Why The Moon Appear Red On The Night Of Karva Chauth: सनातन सभ्यता में करवा चौथ का विशेष महत्व है. इस पर्व में महिलाएँ अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और चन्द्रमा की पूजा करती हैं.
हर वर्ष करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष करवा चौथ की तिथि 31 अक्टूबर 2023, दिन मंगलवार को रात 9:30 शुरू होकर 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा। 1 नवंबर को पूजा शाम के 5:36 से 6:54 बजे तक की रह सकती है. चंद्रोदय रात 8 :26 होगा।
करवा चौथ की रात चन्द्रमा लाल क्यों दिखाई देता है?
ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ में चन्द्रमा शर्म से लाल हो जाता है लेकिन, यह भी कहा जाता है कि इस दिन चन्द्रमा गर्भ से होकर गुजरता है ,जिसके कारण यह लाल दिखाई देता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का वातावरण सूर्य के प्रकाश को बिखेरता है और इसे चन्द्रमा पर परावर्तित करता है, जिससे यह लाल रंग का हो जाता है.
क्यों मनाई जाती है करवा चौथ?
करवा चौथ पति और पत्नी के बीच के प्रेम को दर्शाने वाला बेहद निष्ठापूर्ण व श्रद्धा भाव से उपवास रखने का त्योहार है. यह प्राचीनकाल से मनाया जा रहा है.ऐसी मान्यता है कि पौराणिक काल में पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो उसने अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की.लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी।इस पर सावित्री ने अन्न और जल का त्याग कर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी.
काफी समय तक सावित्री के हठ को देखकर यमराज को उस पर दया आ गई. यमराज ने उससे वर मांगने को कहा.इस पर सावित्री ने कई बच्चों की माँ बनने का वर मांग लिया।सावित्री पतिव्रता नारी थी और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी. यमराज को उसके आगे झुकना पड़ा और सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े.तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सवितीरी का अनुसरण करते हुए निर्जला व्रत करती हैं.
करवा चौथ में पूजन की विधि
करवा चौथ वाले दिन व्रत रखने वाली औरतें सूर्योदय से ठीक पहले उठ जाती हैं। इस दिन महिलाएं न तो भोजन ग्रहण करती हैं ना ही जल. यह पूरी तरह निर्जला व्रत होता है. इसीलिए सूर्योदय से पहले सरगी के नियम का पालन करती हैं। सूर्योदय के बाद महिलाएं स्नान करके भगवान की पूजा एवं निर्जला व्रत करने का संकल्प लेती हैं. शाम को एक बार फिर स्नान करके भगवान की आराधना करने के बाद चंद्रोदय का इन्तजार करती हैं. इसके बाद मंत्र उच्चारण के साथ चन्द्रमा को अर्घ देती हैं फिर अपना व्रत तोड़ती हैं.