Prabodhni Ekadashi 2025 – इसबार प्रबोधनी एकादशी और तुलसी विवाह व पंचक एकसाथ चल रहे हैं ऐसे में लोगों को तुलसी विवाह पंचक में किए जाने पर जहां शंका है वहीं इसके दुष्प्रभाव का भी भय बना हुआ है। इस विषय को लेकर स्थानीय पंडित पुरोहितों का मानना है कि पंचक में भी तुलसी विवाह शुभ फलदायक होता है तुलसी विवाह और प्रबोधिनी एकादशी का पूजन – हिंदू धर्म में देव प्रबोधिनी एकादशी (देव उठनी एकादशी) और तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु के चार महीने के योगनिद्रा से जागरण का प्रतीक होता है। मान्यता है कि इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों जैसे – शादी-विवाह, गृह प्रवेश और यज्ञ आदि पुनः शुरू हो जाते हैं। अक्सर लोग मानते हैं कि पंचक काल में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, लेकिन शास्त्रों के अनुसार प्रबोधिनी एकादशी और तुलसी विवाह पंचक में भी किए जा सकते हैं, क्योंकि इन दिनों में पूजा-पाठ, दान और विशेष उपाय करने से शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं। प्रबोधिनी एकादशी और तुलसी विवाह पंचक में भी शुभ माने जाते हैं। जानें कैसे तुलसी जल, मंजरी, कलावा और पंचामृत से पूजन करने पर घर में आती है बरकत और दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा।
पंचक में तुलसी विवाह और प्रबोधिनी एकादशी के विशेष उपाय और सावधानियां
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए घर में तुलसी का जल छिड़कें। एक दिन पहले तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें तुलसी के कुछ पत्ते डाल दें। अगले दिन (एकादशी के दिन) इस जल को घर के प्रवेश द्वार और पूरे घर में छिड़कें। इससे दरिद्रता दूर होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
धन स्थान पर तुलसी की मंजरी रखें-होगी बरकत
देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी की मंजरी को लाल कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखें। यह उपाय घर में सालभर सुख-समृद्धि और बरकत बनाए रखता है।
तुलसी पर कलावा बांधें- मनोकामना पूर्णता का उपाय
अपनी लंबाई के बराबर कलावा (मौली) लें। अपनी मनोकामना बताएं और इसे तुलसी के पौधे के चारों ओर बांध दें। जब मनोकामना पूर्ण हो जाए, तो उस मौली को बहते जल में प्रवाहित कर दें। यह उपाय मनचाही इच्छा पूरी करने में सहायक माना जाता है।
भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक
देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से अभिषेक करें। यह सभी पापों का नाश और सौभाग्यवृद्धि करने वाला माना गया है।
वैवाहिक जीवन की समस्या का समाधान
यदि पति-पत्नी के बीच मनमुटाव है या वैवाहिक जीवन में तनाव चल रहा है, तो एकादशी के दिन तुलसी और भगवान विष्णु की संयुक्त पूजा करें। यह उपाय वैवाहिक सुख और प्रेम में वृद्धि करता है।
दान का विशेष महत्व
देव उठनी एकादशी पर दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, दीपक या तांबे के बर्तन दान करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
ध्यान रखने योग्य बातें
एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इस दिन तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं। बिना स्नान किए तुलसी को न छुएं और जूठे हाथों से स्पर्श न करें। पूजा में उपयोग के लिए तुलसी के पत्ते और मंजरी एक दिन पहले ही तोड़ लें।
निष्कर्ष – देव प्रबोधिनी एकादशी और तुलसी विवाह का संयोजन हर वर्ष भक्ति और सौभाग्य का अद्भुत योग लेकर आता है। पंचक काल में भी इनका पूजन नकारात्मक नहीं बल्कि अत्यंत शुभकारी होता है। यदि श्रद्धा और शुद्धता से तुलसी और भगवान विष्णु की आराधना की जाए, तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का स्थायी वास होता है।
