कौन हैं कांग्रेस सांसद धीरज साहू, जिनके ठिकानों से मिले 300 करोड़

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Dheeraj Sahu Cash: नोट गिनने में 2 दिन और लगेंगे। नोट गिनने के लिए 6 छोटी और 6 बड़ी मशीने लगाई गई हैं. आयकर विभाग ने 6 दिन दिसंबर को छापेमारी शुरू की थी. 7 दिसंबर तक शराब बनाने वाली कंपनी ‘बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ़ कंपनीज’ कार्यालय में नोटों से भरी 30 आलमारी मिली थीं.

आयकर विभाग ने बुधवार 6 दिसंबर को छापेमारी शुरू की थी. 7 दिसंबर तक शराब बनाने वाली कंपनी बलदेव साहू ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के कार्यालय में नोटों से भरी 30 अलमारी मिली थीं. इनमें से 9 में 500, 200 और 100 रुपए के नोटों के बंडल जब्त किए गए थे. नोटों से भरे कई बैग भी मिले थे. हालांकि इनमें कितना कैश था, इसकी जानकारी आईटी टीम ने नहीं दी. अभी लॉकरों को खोला जाना बाकी है. गुरुवार की शाम 260 करोड़ का कैश मिल चुका था. इसके बाद यह राशि बढ़ती चली गई.

कौन हैं धीरज साहू

23 नवंबर 1955 को रांची में धीरज साहू का जन्म हुआ था. इनके के पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू और मां सुशीला देवी है. रांची के मारवाड़ी कॉलेज से बीए तक पढ़ाई की है. तीन बार राजयसभा सांसद भी रहे हैं. धीरज की एक वेबसाइट है, जिसमें वह खुद को एक कारोबारी भी बताते हैं. पिता राय साहब बलदेव साहू स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल रहे. आजादी के वक्त से ही परिवार कांग्रेस जुड़ा है. ओडिसा की बौद्ध डिस्टलरी उनके परिवार की कंपनी है. झारखंड, ओडिसा और पश्चिम बंगाल तक उनका कारोबार फैला है. इनकम टैक्स ने तीनों राज्यों में उनके 25 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे थे.

राजनीति में युवा कांग्रेस से की शुरुआत

धीरज साहू 1977 में लोहरदग्गा जिला यूथ कांग्रेस में शामिल हुए. भाई शिव प्रसाद साहू रांची से दो बार कांग्रेस सांसद रहे. धीरज साहू साल 2009 में राजयसभा सांसद बने थे. जुलाई 2010 में वो एक बार फिर झारखंड से राज्यसभा के लिए चुने गए. तीसरी बार मई 2018 में फिर से वो राज्यसभा के लिए चुने गए. 2018 में दायर हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 34.83 करोड़ बताई थी. जिसमें 2.04 करोड़ चल संपत्ति की भी जानकारी दी थी. उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं है. हलफनामे में उनके पास एक रेंज रोवर, एक फॉर्च्यूनर, एक बीएमडब्ल्यू और एक पजेरो है.

40 साल से कर रहे देशी शराब का कारोबार

ओडिसा में शराब का बड़ा कारोबार धीरज साहू के रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर है. मूल रूप से झारखंड के लोहरदग्गा जिले की बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ़ कंपनीज ने ओडिसा में 40 साल पहले देसी शराब बनाने का कारोबार शुरू किया था. क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड, किशोर प्रसाद विजय प्रसाद बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड और बलदेव साहू इंफ़्रा प्राइवेट लिमिटेड इसी कंपनी से जुड़ी हुई हैं.

छापेमारी में अभी तक क्या-क्या हुआ?

6 दिसंबर को नोटों से भरी 30 आलमारी मिलीं। लंबे समय से आलमारी में रखे होने के कारण नोटों में नमी आ गई थी, जिसकी वजह से नोट एक दूसरे से चिपक गए थे. नोट गिनने के दौरान 4 मशीने खराब हो चुकीं थी. इस कारण से भुवनेश्वर से 6 बड़ी और 6 छोटी मशीन मंगाई गईं.

बौध जिला स्थित बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों ने 500-500 के नोटों को फाड़कर फेंकना शुरू कर दिया। आयकर के अधिकारियों ने जब देखा तो नोटों को कर लिया।

बलदेव साहू एंड ग्रुप की ओडिसा में 250 से अधिक शराब की दुकाने हैं. आयकर विभाग की छापेमारी के बाद बोलांगीर जिले की 42 दुकानों के कर्मचारी पूछताछ के डर से दुकान बंद कर भाग गए हैं.

देश की बड़ी कंपनियों में शुमार है बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड

बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड भुवनेश्वर से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित बौध जिले में है. यह 40 एकड़ में फैली है. इस ग्रुप के निदेशकों में अमित साहू और उदय शंकर प्रसाद का नाम है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक नोटों की गिनती पूरी होने के बाद ही कंपनी से जुड़े लोगों से पूछताछ की जा सकती है. कहा जाता है कि यह शराब बनाने और बिक्री करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है.

कांग्रेस ने क्या प्रतिक्रिया दी?

कांग्रेस सांसद धीरज साहू के कई ठिकानों में छापेमारी के बाद कई जानकारों का यह कहना है कि आईटी की अब तक की रेड में यह सबसे बड़ी कार्रवाई है. धीरज साहू राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं. लेकिन इस पर अभी तक कांग्रेस के किसी नेता ने प्रतिक्रिया नहीं दी. इस कार्रवाई पर कई लोगों ने कहा कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी जैसे बड़े कांग्रेस नेता सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर कोई नहीं बोला। इससे यही साबित होता है कि कांग्रेस को अपनी गलती नहीं दिखाई देती सिर्फ भाजपा और मोदी के नाम पर सवाल उठाना जानते हैं.

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