दिल्ली हाई कोर्ट ने सद्गुरु की पहचान के दुरुपयोग पर लगाई रोक, AI के गलत इस्तेमाल पर सख्त आदेश

sadguru jaggi vasudev

Sadhguru Jaggi Vasudev: कोर्ट ने कहा कि सद्गुरु की पहचान, जिसमें उनका चेहरा, आवाज और पहनावा शामिल है, विशिष्ट है और इसका दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स AI का उपयोग कर सद्गुरु की आवाज और वीडियो में हेरफेर करके उनका दुरुपयोग कर रहे थे।

Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उनकी आवाज, चेहरा, पहनावा, बोलने का अंदाज या किसी भी तरह की पहचान को बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के जरिए।

कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स AI का उपयोग कर सद्गुरु की आवाज और वीडियो में हेरफेर करके उनका दुरुपयोग कर रहे थे। इस मुद्दे पर सद्गुरु ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी पहचान के अनधिकृत उपयोग की शिकायत की।

कोर्ट का फैसला: सद्गुरु की पहचान अनूठी, दुरुपयोग अस्वीकार्य

कोर्ट ने कहा कि सद्गुरु की पहचान, जिसमें उनका चेहरा, आवाज और पहनावा शामिल है, विशिष्ट है और इसका दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इसे नहीं रोका गया तो यह गलत सूचनाओं की महामारी की तरह इंटरनेट पर फैल सकता है।

कोर्ट ने कई वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनलों को बंद करने का आदेश दिया, जो सद्गुरु के नकली वीडियो और कंटेंट प्रसारित कर रहे थे। साथ ही, सोशल मीडिया कंपनियों को इन अकाउंट्स की जानकारी साझा करने और टेलीकॉम विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को ऐसी वेबसाइट्स और अकाउंट्स को ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए।

बौद्धिक संपदा के लिए बढ़ता खतरा

कोर्ट ने कहा कि आज के डिजिटल युग में डेवलपर्स और इनोवेटर्स को मिली स्वतंत्रता के कारण बौद्धिक संपदा अधिकारों वाले व्यक्तियों, जैसे सद्गुरु, के लिए खतरा बढ़ गया है। ऐसी ‘धोखेबाज वेबसाइट्स’ उनकी बौद्धिक संपदा का दुरुपयोग कर सकती हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा जरूरी है। कोर्ट ने ‘हाइड्रा-हेडेड’ वेबसाइट्स की समस्या पर भी जोर दिया, जो बार-बार नए रूप में सामने आती हैं। ये वेबसाइट्स प्राइवेसी का बहाना बनाकर अपनी पहचान और संपर्क विवरण छिपाती हैं, जिससे इनके संचालकों तक पहुंचना और उल्लंघन रोकना मुश्किल हो जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर, 2025 को होगी।

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