Madhya Pradesh Vidhansabha Chunav: केंद्रीय नेतृत्व अब मध्य प्रदेश में सीएम फेस बदलते देखना चाहता है. पार्टी ऐसा पिछले चुनाव के बाद से सोचने लगी है. शिवराज सिंह चौहान ने खुद को इस पोजीशन में बनाए रखने के लिए बहुत जद्दोजहत की मगर अब वो भी समझ गए हैं कि हर बार उन्हें सीएम का दावेदार नहीं बनाया जा सकता।
एमपी विधानसभा चुनाव: मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान जितने उत्साह के साथ विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए उतरे थे, चुनाव नजदीक आते ही वे उतने ही भावुक होने लगे हैं. यह बात किसी से छिपी नहीं रह गई है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सीएम चौहान को साइडलाइन करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन अब ऐसा समझ में आ रहा है कि शिवराज सिंह चौहान खुद को ही अब प्रदेश की राजनीति से डिटैच कर रहे हैं. CM चौहान के हालिया भाषण ने इसी तरफ इशारा किया है. बुधनी पहुंच कर उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा – ”चुनाव लड़ूं या नहीं?” और इससे पहले उन्होंने कहा था ”मैं चला जाऊंगा, तब बहुत याद आऊंगा”
सीएम शिवराज ने पुछा- चुनाव लडूं या नहीं
मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार 3 अक्टूबर को अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी गए थे. पातालेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार का भूमिपूजन करने के बाद उन्होंने जनता को संबोधित किया। इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ऐसी बातें कह गए जिसने मध्य प्रदेश की राजनीति में नई आशंकाओं को जन्म दे दिया।
अबतक तो यही समझ में आ रहा था कि बीजेपी के चुनाव जीतने पर इस बार पार्टी एमपी की कमान 5वीं बार शिवराज सिंह चौहान को नहीं सौंपेगी। लेकिन अब लग रहा है कि शिवराज सिंह चौहान खुद की प्रदेश की राजनीति से खुद को अलग कर देंगे।
अपने निर्वाचन क्षेत्र बुधनी की जनता को संबोधित करते हुए सीएम चौहान ने पुछा ‘चुनाव लडूं या नहीं?, यहां से चुनाव लडूं या नहीं? हालांकि उनके इस प्रश्न का जवाब जनता ने ‘मामा-मामा’ के नारों से दे दिया।
ऐसा भैया मिलेगा नहीं। जब मैं चला जाऊंगा तब याद आऊंगा तुम्हें।’
बुधनी में दिए ‘चुनाव लडूं, न लडूं’ वाले बयान से पहले शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर की पब्लिक को भाषण देते हुए इमोशनल बातें कही थीं. उन्होंने कहा था- ऐसा भैया मिलेगा नहीं। जब मैं चला जाऊंगा तब याद आऊंगा तुम्हें।’
यानी शिवराज सिंह चौहान जनता को यह जाताना भी चाहते हैं कि अगली बार प्रदेश की अवाम उन्हें 5वीं बार सीएम बनते नहीं देख पाएगी।
कांग्रेस बोली- अपना विदाई समारोह आयोजित कर रहे
सीएम चौहान के ऐसे बयानों ने कांग्रेस को कटाक्ष कसने के लिए पर्याप्त कंटेंट दे दिया है. उनके हालिया स्टेटमेंट के बाद एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ कसा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा- मप्र के मुख्यमंत्री की विडंबना तो देखिए कि अब वे मंच से अपने जाने की बात खुद ही करने लगे हैं. ये भाजपाई राजनीति का अजब दौर है, जब खुद ही वे अपना विदाई समारोह आयोजित कर रहे हैं. खुद ही विदाई भाषण दे रहे हैं. लेकिन एक विशेष विरोधाभास ये है कि विदाई की इस बेला में जनता की आंख में आंसू नहीं हैं. बल्कि बीजेपी सरकार के जाने और कांग्रेस के आने की ख़ुशी में जनता के चेहरों पर मुस्कान है. कांग्रेस मुस्कान की गारंटी है.
आखिर सवाल ये है कि अगर सीएम चौहान मध्य प्रदेश के सीएम दावेदार नहीं हैं तो उन्हें चुनाव बाद क्या पद दिया जाएगा? क्या 4 बार के सीएम सिर्फ एक मंत्री बनकर रह जाएंगे या उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी इससे भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी? पार्टी के अंदर नेताओं के बीच जो भी मसला चल रहा हो, इतना तो पक्का है कि मामा को मध्य प्रदेश का मोह नहीं छूट रहा है.