मदरसा बोर्ड धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन: लखनऊ HC

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10 सितंबर 2022 से 15 नवंबर 2022 तक मसरसों का सर्वे कराया है. इस समयावधि को बाद में 30 नवंबर तक बढ़ाया गया. इस सर्वे में प्रदेश में लगभग 8441 मदरसे ऐसे मिले थे, जिनकी मान्यता नहीं थी. सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 550, बस्ती में 350 और मुजफ्फरनगर में 240 मदरसे बिना मान्यता मिले थे. राजधानी लखनऊ में 100 मदरसों की मान्यता नहीं थी.

UP Madrasa Board Ban, UP Madrasa Board News: इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ़ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 (UP Board of Madrasa Education Act 2004) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है. इसके साथ ही यूपी सरकार को एक स्कीम बनाने को कहा है, ताकि मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सके. 22 मार्च को अंशुमान सिंह राठौड़ की याचिका पर जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।

8441 मदरसे बिना मान्यता चल रहे

10 सितंबर 2022 से 15 नवंबर 2022 तक मसरसों का सर्वे कराया है. इस समयावधि को बाद में 30 नवंबर तक बढ़ाया गया. इस सर्वे में प्रदेश में लगभग 8441 मदरसे ऐसे मिले थे, जिनकी मान्यता नहीं थी. सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 550, बस्ती में 350 और मुजफ्फरनगर में 240 मदरसे बिना मान्यता मिले थे. राजधानी लखनऊ में 100 मदरसों की मान्यता नहीं थी. इसके अलावा, प्रयागराज-मऊ में 90, आजमगढ़ में 132 और कानपुर में 85 से ज्यादा मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले थे.

सरकार के मुताबिक, प्रदेश में फ़िलहाल 15 हजार 613 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने मदरसों की जांच के लिए SIT का गठन किया था. SIT मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है.

यूपी मदरसा बोर्ड कानून क्या है?

यूपी मदरसा बोर्ड एजुकेशन एक्ट 2004 का उद्देश्य उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित कानून था. जिसे राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था. इस कानून के तहत मदरसों को न्यूनतम मानक पूरा करने पर बोर्ड से मान्यता मिल जाती थी.

मदरसा एक्ट का लक्ष्य

यूपी मदरसा बोर्ड एजुकेशन एक्ट का उद्देश्य मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और उन्हें आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना है. साथ ही छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना भी है. हालांकि इस कानून का विरोध भी होता रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि यह कानून मदरसों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करने से रोकता है.

सहायता राशि से चलने वाले मदरसे होंगे बंद

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मदरसों को मिलने वाली अनुदान राशि अब बंद हो जाएगी। यूपी सरकार के सर्वे में पाया गया था कि सरकार के पैसे से मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी. जबकि कोर्ट ने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ माना है.

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