सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों की समस्याओं से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने बुधवार को कहा कि जब कुछ राज्य अपना विकास दिखाना चाहते हैं तो वे दावा करते हैं कि उनकी प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक है। लेकिन जब सब्सिडी लेने की बात आती है। तो वही राज्य दावा करते हैं कि उनकी 75% आबादी गरीब है। इन तथ्यों का सामंजस्य कैसे हो सकता है।
एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि हमें इस बात की चिंता है कि क्या गरीबों को दिया जा रहा लाभ उन लोगों तक पहुंच रहा है जो इसके हकदार नहीं हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों की समस्याओं से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस दौरान उसने केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में कुछ राज्यों के विरोधाभासी रुख पर चिंता जताई।
SUPREME COURT ने मुफ्त राशन वितरण की रिपोर्ट मांगी
इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर राशन कार्ड जारी करने के लिए आवेदन करने वाले 30 करोड़ लोगों में से 8 करोड़ को अभी तक राशन कार्ड नहीं दिए गए हैं। कोर्ट (SUPREME COURT) ने सरकार से मुफ्त राशन वितरण पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही कहा कि सरकार गरीबों को राशन कार्ड मुहैया कराने के लिए प्रभावी तंत्र बनाए। यह मामला कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों से जुड़ा है।
केंद्र से स्थिति स्पष्ट करने को कहा
2021 में सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने सरकार को सभी प्रवासी मजदूरों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत करने और उन्हें मुफ्त राशन मुहैया कराने का आदेश दिया था। लेकिन अब तक इस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पाया है, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। हालांकि, केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत करीब 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मुहैया करा रही है और 11 करोड़ अन्य लोग इसी तरह की एक अन्य योजना के तहत कवर हैं।