रीवा के CMHO डॉ. संजीव शुक्ला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, विधायक ने CM से मांगी उच्च स्तरीय जांच

CMHO Dr. Sanjeev Shukla

Serious allegations of corruption against Rewa CMHO Dr. Sanjeev Shukla: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्वास्थ्य विभाग के मुखिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजीव शुक्ला, गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में आ गए हैं। जिले के गुढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक नागेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। यह सनसनीखेज मामला जनपद सदस्य एवं समाजसेवी रमाकांत त्रिपाठी की शिकायत पर आधारित है, जिसमें डॉ. शुक्ला पर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और मनमानी का विस्तृत आरोप लगाया गया है। विधायक सिंह ने सीएम को भेजे गए पत्र में जोर दिया है कि ये आरोप तथ्यपरक हैं और सीधे तौर पर जनहित से जुड़े हैं, जिससे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर हो रही है।

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डॉ. संजीव शुक्ला पर लगे मुख्य आरोप

  • अवैध पंजीयन: नियमों को ताक पर रखकर कई प्राइवेट क्लीनिकों और नर्सिंग होमों का अवैध रूप से पंजीयन करना।
  • भर्ती में मनमानी: आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में पारदर्शिता की अनदेखी करते हुए मनपसंद लोगों को नियुक्तियां देना।
  • नियम विरुद्ध नियुक्ति: चिकित्सकीय स्टाफ का योग्यता और नियमों की अनदेखी कर नियम विरुद्ध संलग्नीकरण (नियुक्ति)।
  • खरीदी में घोटाला: दवा एवं उपकरण खरीदी में भंडार क्रय नियमों का खुला उल्लंघन, टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता और कम गुणवत्ता वाली सामग्री की खरीदी।
  • बजट का दुरुपयोग: सीआरएम भ्रमण के लिए आवंटित बजट की बंदरबांट और अधिकारियों-कर्मचारियों में उसका मनमाना बंटवारा।

विधायक ने की तत्काल जांच की मांग

विधायक नागेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि डॉ. संजीव शुक्ला के खिलाफ तत्काल उच्च स्तरीय जांच शुरू की जाए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे और आम जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। शिकायतकर्ता रमाकांत त्रिपाठी ने अपने मूल पत्र में सभी आरोपों के संबंध में सबूत और विस्तृत विवरण संलग्न किए हैं। इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद रीवा जिले के राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। स्थानीय नागरिक स्वास्थ्य विभाग में बड़े सुधार की मांग कर रहे हैं।

फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग या डॉ. संजीव शुक्ला की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय इस शिकायत को गंभीरता से ले रहा है। यह मामला मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उच्च स्तरीय जांच से कई और बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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