ग्वालियर को भारत का जिब्रालटर क्यों कहा जाता है

Why Gwalior Fort Called Gibraltar Of India

Why is Gwalior called the Gibraltar of India: ‘मंदिरों का शहर’ और ‘तानसेन की नगरी’ के रूप में विख्यात शहर ग्वालियर को भारत के “जिब्रालटर” की संज्ञा दी गई है। ग्वालियर शहर अपने अंदर एक विशाल इतिहास को संजोए हुए है। उसी इतिहास का गवाह रहा है ‘ग्वालियर का प्रसिद्ध किला’ (Gwalior Fort) जिसका निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से हुआ है। यह किला गोपाचल पर्वत पर 350 फीट की ऊंचाई पर बना है, इसकी नींव का निर्माण कछवाहा राजा सूरजमल ने पांचवी शताब्दी में करवाया। जिसे राजा मान सिंह तोमर ने किले का रूप प्रदान किया।

ग्वालियर के किले को भारत का जिब्रालटर और विश्व का दूसरा जिब्रालटर भी कहा जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक सीधी लड़ाई में इस किले के अपराजित रहने के कारण ही इसे जिब्रालटर की उपाधि दी गई। अर्थात सीधी लड़ाई में आज तक इस किले पर कोई कब्ज़ा नहीं कर पाया है। gibraltar का मतलब ही होता है अभेद्य किला।

जिब्राल्टर क्या है

What is Gibraltar: जिब्रालटर यूरोप के दक्षिणी छोर पर स्पेन के पास स्थित एक ब्रिटिश उपनिवेश है। ऐतिहासिक रूप से यह ब्रिटेन के सशस्त्र बालों और शाही सेना (royal navy) का बेस रहा है। ग्वालियर के किले पर 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजी हुकूमत का कब्ज़ा होने के बाद किले को सेना की छावनी के रूप में प्रयोग किया गया। यही कारण है कि किले को जिब्रालटर कहा गया।

किसी किले के अभेद्य होने का मुख्य कारण किले का दुर्गम रास्ता और वहां रसद और पानी की पर्याप्त व्यवस्था होना है। ग्वालियर के किले की ऊंचाई लगभग 400 फीट होने के कारण यहाँ दुश्मन आसानी से नहीं आ सकते हैं, किले के अंदर ही पानी के पर्यापत साधन मौजूद हैं, सेना अंदर ही खेती भी कर सकती है और पर्याप्त संख्या में बाग़ और फलदार वृक्ष लगे हुए है जिससे किले के अंदर लम्बे समय तक रहा जा सकता है और युद्ध के समय दुश्मन की सेना बाहर इंतज़ार ही करती रह जाएगी। जिब्रालटर के अलवा ग्वालियर के किले में ही ये सारी सुविधाएं मौजूद है। इन्ही सब विशषताओं के कारण ग्वालियर का किला भारत का जिब्रालटर कहलाता है और सम्राट बाबर ने इसे “हिन्द के किले के बीच मोती ” के रूप में वर्णित किया है।

ग्वालियर के किले की संरचना

ग्वालियर के किले की गिनती भारत की सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों में होती है। ग्वालियर शहर और किले की स्थापना सूरज सेन ने ग्वालिपा ऋषि के नाम पर की थी। लम्बी और’सकरी पहाड़ की चोटियों पर बलुआ पत्थर’से इस किले का निर्माण किया गया। ग्वालियर का किला हिन्दू, अफगान , तुर्की, मुग़ल और अंग्रेजी शासन का साक्षी रहा है। यह किला 2.5 किमी लम्बा और 1 किमी चौड़ा है। इस किले के अंदर कई भव्य महल और मंदिर मौजूद हैं । जिनमे प्रमुख हैं:

मान मंदिर

Maan मंदिर का निर्माण सन 1486 में तोमर राजा मान सिंह ने करवाया था। यह अपनी बेहतरीन कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से जितना सुन्दर है अंदर से उतना ही डरावना। मंदिर के नीचे बने तहखाने आज भी कैदियों को दी गई यातना को चीख चीख कर बयां करते हैं।

तेली का मंदिर

Teli Mandir का निर्माण प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज ने करवाया था। यह मंदिर मूलतः विष्णु को समर्पित था। बाद में शिवलिंग स्थापित कर इसे शिव मंदिर बनाया गया। यह मंदिर उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली का अद्भुत नमूना है।

गुज़री महल

Gujri Mahal इस महल का निर्माण राजामान सिंह ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए करवाया था।

इसके अलावा मंदिर में कई ऐतिहासिक स्मारक, बौद्ध और जैन मंदिर, सहस्त्रबाहु मंदिर, मान सिंह’महल, शाहजहां महल, कर्ण महल, जहांगीर महल, विक्रम महल, और भीम सिंह की छतरी मौजूद है। किला दो भागो में बटा है: मुख्य किला और महल। गूजरी महल को पुरातात्विक संग्रहालय में बदल दिया गया है जहाँ पहली शताब्दी की कुछ दुर्लभ मूर्तियां रखी गई है।

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