बच्चों के नामकरण में जल्दबाज़ी क्यों ? सोच-समझकर रखें मीनिंगफुल नाम”

why rush in naming your child ? choose a meaningful name with thoughtful consideration : दिल से नाम निकले, तब जाकर वो उम्रभर साथ निभाए…जब एक नन्हा मेहमान इस दुनिया में आता है, तो उसकी पहली पहचान – उसका नाम – ही वो उपहार होता है, जो माता-पिता उसे आजीवन के लिए देते हैं। यही नाम उसका परिचय बनता है, उसकी शख्सियत से जुड़ता है और कई बार उसका भविष्य भी तय करता है। लेकिन अफसोस, आजकल के ट्रेंड्स, सोशल मीडिया पॉपुलैरिटी या सेलिब्रिटी इन्फ्लुएंस के चलते माता-पिता जल्दबाज़ी में बच्चों के नाम रख देते हैं – बिना उसकी गहराई, अर्थ या संस्कृति को समझे। क्या आपने कभी सोचा है, कि नाम सिर्फ एक शब्द नहीं होता, वो भाव होता है, संस्कार होता है और एक जीवन-दर्शन भी होता है।
“बच्चों के नामकरण में जल्दबाज़ी क्यों नहीं करनी चाहिए ? इस विषय पर किन-किन बिन्दुओं का ख्याल करना चाहिए आज का ये लेख इसी विषय पर आधारित है।

नाम में छिपा होता है संस्कारों का बीज
भारतीय परंपरा में नामकरण कोई साधारण प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक संस्कार है जिसे हम “नामकरण संस्कार” से जानते हैं और इसके लिए से विशेष मुहूर्त चुनकर शुभ मुहूर्त पर ही नामकरण किया जाता है। एक सही और अर्थपूर्ण नाम से बच्चे की ऊर्जा, सोच और व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए बच्चों के नाम हमेशा विधिवत और सोच-समझकर रखें।

ट्रेंड की होड़ में नहीं,आपकी पहचान बने नाम
आजकल ट्रेंडी चीजों का बड़ा फैसन है जिसमें नामकरण को भी शामिल कर लिया गया है। अब लोग दिन-तिथि या बच्चे की प्रकृति या देवी देवताओं के नाम छोड़ कर ट्रेंडी नाम रखना पसंद करते हैं लेकिन याद रहे ट्रेंड्स हमेशा बदलते रहते हैं लेकिन नाम बदलना आसान नहीं होता। “आरव”, “कियारा”, “ज़ायन” जैसे नाम भले ही फैशनेबल लगें, लेकिन अगर उसका सार्थक और गहरा अर्थ नही है या वो नाम आपकी संस्कृति से संबंधित नहीं है, तो वो नाम सिर्फ आवाज़ बनकर रह जाएगा , उसमें एहसास की कमी का एहसास हमेशा बना रहेगा।

नाम का उच्चारण और प्रभाव
बच्चों के नाम का उच्चारण आसान, स्पष्ट और अर्थपूर्ण होना चाहिए। एक अजीब या मुश्किल नाम न सिर्फ बच्चे को आगे चलकर बहुत सारे बेवजह सवालों से घेरे में डाल सकता है, बल्कि उसके आत्मविश्वास को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए जो भी नाम रखें उसका अर्थ, उच्चारण और भाव सरल और गहरा होना चाहिए।

जो जीवनभर साथ निभाए, ऐसा हो नाम
नाम वो होता है जिसे बच्चा स्कूल, कॉलेज, नौकरी, समाज हर जगह साथ लेकर चलता है। इसलिए यह जरूरी है कि नाम में ऐसी गरिमा, संस्कृति और सार होना चाहिए जो हर मोड़ पर उसे गौरवान्वित महसूस कराए। कभी भी बच्चों के नाम अटपटे या समझ से परे नहीं रखना चाहिए।

उप-नाम को न माने ओल्ड फैशन
पुराने समय में अधिकांश परिवार अपने बड़े बुजुर्गो के नाम के साथ लगा उपनाम जैसे नाथ, शंकर, दयाल, प्रसाद, प्रताप, नारायण जैसे उपनामों को नवीन पीढ़ी के बच्चों के नामों से जोड़कर न सिर्फ एक पारिवारिक परंपरा का निर्वहन करते थे बल्कि उसे पूरी पीढ़ी के लिए आशीर्वाद स्वरूप मानकर अपनाना जाता था । ये संस्कृति अभी भी कुछ परिवारों में संचालित है जिसके संवर्धन हेतु हमें भी तत्पर होकर नामकरण पर सोच-विचार कर निर्णय लेना चाहिए।

एक ही नाम रखें, लेकिन सोच-समझकर
नाम रखने से पहले यह जरूर सोचें

  • क्या इस नाम का कोई सुंदर, प्रेरणादायक अर्थ है ?
  • क्या यह नाम हमारी भाषा, संस्कृति और समाज के अनुकूल है?
  • क्या यह नाम आने वाले समय में भी प्रासंगिक रहेगा?
  • क्या यह नाम उच्चारण में आसान है?
  • क्या इस नाम के एक के अलावा अनेक अर्थ तो नहीं?
  • क्या यह नाम, मेल-फीमेल दोनों पर लागू होता है ?
  • इत्यादि महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन सोच-विचार के बाद एक सार्थक नाम आपको जरूर मिलेगा।

विशेष:- नाम सिर्फ पुकारने के लिए नहीं होता, वह आत्मा की पहचान होता है। जब आप अपने बच्चे का नाम रखें, तो यह मानकर रखें कि आप उसकी आत्मा को एक अर्थ दे रहे हैं। जल्दबाज़ी से नहीं, बल्कि भावनाओं और संस्कृति के मेल से सोच-समझकर नाम रखें, एक ऐसा नाम, जो हर बार पुकारे जाने पर आपके मन को सुकून दे।
अगर आप नाम चुनने की प्रक्रिया में हैं, तो इस लेख को सेव करें, अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें, और अपने अनुभव या सुझाव नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।

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