Stock Market F&O Expiry latest Updates: आपको बताएं कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने हाल ही में एक अहम फैसला लेते हुए कहा है कि अब से सभी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट (ऑप्शन्स) की साप्ताहिक एक्सपायरी सिर्फ मंगलवार या गुरुवार को ही होगी. दरअसल अब तक अलग-अलग एक्सचेंज जैसे NSE और BSE पर अलग-अलग दिन एक्सपायरी होती थी, जिससे बड़ा स्पेक्युलेशन और अधिक ट्रेडिंग का शोर बना रहता था. सेबी का कहना है कि इस बदलाव से बाजार में अनुशासन और पारदर्शिता आएगी.
गौरतलब है कि, एक्सपायरी-हर महीने के अंतिम गुरुवार को होती है. इस दिन सभी सौदे सेटल करने होते है अगर आपको सौदा आगे बढ़ाना है तो रोलओवर करना होता है.
मंगलवार या गुरुवार क्या होगा असर
दोनों ही दिन (Tuesday/Thursday) पर एक्सपायरी के लिए 5 ट्रेडिंग सेशन होते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसका सीधा असर ट्रेंड, लिक्विडिटी और ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी पर पड़ेगा.
Tuesday Expiry Impact
ट्रेडिंग के लिए शुक्रवार, सोमवार और मंगलवार जैसे 3 प्रभावी दिन मिलते हैं.ऑप्शन सेलर्स के लिए थीटा डिके (समय मूल्य का क्षय) ज़्यादा फायदेमंद है. खरीदारों को भी समय ज़्यादा मिलता है दिशा पकड़ने के लिए.
Thursday Expiry Impact
एक्सपायरी से पहले सिर्फ मंगलवार और बुधवार मिलते हैं. तेजी से घटते समय मूल्य के कारण रणनीति बनाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है. शुक्रवार की ट्रेडिंग पूरी तरह मिस हो जाती है.
अब NSE और BSE जैसे एक्सचेंजों को 15 जून तक बताना होगा कि वे किस दिन एक्सपायरी चाहते हैं. मंगलवार या गुरुवार, पहले जो ट्रेडर्स दोनों एक्सचेंजों की अलग एक्सपायरी पर रणनीति बनाते थे (Expiry Arbitrage) अब वो नहीं कर सकेंगे.
Trading पर Impact
शुरुआती समय में इंट्राडे वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) बढ़ सकती है, क्योंकि सभी पोजिशन एक ही दिन पर सिमटेंगी. लेकिन लंबी अवधि में क्लीनर प्राइस डिस्कवरी और बेहतर दिशा वाले ट्रेड्स की उम्मीद है. अब सट्टेबाज़ी वाली ट्रेडिंग कम होगी और निवेशक ज़्यादा सोच-समझकर हिस्सा लेंगे.
ब्रोकर और निवेशकों पर क्या होगा असर
ब्रोकर फर्म्स की कमाई पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ट्रेडिंग वॉल्यूम बस दिन बदलकर रहेगा. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि शॉर्ट टर्म में ब्रोकर की इनकम और भी बढ़ सकती है क्योंकि ट्रेडर्स नए नियमों के हिसाब से खुद को ढालने में ज़्यादा सक्रिय होंगे. सेबी के इस कदम से भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ज़्यादा पारदर्शिता, कम सट्टेबाज़ी और बेहतर प्लानिंग की दिशा में बड़ा बदलाव आएगा. अब ट्रेडर्स को भी स्मार्ट रणनीति बनाकर चलना होगा, क्योंकि हर हफ्ते बस एक ही दिन की एक्सपायरी होगी.