आप को नहीं लगता ,आज की दुनिया में हर शख़्स परेशान सा है!

न्याज़िया मंथन। सब कुछ होते हुए भी हम जीवन का आनंद नहीं ले पाते कभी अपनी तो कभी अपनों की उलझनें हमें परेशान कर देती हैं जबकि हम या तो... Read More

ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है!

न्याज़िया मंथन। ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है जिसका जवाब ढूंढना बहुत मुश्किल है,जैसे - क्यों है? किसके लिए है? और अपने लिए नहीं है तो क्यों नहीं है... Read More

क्यों हमें दुनिया अच्छी नहीं लगती

मंथन। आपको नहीं लगता ये दुनिया बहुत खूबसूरत है बस हमारे पास इसे देखने का खूबसूरत नज़रिया होना चाहिए और अगर ये नज़रिया सबके पास हो तो कोई दुनिया से... Read More

हम क्या कर सकते हैं ?हमें तो कुछ नहीं आता !

न्याज़ियामंथन। अक्सर जब हम बेवक़्त या मजबूरी के चलते काम की तलाश में निकलते हैं तो हम खुद को ही अधूरे से लगते हैं ये लगता है कि अभी तो... Read More

सब कुछ सबके नसीब में नहीं होता…

न्याज़ियामंथन। बहुत बार दिल नहीं मानता कि हर चीज़ हमें नहीं मिल सकती, हमारी कोशिशें नाकाम होती रहती हैं और हम उसे पाने की ज़िद में अपनी एनर्जी और वक़्त... Read More

किसी भी प्यार को पाने के लिए साधना करनी पड़ती है, जो छूट गया वो…

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कभी-कभी हमारे पैर तो आगे बढ़ जाते हैं पर हम आगे नहीं बढ़ पाते, हमारा दिल दिमाग पिछली बातों को भूल नहीं पाता, उन लोगों के... Read More

क्या महिला, पुरुष एक दूसरे से बिल्कुल जुदा सोच रखते हैं ?

न्याज़ियामंथन। क्या औरत का दिल आदमियों से कुछ अलग धड़कता है उसके एहसासात, जज़्बात कुछ अलग होते हैं जिन्हें किसी पुरुष के लिए समझना इतना मुश्किल होता है कि औपचारिक... Read More

इस तरह वक्त तो गुज़र जाता है…

न्याज़िया मंथन। जब हम खाली होते हैं तो मनोरंजन के साधन ढूंढते हैं दिल बहलाने के लिए ,खुद को थोड़ा हुनरमंद साबित करने के लिए कुछ नया बनाने की कोशिश... Read More

कैसे चुनें परफेक्ट जीवनसाथी !

न्याज़ियामंथन। क्या आप जानते हैं हमसफर में ऐसा क्या देखें !जिसके आगे सब फीका पड़ जाए ,शायद बहुत से लोग नहीं जानते इसीलिए हमारी युवा पीढ़ी हमसफर चुनने के पहले... Read More

क्या आप अपनी आजीविका से खुश हैं ?

न्याज़ियामंथन। जी हां आपका वो काम जिससे आपका जीवन यापन होता है रोज़ी , रोटी ,कमाने का ज़रिया! अगर नहीं हैं तो अपनी आजीविका तलाशने से पहले ,खुद को समझने... Read More

क्या ज़िंदगी से मायूस हो जाना सही है

न्याज़ियामंथन। जब किसी मुश्किल का हल न समझ आए, ग़मों की अंधेरी रात ढलने का नाम ही न ले तो क्या ज़िंदगी से मायूस हो जाना, रुक जाना सही है,... Read More

क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी

न्याज़िया मंथन। क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी है कि उसने कुछ ग़लत किया है जबकि उसे अपनी ग़लती का ख़ुद से एहसास... Read More