Dual Degree | यूजीसी ने बदला नियम एक साथ दो डिग्रियाँ भी ले सकते हैं छात्र

UGC Dual Degree New Rule News In Hindi: भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत कई परिवर्तनकारी कदम उठाए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक है विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा एक साथ दो शैक्षणिक डिग्रियों की मान्यता। अप्रैल 2022 में यूजीसी द्वारा जारी दिशानिर्देशों को लागू करने के बाद, यह नीति अब पूरी तरह प्रभावी हो चुकी है। 9 जून 2025 तक, यूजीसी ने इस नीति को पूरी तरह लागू कर दिया है, जिसके तहत छात्र अब एक साथ दो डिग्री प्रोग्राम्स (नियमित, ऑनलाइन, या डिस्टेंस मोड में) पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा, पहले से प्राप्त ऐसी डिग्रियों को भी मान्यता दी जा रही है, जिससे लाखों छात्रों को राहत मिली है।

दो डिग्रियों की मान्यता

परंपरागत रूप से, भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक समय में केवल एक डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई की अनुमति थी। इस नियम ने मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा और लचीलेपन की संभावनाओं को सीमित कर दिया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने इस दिशा में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके परिणामस्वरूप यूजीसी ने अप्रैल 2022 में “एक साथ दो शैक्षणिक डिग्री प्रोग्राम्स की पढ़ाई” के लिए दिशानिर्देश जारी किए।

दो शैक्षणिक डिग्रियों के नियम और दिशानिर्देश

  • एक डिग्री नियमित (फुल-टाइम) मोड में हो सकती है, और दूसरी डिग्री ऑनलाइन या ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) मोड में।
  • दोनों डिग्रियाँ नियमित मोड में भी हो सकती हैं, बशर्ते विश्वविद्यालयों की कक्षाएँ समय-सारणी में टकराव न करें।
  • एक छात्र बीए (इतिहास) नियमित मोड में और बीकॉम ओपन लर्निंग मोड में कर सकता है। दोनों डिग्री प्रोग्राम्स की पात्रता शर्तों को अलग-अलग पूरा करना होगा।
  • विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोनों प्रोग्राम्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया और शैक्षणिक आवश्यकताएँ पारदर्शी हों।
  • दोनों डिग्रियों को यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों या संस्थानों से होना चाहिए।
  • पहले से प्राप्त दो डिग्रियों (जो यूजीसी के नियमों के अनुरूप थीं) को भी वैध माना जाएगा।

शैक्षणिक लचीलापन

यह नीति स्नातक (UG), स्नातकोत्तर (PG), और डिप्लोमा प्रोग्राम्स पर लागू होती है। डिग्रियों का संयोजन मल्टी-डिसिप्लिनरी हो सकता है, जैसे विज्ञान के साथ कला या प्रबंधन के साथ तकनीकी कोर्स। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) के तहत दोनों डिग्रियों के क्रेडिट्स को अलग-अलग गिना जाएगा। विश्वविद्यालयों को क्रेडिट ट्रांसफर और समय-सारणी प्रबंधन में लचीलापन बरतने का निर्देश दिया गया है। हालांकि पीएचडी में यह रूल लागू नहीं होगा।

दो डिग्रियों से लाभ

मल्टी-स्किल्ड प्रोफेशनल्स की माँग को देखते हुए, यह नीति छात्रों को विविध क्षेत्रों में रोजगार के लिए तैयार करेगी। उदाहरण के लिए, एक बीटेक और एमबीए की डिग्री वाला छात्र तकनीकी और प्रबंधकीय दोनों भूमिकाओं के लिए योग्य होगा।
यह नीति NEP के तहत लचीली, समावेशी, और मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा के दृष्टिकोण को लागू करती है। यह छात्रों को अपनी रुचियों और कैरियर लक्ष्यों के अनुसार पढ़ाई चुनने की स्वतंत्रता देती है।

सामाजिक और शैक्षणिक प्रभाव

यूजीसी का एक साथ दो डिग्रियों को मान्यता देने का फैसला भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक कदम है। यह नीति न केवल छात्रों को लचीलेपन और मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा का अवसर देती है, बल्कि भारत को वैश्विक शिक्षा और नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाती है। यह नीति छात्रों को अपनी रुचियों और कैरियर लक्ष्यों के अनुसार पढ़ाई चुनने की स्वतंत्रता देती है। खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए ऑनलाइन/डिस्टेंस मोड एक वरदान साबित हो सकता है। संस्थानों को अपनी पाठ्यक्रम संरचना और समय-सारणी में बदलाव करना होगा। यह ऑनलाइन शिक्षा के विकास को भी बढ़ावा देगा। हालाँकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए विश्वविद्यालयों, यूजीसी, और सरकार को बुनियादी ढाँचे, गुणवत्ता नियंत्रण, और जागरूकता पर ध्यान देना होगा। यह NEP 2020 की भावना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में भारतीय शिक्षा को और समृद्ध करेगा।


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