Narendra Modi Birthday : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। सभी भाजपा शासित प्रदेशों में पीएम मोदी का जन्मदिन विशेष कार्यक्रम के तहत मनाया जा रहा है। इसी के साथ पीएम मोदी के रिटायरमेंट की भी चर्चा तेज हो गई है। मगर क्या आप जानते हैं कि भाजपा में शामिल होने से पहले नरेंद्र मोदी लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य रहे और विभिन्न पदों पर काम किया। आइये जानते हैं कि पीएम मोदी को संघ में किसने शामिल कराया था? पीएम मोदी उस शख्स के कपड़े तक धोते थे।
वकील साहेब ने पीएम मोदी की संघ में कराई थी एंट्री
आरएसएस के साथ मोदी का जुड़ाव एक लंबी कहानी है। इसमें एक हिस्सा ऐसा भी है, जिसमें उन ‘वकील साहब’ का जिक्र आता है, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को संघ में शामिल कराया था। उस समय नरेंद्र मोदी वकील साहब के कपड़े भी धोते थे।
वकील साहब कौन थे?
वकील साहब और कोई नहीं, बल्कि लक्ष्मण राव ईनामदार थे, जो महाराष्ट्र के पूना में जन्मे थे। लक्ष्मण राव ने पूना यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की थी और संघ के प्रचारक भी थे। इसलिए संघ के कार्यकर्ता उन्हें ‘वकील साहब’ कहकर बुलाते थे। महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर लगा प्रतिबंध 11 जुलाई 1949 को हटाया गया। प्रतिबंध हटने के बाद संघ ने महाराष्ट्र से निकलकर दूसरे राज्यों में अपनी शाखाएं लगानी शुरू कीं। इसी क्रम में लक्ष्मण राव को गुजरात में संघ के काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा मिला।
प्रधानमंत्री मोदी संघ में कैसे जुड़े?
साल 1958 में, वकील साहब गुजरात के मेहसाणा जिले के छोटे से कस्बे वडनगर में थे। वहां उन्हें बाल स्वयंसेवकों को संघ के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाने के लिए बुलाया गया। उन बाल स्वयंसेवकों में तब आठ साल का नरेंद्र मोदी भी शामिल था।
अहमदाबाद भी गए पीएम मोदी
12 साल बाद नरेंद्र मोदी वडनगर छोड़कर अहमदाबाद आ गए और अपने चाचा की कैंटीन में काम करने लगे। कुछ महीनों बाद उन्होंने साइकिल खरीदी और उस पर चाय बेचना शुरू किया। उनका पहला व्यवसाय अहमदाबाद के गीता मंदिर के पास था, जहां से संघ के प्रचारक और स्वयंसेवक आते-जाते थे।
ईमानदार साहेब के कपड़े धोते थे मोदी
कुछ समय बाद मोदी अहमदाबाद में रहने वाले संघ के नेता के करीब पहुंच गए। वहां, दिवंगत पत्रकार एमवी कामत ने मोदी की जीवनी में लिखा है कि, ‘उस समय गुजरात के संघ के मुख्यालय में 10-12 लोग रहते थे। वकील साहब ने मुझे वहां आकर रहने को कहा। मैं रोज सुबह प्रचारक और कार्यकर्ताओं के लिए नाश्ता और चाय बनाता था। फिर शाखा में जाता। लौटने के बाद पूरे मुख्यालय की सफाई करता। इसके बाद अपने और ईनामदार साहब के कपड़े धोता।’
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