दुनिया की सबसे पुरानी सभयताओ में गिने जाने वाले देश “भारत ” की खोज क्या वाकई 15वीं शताब्दी में एक पुर्तगाली नाविक द्वारा हुई थीं. शायद आपमें से बहुतों के दिमाग में कभी न कभी ये बात जरूर आई होगी लेकिन हमें बचपन से यही पढ़ाया जाता है. हमारे स्कूल की किताबों में सभी जगह इसी बात का जिक्र होता है कि भारत की खोज वास्को दी गामा ने 1498 में की थी। उससे पहले क्या’भारत का वजूद नहीं था? क्या भारतीयो को दुनिया के भूगोल की जानकारी नहीं थी ? तो चलिए जानते हैं क्या है भारत की खोज की सच्चाई:
क्यों हुई भारत की खोज
इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि भारत का व्यापर सिंधु घाटी सभ्यता के समय से मध्य एशियाई देशों जैसे मेसोपोटामिया (mesopotamia) के साथ होता रहा है। धीरे-धीरे ये बढ़ते हुए पुरे एशिया महाद्वीप तक होने लगा। अरब साम्राज्य के उदय के साथ भारत का व्यापर यूरोप तक जा पहुंचा। भारत के व्यापारी अपना माल अरब के व्यापारियों को बेचा करते थे और अरब के व्यापारी उसके बाद ये माल यूरोप के व्यापारियों को बेच दिया करते थे। अरब के व्यापारियों द्वारा यूरोप वासीयों से हमेशा इस बात को छुपा कर रखा गया कि मसालें, मोती और बाकी सामग्रियों का उत्पादन कहाँ किया जाता है. यूरोप वासी अरब पार के देशों से परिचित नहीं थे. यूरोप से भारत आने के अरब ईरान वाले रास्ते का इस्तेमाल अरब मुल्कों द्वार किसी और मुल्क को नहीं करने दिया जाता था. दूसरा रास्ता रशिया(Russia) और चाइना(China) होते हुए हिमालय को पार कर आने का था जो बहुत लम्बा और जोखिम से भरा था और लगभग नामुमकिन था। तीसरा रास्ता था समुद्री मार्ग द्वारा।
यूरोप वासियों द्वारा समुद्री मार्ग से भारत को खोजने का निर्णय लिया गया. सबसे पहले 1492 ईस्वी में क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) भारत की खोज के लिए निकला लेकिन वह भटककर अमेरिका (America ) जा पंहुचा। इसके बाद 8 जुलाई 1497 को Vasco di Gama अपने 4 जहाजों और 170 से अधिक लोगों को लेकर भारत के समुद्री मार्ग की खोज के लिए निकल पड़ा। कई समुद्री तूफानों और मुसीबतों से गुजरते हुए वास्को डी गामा अफ्रीका के केप ऑफ़ गुड होप (Cape of good Hope ) को पार करते हुए हिन्द महासागर में दाखिल हो गया। अंततः 20 मई 1498 को एक नए समुद्री मार्ग से होते हुए भारत आ पहुंचा। वह भारत में केरल के कालीकट तट से दाखिल हुआ और तीन महीने तक भारत में रहा।
वास्को डी गामा की इस यात्रा से भारत और यूरोप के मध्य सीधा व्यापर संबंध स्थापित हो गया। यहाँ पर यह कहना कि वास्को डी गामा ने भारत की खोज की, किसी joke से काम नहीं है बल्कि वास्को डी गामा ने भारत पहुंचने के सबसे आसान रास्ते की खोज की। भारत की गुलामी के कारण यहाँ की शिक्षा पद्धति अँग्रेजों के विचारों से बहुत हद तक प्रभावित है और भारत को नीचा देखने के लिए इस बात को गलत तरीके से फैलाया गया कि भारत की खोज Vasco di Gama ने की, बल्कि भारत की सभ्यता और संस्कृति हज़ारों सालों से पूरी दुनिया में जानी जाती है। इस लिए वास्को डी गामा को केवल एक नए समुद्री मार्ग की खोज का श्रेय दिया जाना चाहिए न कि भारत की खोज का।