छोटी मोटी परेशानियां अच्छी हैं!

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कि हमेशा हम डरते रहते हैं कि किसी परेशानी में न पड़ जाए और हमारे अपने हमारे लिए परेशान न हो जाएं लेकिन कभी आपने सोचा... Read More

क्या वास्तव में औरत कंमजोर है!

न्याज़ियामंथन। औरत कौन होती है वो लड़की जिसकी क़ुव्वत क़ुदरत धीरे-धीरे उसे बता देती है इसके बावजूद दुनिया कहती है कि वो कमज़ोर है और वो कभी-कभी तो मान भी... Read More

‘नमन्ति फलनो वृक्षा, नमन्ति गुणतोजना, शुष्क कास्ठानि मुर्खाश्च नमति कदाचन’

न्याज़ियामंथन। क्या आपके पास भी कुछ लोग ऐसे हैं जो आपसे बहुत बड़े हैं उम्र में या रुतबे में लेकिन आपकी हर बात ग़ौर से सुनते हैं, आपको अहमियत देते... Read More

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

न्याज़ियामंथन। क्या ये मानना मुश्किल है कि हममें भी कोई कमी है ? हज़ार ग़लतिया दूसरों की निकाल लेना और अपनी एक भी न ढूंढ पाना सही है ? नहीं... Read More

हर समय दुखी रहने से हम हो जाते है अकेले!

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कि हर वक़्त दुखी रहने से हम अकेले रह जाते हैं शायद इसलिए कि कोई भी बहुत देर तक रोना नहीं चाहता, आपसे थोड़ी सहानुभूति दिखाने... Read More

क्या अपनी तारीफ करना सही है?

न्याज़ियामंथन। माना कि हम बहोत गुणीं हैं बहुत क़ाबिल हैं पर क्या अपनी तारीफ करना सही है ?अपने लिए बड़े-बड़े दावे करना सही है? कहीं ये कॉन्फिडेंस ,ओवर कॉन्फिडेंस तो... Read More

आख़िर क्या चाहते हैं हम!

न्याज़ियामंथन। क्या हम सब जानते हैं कि आखिर हमें क्या चाहिए ? हमारा सुख कहां छुपा है ? क्या ,उसकी तलाश में हैं हम ?या फिर दुखी मन से बस... Read More

क्या आज बस हम संघर्ष कर रहे हैं, जूझ रहे हैं अपनी जी जान से?

न्याज़िया बेगम, मंथन/ कल की एक ख़ुशी का उस लम्हे का जिसमें हमें खुशियों का सामान जुटाना है अपने लिए, अपने अपनों के लिए पर क्या ये सही है? क्या... Read More

क्या सरल, सीधा होना ही साधारण होना है ?

न्याज़िया बेगममंथन। नहीं न? सरलता क्या है हम आसानी से सामने वाले कि बात मान लेते हैं या उसकी सुविधा के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं, ज़ाहिर है जिसकी... Read More