Snake Bite Drug: कैसा होता है सांप के जहर का नशा, इंसान मरता क्यों नहीं? स्नेक बाइट पाउडर की क़ीमत सुन बुद्धि खुल जाएगी

snack bite

एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ सांपो के ज़हर न्यूरोटोक्सिन होते हैं, जो एनाल्जेसिया पैदा कर सकते हैं. Neurotoxin मतलब ऐसे पदार्थ, जो नर्वस सिस्टम का माहौल बिगाड़ देते हैं. Analgesia मतलब दर्द न महसूस होना।

What Is Snake Bite drug: रहिमन इस संसार में भांति-भांति के लोग…. हम ये दोहा यहाँ इसलिए गुनगुना रहें हैं क्योंकि इन दिनों अजीब सी चीज मार्केट में छाई हुई है. चीज नहीं नशा… इन दिनों हमारे आस-पास सांप के जहर के नशे की खूब चर्चा है. ये सुन के ही दिमाक चकरा जाता है. अब गांव-शहरों में जिस सांप का भय प्रचलित हैं, रात होते ही गांव वाले बिना टॉर्च लाइट बहार नहीं निकलते, वहीं कुछेक रईस, टाइप के लोग पार्टियों में इसे नशे की सामग्री बनाए रेंगा रहे हैं. यहीं नहीं लोग जबरन जहर निकाल कर उससे नशा करते हैं. कभी-कभी तो लोग सीधे सांप से कटवा भी लेते हैं और इससे लोग ‘भंड’ हो जाते हैं. भंड बोले तो मस्तमौला अवस्था। सीधा-सीधा कहें तो नशा मिलता हैं.

कैसा होता है स्नेक बाइट का नशा

How is snake bite intoxication: चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रीसर्च के शोधकर्ताओं ने हाल ही में स्नेक बाइट लेने वाले लोगों पर एक स्टडी कि. इसमें उन्होंने दो लड़कों पर नजर रखी और देखा कि Snake Bite लेने वाले इन लड़कों के शरीर में इसका क्या इफ़ेक्ट होता है. खबरों की मानें तो जब कोई स्नेक बाइट का नशा करता है तो सांप के काटते ही सबसे पहले उसे एक झटका महसूस होता है. इसके बाद धीरे-धीरे सब धुंधला हो जाता है. इसका नशा करने वाले बताते हैं कि स्नेक बाइट लेने के बाद एक घंटे तक वह पूरी तरह से सुन्न रहते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि नशे के चक्कर में लोगों की मौत भी हो जाती है

कहानी के जरिए से समझते हैं

एक केस स्टडी से बात शुरू करते हैं. ‘Indian Journal of Physiology and Pharmacology’ ने 19 साल के एक लड़के के स्नेक-बाइट एक्सपीरियंस का पूरा ब्योरा निकाला है. केस राजस्थान का है. अपर-मिडल क्लास मारवाड़ी फैमिली का लड़का 11 की ऐज से ही सिगरेट पीता था. 17 तक दिन की 20-20 सिगरेट पीने लगा. बीते 6 साल से शराब का नशा भी करने लग गया. दिन में तीन-तीन बार गांजा भी पीता था. 19 साल की उम्र में उसने हार्ड ड्रग्स लेना शुरू किया. यहां तक कि Cocaine, अफ़ीम, ऐसिड, वग़ैरह-वग़ैरह…. माने पूरी तरह से ‘नशेड़ी’ ही हो गया. फिर उसके दोस्तों ने उसे स्नैक बाईट के नशे के बारे में बताया. पहले तो व्यक्ति डरा जब उसे यक़ीन हो गया कि इससे मरेंगे नहीं, तब उसने तय किया कि वो स्नेक बाइट लेगा.

कहीं और से सांप मंगवाया, ज़हर का असर बढ़ाने के लिए उसके फ्रेंड्स उसे एक केमिकल दिए. कहा कि सांप में ये केमिकल डाल दो. लेकिन वो केमिकल था क्या, इसकी जानकारी उसे नहीं थी. गांजा फूंकने के बाद उसने अपनी जीभ पर स्नैक बाईट ली. जिसके बाद वह तुरंत बेहोश हो गया. कुछ घंटों बाद होश लौटा, लेकिन पूरी तरह नहीं. लड़के ने बताया कि उसे बहुत ख़ुशी हो रही थी, हल्का-हल्का लग रहा था, नींद आ रही थी. और, ऐसा एक हफ़्ते चला. इस दौरान उसने कोई और नशा नहीं किया. 7 दिन बाद वो पूरी तरह नॉर्मल हो गया. इसके बाद कई महीनों तक लगातार स्नेक बाइट लिया. इसकी खबर उसकी फैमिली को मिली, तो उसे हॉस्पिटल ले जाया गया. सांप के काटने की जगह पर मांसपेशी में कोई डैमेज नहीं था.

