Tulsi Vivah 2025 Muhurat : इस मुहूर्त में करें तुलसी विवाह, मिट्टी में गाड़ दें ये चीज; मनोकामना होगी पूरी 

Tulsi Vivah 2025 Muhurat : देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु 6 महीने बाद नींद से जागते हैं और सभी को दर्शन देते हैं। एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु ने तुलसी माँ से विवाह किया था, इसलिए इस दिन तुलसी पूजा भी होती है। आइये जानते हैं कि एकादशी व्रत में तुलसी पूजा कैसे करनी है…

देवउठनी एकादशी व्रत कब करना है?

इस साल तुलसी विवाह के समय एक ज्योतिषीय बाधा “भद्रा” की अनहोनी आ रही है, जिससे लोग यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं कि सही तिथि और समय पर विवाह पूजा कब करनी चाहिए। बता दें कि देवउठनी एकादशी की तिथि सुबह 9:12 बजे शुरू होकर 2 नवंबर की शाम 7:32 बजे तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि 2 नवंबर को शुरू होगी, जो सुबह 7:31 बजे से 3 नवंबर की सुबह 5:07 बजे तक चलेगी। इसलिए, देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर को मनाया जाएगा और तुलसी विवाह समारोह 2 नवंबर 2025 को किया जाएगा। ध्यान दें कि 1 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे से रात 2:56 बजे तक भद्रा काल रहेगा, जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं। अतः तुलसी विवाह का आयोजन भद्रा के बाद, यानी 2 नवंबर को ही किया जाएगा।

एकादशी को करें विष्णु भगवान और तुलसी का विवाह 

माना जाता है कि मां तुलसी देवी लक्ष्मी का रूप हैं, जिन्होंने वृंदावन में जन्म लिया था। इस दिन तुलसी का पौधा दुल्हन के रूप में माना जाता है और भगवान विष्णु को शालिग्राम के रूप में दूल्हा माना जाता है। महिलाएं भजन और शादी के गीत गाती हैं, साथ ही मंगलाष्टक मंत्र का जप किया जाता है।

तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त (2025)

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:50 से 5:42 बजे तक  
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:42 से 12:26 बजे तक  
विजय मुहूर्त – दोपहर 1:55 से 2:39 बजे तक  
गोधूलि मुहूर्त – शाम 5:35 से 6:01 बजे तक  
अमृत काल – सुबह 9:29 से 11:00 बजे तक  
त्रिपुष्कर योग – सुबह 7:31 से शाम 5:03 बजे तक  

इन शुभ मुहूर्तों में तुलसी विवाह करना सबसे अधिक फलदायी माना गया है। इस दिन शुभ कार्य करने का अच्छा समय इन मुहूर्तों में से चुना जाना चाहिए, ताकि यह कार्य सफल और मंगलमय हो सके।

विवाह के लिए एकादशी पर करें ये उपाय 

अगर आपकी शादी में देरी हो रही है तों आप एकादशी के दिन तुलसी विवाह पर हल्दी और सुपारी का उपाय कर सकते हैं। आपको तुलसी के पौधे की मिट्टी में शाम के समय हल्दी की एक साबुत गांठ में कालावा लपेट कर सुपारी के साथ गाड़ देना है। ऐसा करते समय आपको अपनी मनोकामना भी कहनी है। 

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