Interesting Hindi Stories/ हिंदी कहानी : हर बार यही सोचते मेरी ज़िंदगी की शाम हो गई कि शायद अब राज सुधर जाएगा , उसे मुझसे थोड़ा तो प्यार हो ही जाएगा और अब उसे मुझपर तरस आ ही जाएगा ,उसे दिखेगा कि मै उसके ज़ुल्म सहते-सहते कितना थक गई हूँ ,अब मै वो 18 साल की अल्हड़ सी लड़की नहीं हूँ जो सब हँसी में टाल देती थी अब तो मुझे हँसी भी नहीं आती और मै बूढ़ी दिखने भी लगी हूँ ! फिर एक सवाल दिल में आया कि उसे कैसे पता होगा कि मै बूढ़ी दिखने भी लगी हूँ जब वो मुझे ग़ौर से देखता ही नहीं।
इन्हीं सवालों में घिरी थी कि मेरे बेटे राम ने कहा माँ तुम पापा को छोड़ो ,चलो मेरे साथ ,मेरा ग्रेजुएशन हो गया है अब मै कोई छोटी मोटी नौकरी कर लूँगा पर हम पापा के साथ नहीं रहेंगे मैंने मुस्कुराते हुए कहा- बेटा परदेस में ज़िंदगी बहोत मुश्किल होती है ,एक-एक तिनका फिर जोड़ना पड़ेगा ,और तुझे भी बड़ी स्ट्रगल करनी पड़ेगी अभी तो तुझे अच्छी नौकरी मिल नहीं जाएगी इसलिए सब्र कर ,थोड़ा और पढ़ाई कर ले फिर कोई अच्छी नौकरी मिलेगी तब मै भी नौकरी छोड़कर तेरे साथ चल दूँगी। मेरी बात सुनकर राम तो ख़ामोश हो गया पर मेरा मन न शांत हुआ यूँ लगा जैसे मै ख़ुद को ही धोखा दे रही हूँ ,अभी भी मै राज को छोड़ना नहीं चाहती , मुझे अब भी इंतज़ार है उसकी मोहब्बत का पर अफ़सोस मेरे इस इंतज़ार और मोहब्बत की आस की सज़ा मेरे बच्चे भुगत रहे हैं मै क्या करूँ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ,अब तो मेरा जी भी मेरा साथ नहीं दे रहा था, बूढ़ी जो हो चली थी ,हलक़ में फंसे आँसुओं के काँटे न मुझे जीने दे रहे थे न मरने। राज ने अपनी हर हद पार कर दी थी लेकिन मै घर की इज़्ज़त और मोह के आगे नहीं निकल पा रही थी शायद ये दहलीज़ मेरे लिए मौत का सामान थी।
राज के लिए मै खुली किताब थी लेकिन वो मेरे लिए शादी के 25 साल बाद भी अनबूझ पहेली बना हुआ था। ख़ैर कुछ दिन और बीत गए इसी तरह और एक दिन राम मेरे पास आया और कहने लगा माँ अपना ख्याल रखना मै कल मास्टर्स के लिए बाहर जा रहा हूँ मैंने कहा ठीक है और वो चला गया , कुछ दिन बाद राज ने मुझसे पैसे माँगे तो मैंने कहा राज अभी मुझे राम के कॉलेज की फीस देनी है नहीं तो मै तुम्हे दे देती बस इतना कहना था कि राज को ग़ुस्सा आ गया और उसने गाली गलौज करना शुरू कर दिया मै आज भी उसे सही रास्ता दिखाना चाहती थी बताना चाहती थी कि ऐसे ज़िंदगी नहीं कटती तुम भी कुछ काम करो लेकिन उसके तेवर देखकर मै चुप रही और जा कर लेट गई कुछ बुख़ार जैसा महसूस हो रहा था ऑफिस से आकर मै वैसे भी थक जाती थी ,हालाँकि राज अब भी मुझे गलियाँ दे रहा था पर मैंने सुनी अनसुनी कर दी और कम्बल सर से ओढ़ लिया पर अचानक गर्मी लगी और मैंने करवट ले ली कि इतने में राज मेरे ऊपर गिरते गिरते बचा और मैंने हैरानी से उसे देखा तो वो मेरे बिस्तर के किनारे से उठ कर ये कहता हुआ चला गया कि आज बच गई हो रोज़ नहीं बचोगी मै कुछ समझ नहीं पा रही थी लेकिन इतने में मेरी नज़र बिस्तर के कोने में धंसे चाकू पर पड़ी और मै समझ गई कि राज मुझ पर हमला करते हुए गिर गया था क्योंकि मै अचानक अपनी जगह से खिसक गई थी।
