मौत का जंक्शन बना कोटा! इस साल 28वें छात्र ने की आत्महत्या

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राजस्थान के कोटा (Kota) में 27 नवंबर की शाम एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली. मृतक छात्र पश्चिम बंगाल का रहने वाला था. पिछले एक साल से कोटा में NEET की तैयारी कर रहा था. ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी छात्र ने आत्महत्या की हो. हम आपको बताएंगे कि अभी तक कोटा में कितने छात्रों ने तैयारी के दौरान आत्महत्या की.

राजस्थान के कोटा में एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली है. मृतक छात्र का नाम फोरिद हुसैन है, जो कोटा में पिछले एक साल से NEET की तैयारी कर रहा था. मूलरूप से वह पश्चिम बंगाल का निवासी था. 20 साल का हुसैन वक्फ नगर इलाके में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था. इसी मकान में कई और बच्चे भी रहते हैं.

अभी तक कोटा में कितने छात्रों ने आत्महत्या की है?

How many students have committed suicide in Kota till now: आकड़ों पर नजर डालें तो साल 2011 में 6 बच्चों ने सुसाइड किया था. इसके बाद साल 2012 में 11, 2013 में 26, 2014 में 14, 2015 में 23, 2016 में 17, 2017 में 7, 2018 में 20, 2019 में 8, 2020 में 4, 2021 में 4 और साल 2022 में 20 बच्चों ने कोटा में तैयारी के दौरान अपनी जान दे दी. इसके बाद साल 2023 में 28 छात्रों ने अपनी जान दी.

कोटा में मौत का रिकॉर्ड बन गया साल 2023

साल 2023 की शुरुआत से कोटा में अब तक 28 छात्रों ने आत्महत्या की है. बता दें कि 14 जनवरी को यूपी के अली राजा ने आत्महत्या की. इसके बाद 15 जनवरी को यूपी के ही 22 वर्षीय रणजीत ने फ़ांसी लगाकर अपनी जान दे दी. 8 फरवरी को बाड़मेर की रहने वाली 17 वर्षीय कृष्णा ने मल्टीस्टोरी की 10वीं मंजिल से छलांग लगा दी. 24 फरवरी को बंदायू के रहने वाले 17 वर्षीय छात्र अभिषेक ने फांसी लगाकर जान दे दी. 26 अप्रैल को मध्यप्रदेश के सागर की रहने वाली 19 वर्षीय छात्रा राशि जैन ने खुदखुशी कर ली.

8 मई को बेंगलुरु का रहने वाले 22 साल के छात्र नासिर ने आत्महत्या कर ली. 11 मई को 15 वर्षीय छात्र धनेश कुमार ने फांसी लगा ली. 12 मई को 17 वर्षीय छात्र नवलेश ने सुसाइड कर लिया था. 24 मई को नालंदा के रहने वाले आर्यन (16 ) ने फांसी लगा ली. 7 जून को पश्चिम बंगाल के 18 वर्षीय छात्र परितोष कोहिरी की संदिग्ध मौत हो गई. 12 जून को महाराष्ट्र के 17 वर्षीय छात्र भार्गव केशव ने आत्महत्या कर ली. 16 जून को बिहार के रहने वाले 21 साल के छात्र रोशन ने भी अपनी जान दे दी. 27 जून को उदयपुर के 19 साल के मेहुल वैष्णव ने फांसी लगा ली. 27 जून को यूपी के 17 साल के आदित्य ने खुदखुशी कर ली.

8 जुलाई को यूपी के बहादुर सिंह (17) ने फांसी लगा ली. 3 अगस्त को यूपी के 18 वर्षीय छात्र मंजोत छाबड़ा की लाश भी संदिग्ध हालत में मिली थी. 4 अगस्त को मोतिहार के रहने वाले 17 साल के भार्गव मिश्रा ने अपनी जान दे दी. 10 अगस्त को यूपी के 17 वर्षीय मनीष प्रजापति ने फांसी लगा ली थी. 16 अगस्त को बिहार के 18 साल के वाल्मीकि प्रसाद जांगिड़ ने खिड़की से लटक कर अपनी जान दे दी. 28 अगस्त को बिहार के रहने वाले आदर्श ने आत्महत्या कर ली. फिर 13 सितंबर को रांची की रहने वाली रिचा ने अपने हॉस्टल में फांसी लगा ली. वहीं 18 सितंबर को मऊ के रहने वाली एक और छात्रा ने भी आत्महत्या कर ली. ऐसे ही कई अन्य छात्रों ने आत्महत्या की.

क्या कर रहा है प्रशासन?

कोटा में इस साल छात्रों की आत्महत्या के 28 केस आ चुके हैं. इससे पहले 27 सितंबर को नीट की तैयारी करने वाले एक और छात्र ने आत्महत्या की थी. आत्महत्या की बढ़ती खबरों के बाद अशोक गहलोत सरकार ने एक पैनल का गठन किया था. 27 सितंबर को इसी पैनल की सिफारिश पर राज्य सरकार ने 9 पेज का एक दिशा-निर्देश जारी किया। इसमें आत्महत्या के कारणों पर विस्तार से चर्चा भी की गई. इसके अनुसार, बढ़ती प्रतियोगिता, बड़ा सिलेबस, कठिन टेस्ट पेपर, नतीजों के सार्वजानिक होने से शर्म का भाव, नंबर कम होने पर कोचिंग में मजाक बनना, टेस्ट नतीजों के हिसाब से अलग-अलग बैच, मानसिक दबाव, अभिभावकों की उम्मीदें, सफलता की सीमित संभावना, योग्यता और रूचि के उलट पढ़ाई का बोझ, परिवार से दूरी, कम छुट्टियां, अकेलापन जैसे कारणों से आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों को कहा है कि 9वीं कक्षा के पहले एडमिशन न लें. छात्रों की रूचि के हिसाब से एडमिशन करें। इसके पहले छात्र का टेस्ट लें और काउंसलिंग करवाएं। छात्र की क्षमता के हिसाब से ही एडमिशन लें समय-समय पर पेरेंट्स को बच्चे की प्रोग्रेस के बारे में बताएं। अगर छात्र बीच में छोड़ कर जाना चाहे, तो बची हुई फीस वापस करें। इसके अलावा सरकार ने कोचिंग संस्थानों को कई और दिशा-निर्देश दिए हैं.

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