिया पर गुस्सा जायज हो सकता है, लेकिन हिंसा की धमकियां और गिरफ्तारी गलत हैं। संवाद की जरूरत है।”
कुशा कपिला (इन्फ्लुएंसर): उन्होंने एक्स पर लिखा, “शर्मिष्ठा का बयान गलत था, लेकिन माफी के बाद इतनी सख्त कार्रवाई विचारों को दबाने जैसी है।”
डेरेक ओ’ब्रायन (टीएमसी नेता): उन्होंने एक्स पर कहा, “नफरत फैलाने वालों को कोई छूट नहीं। कानून सभी के लिए बराबर है।”
सोशल मीडिया पर ट्रेंड
इंस्टाग्राम, एक्स, फेसबुक और यूट्यूब पर #ReleaseSharmistha और #IStandWithSharmistha ने समर्थन जुटाया, जबकि #ArrestSharmistha ने सख्त कार्रवाई की मांग को बल दिया। ये हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।
सिम्बायोसिस का निलंबन
सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो-चांसलर विद्या येरावडेकर ने कहा, “शर्मिष्ठा का भाषा उपयोग सिम्बायोसिस के छात्र या किसी भारतीय नागरिक के लिए अस्वीकार्य है। हमने अनुशासन समिति की बैठक के बाद उन्हें तीन महीने के लिए अकादमिक और गैर-अकादमिक गतिविधियों से निलंबित कर दिया है।”