फिर मै बहोत परेशान हो गई और मैंने अपने कमरे के दरवाज़े खिड़कियाँ अच्छे से बंद कर लिए , इस डर से नहीं कि हर बार मेरी क़िस्मत मेरा साथ नहीं देगी या अगली बार राज मुझे मार ही डालेगा बल्कि इस डर से कि अगर मै मर गई तो मेरे बेटे राम का क्या होगा अभी तो उसे मेरी ज़रूरत है। रात भर यही सोचती रही कि अब क्या करूँ लेकिन कुछ न सूझा राज को पैसे दूँ भी तो कब तक और कितने उसकी माँग जितने तो मेरे पास हैं भी नहीं , और जो हैं भी तो क्यों मै उसे जुए-सट्टे में लगाने को दूँ ! मुझे मेरे सवालों का जवाब नहीं मिला और सुबह हो गई मै राज से बहोत डर रही थी कि वो फिर चिल्लाना शुरू कर देगा पर वो घर में कहीं नज़र नहीं आया और मैंने जल्दी से खाना बनाया और तैयार होकर ऑफिस चली गई।
शाम को फिर डरते -डरते घर पहुँची तो भी राज नहीं दिखा खाना देखा तो टेबल पर वैसा ही रखा था जैसे मै ढाँक कर रख गई थी, कुछ भी घर में बिखरा नहीं था मै समझ गई की वो घर आया ही नहीं इसी तरह दो दिन बीत गए और अगली सुबह डोर बेल बजी तो मुझे लगा राज ही है पर दरवाज़ा खोला तो देखा दो पुलिस वाले थे ,उन्होंने पूछा आप ही प्रिया रॉय हैं मैंने कहा जी वो बोले आपको हमारे साथ चलना पड़ेगा हमें एक लाश मिली है हमें शक है वो आपके पति की है आपको शनाख़्त करनी है मुझे लगा ऐसा नहीं हो सकता वो नहीं मर सकता बूढी तो मै हुई हूँ वो थोड़े ही फिर भी मै चल पड़ी। जब लाश देखी तो वो राज ही था मेरी चीख़ निकल गयी मै नहीं नहीं.. चिल्लाने लगी जैसे मुझे मेरे इंतज़ार के ख़त्म हो जाने का बहोत दुख हुआ हो।कुछ दिनों बाद पता चला कि राज का मर्डर हुआ था और पुलिस ने शक की बिना पर किसी औरत को गिरफ्तार किया है मुझे भी बुलाया गया गवाही हुई तो मैंने उस औरत को पहचानने से इंकार कर दिया पुलिस ने कहा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ़ है कि कोई भारी चीज़ राज के सिर पर मारी गई है जिससे उनकी मौत हुई है।
पर उस औरत के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था सिवाए साड़ी के पल्लू के और कुछ लोगों की गवाही के ,जिससे पता चला था कि राज उस औरत के पास गया था। मामला साफ़ था मेरी नज़र में क्योंकि मै राज की आदत से वाक़िफ़ थी, ये भी जानती थी कि राज की गन्दी फरेब से भरी दुनिया में कुछ औरतें अपनी मर्ज़ी से शामिल हैं और कुछ मजबूरी से ,उन्हीं की तरह वो इसे भी गंदगी में घसीटना चाहता रहा होगा और उसके मना करने पर ये हादसा हुआ होगा ,पर पुलिस केवल शक कर रही थी उस औरत पर ,मुझे केस फ़ाइल करने के लिए कहा गया लेकिन मैंने मना कर दिया और कहा मुझे किसी पे शक नहीं है। अगले दिन वही औरत मेरे घर आई मुझसे कहने लगी आपका बहोत -बहोत शुक्रिया आपने केस फाइल नहीं किया वरना मेरे छोटे-छोटे बच्चों का क्या होता ,पर मै आपको बताना चाहती हूँ कि मैंने ही आपके पति को मारा है मै उन्हें मारना नहीं चाहती थी पर अपनी इज़्ज़त बचाने के चक्कर में मेरे हाँथों उनका खून हो गया.. और इतना कहते ही मैंने उसे बीच में ही रोका और कहा मै सब जानती हूँ ,तुम जाओ और ये सब भूल जाओ। बस ये उसका आख़री सितम था ,तुम पर भी और मुझ पर भी।