उसके कई टेस्ट हुए. सब नॉर्मल आया. बस उसे पसीना बहुत आ रहा था, हांथ कांप रहे थे और चाल लुंजपुंज थी. शरीर में गांजा और अफ़ीम मिले, मगर नियमित जांच के सभी नतीजे नॉर्मल थे.मेन्टल स्टेटस के मूल्यांकन में नींद न आना, सिगरेट-शराब की लत, चिड़चिड़ा रवैया, नशीली दवाओं के सेवन के लिए पूर्व व्यस्तता और कमज़ोर आंखें. खैर, ये बताना मुश्किल था कि ये लक्षण उसे सांप के काटने की वजह से थे या सालों के नशों की लत की वजह से.

हमने आपको ये कहानी इसलिए बताई कि एक्सपर्ट्स का कहाँ है कि व्यक्ति की हिस्ट्री का फ़र्क़ पड़ता है. सालों-साल कड़े परिश्रम के साथ लड़के ने जो नशा किया था, उससे शरीर कुछ और ‘Tolerant’ हो गया था. मुमकिन है कि अगर वो नशे का फ़र्स्ट-टाइमर होता, तो वो बीमार.. बहुत बीमार हो सकता था

कब तक रहता है इसका प्रभाव

इंटरनेट पर जब हमने इससे जुड़ी जानकारी पर रीसर्च किया तो कई जगह हमें ये लिखा मिला कि इसका नशा लेने के बाद शरीर पर इसका हैंगओवर कम से कम पांच दिनों तक रहता है. हां सही सुना अपने 5 days. पहले और दूसरे दिन तो इसका नशा काफी तेज होता है. इसका नशा बहुत डेंजर होता है, यही वजह है कि भारत सहित दुनिया के कई देशों में ये illegal है. अगर कोई ये नशा करता पकड़ा जाए तो उसे सजा भी हो सकती है. एल्विश यादव पर अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें भी सजा होगी.

स्नेक बाइट ड्रग्स बनता कैसे है?

देश में कुल 30 प्रतिशत ही सांप जहरीले पाए जाते हैं. इनमें कुछ का जहर सीधे भेजे (दिमाग) में पड़ता है और पैरालिसिस अटैक आता है. जबकि कुछ का असर खून में होता है जिससे खून ज़मने लगता है. आमतौर पर नशे का लिए इस जहर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका असर मगज पर पड़ता है.

सांप के जहर से नशा बनाते वक़्त बेहद मुस्तैदी बरती जाती है। खासतौर पर डोज हल्का हो इसका विशेष ध्यान दिया जाता है. जहर में कुछ केमिकल मिले जाते हैं, ताकि डोज हल्का रहे और सामने वाले को नशा हो कुछ घंटों के लिए दिमाग सुन्न पड़ जाए. बात अगर कोबरा और वाइपर की करें तो इनका जहर खून को जमा देता है.

सांप के जहर का नशा बाकि के नशे से अलग कैसे?

आमतौर पर जो नशा आसानी से उपलब्ध है उस नशे से सांप के जहर का नशा, नशा High वाला है। यहां तक कि आम ड्रग्स जैसे Meth, Hash के नशे से तेज है. इसका नशा काफी देर तक शरीर में रहता है. लेकिन कई बार यह खतरनाक भी साबित हो जाता हैं. अगर गलती से भी किसी ने सांप के जहर से बने नशे का ओवर डोज ले लिया उसकी मौत भी हो सकती है.

बता दें कि जो रेव पार्टी का नया टीटिम्मा चला है उसमें युवा सांप के जहर से नशे का इस्तेमाल करने लगे हैं. भाई साहब यहां तक की लोग स्नेक बाईट करवाते भी हैं. ऐसी पार्टी में सपेरे सांपों को लेकर पार्टी में पहुंचते हैं और लोगों को उनसे कटवाया जाता है.

स्नेक-बाइट पाउडर की क़ीमत

Price of snake bite powder: दिल्ली में एक ग्राम स्नेक-बाइट पाउडर की क़ीमत लगभग 20,000-25,000 रुपये है. नारकोटिक्स अधिकारियों का अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में आधा लीटर सांप का ज़हर लाखों रुपये में बिकता है. ख़ैर, ये तो नशा-पुराण भई. लेकिन नशा करने के लिए आपको लाखों रुपये या इतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है. दिल्ली की हवा आपके लिए पर्याप्त हानिकारक है.

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