रीवा में चुनाव से पहले टूटने लगी कांग्रेस! पदाधिकारी क्यों दे रहे इस्तीफा? जानें इनसाइड स्टोरी

Siddharth Tiwari Vs Ajay Singh MP Congress

रीवा कांग्रेस दो धड़ में बंट गई है. एक पक्ष पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सिद्धार्थ तिवारी राज के समर्थन में है तो दूसरी तरफ एक गुट पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के साथ खड़ा है.

Rewa Congress Vivad: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है. रीवा जिले के कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने बगावत शुरू कर दी है. कांग्रेस, विंध्य क्षेत्र की सीटों पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है, और इस पीक टाइम में रीवा के कांग्रेस नेताओं में पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है.

रीवा में कांग्रेस के नेता सोशल मीडिया में ”जहां संघर्ष व उसकी निष्ठा की कद्र न हो वहां रहना उचित नहीं” लिखकर अपने इस्तीफे को पोस्ट कर रहे हैं. अबतक दर्जनों पदाधिकारियों ने कांग्रेस छोड़ दी है.

दरअसल पूरा विवाद विधानसभा सीटों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर है. रीवा कांग्रेस के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सिद्धार्थ तिवारी राज (Siddharth Tiwari Raj) को उनकी मनचाही सीट ‘त्योंथर’ टिकट न मिलने और उनकी जगह रामशंकर पटेल को यहां से उम्मीदवार बनाए जाने की खबरें ही कांग्रेस में फूट का कारण बनीं हैं.

रीवा में कांग्रेसी इस्तीफा क्यों दे रहे?

कांग्रेस पार्टी छोड़ने की चिंगारी सबसे पहले शहर के वार्ड 26 से पार्षद स्वतंत्र शर्मा ने जलाई, उनके बाद एक-एक करके अन्य कांग्रेस नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस को छोड़ने का त्यागपत्र सोशल मीडिया में अपलोड करना शुरू कर दिया। इन पोस्ट्स को पढ़कर समझ में आता है कि पूरा विवाद वरिष्ठ कोंग्रेस नेता अजय सिंह राहुल, सिद्धार्थ तिवारी और कपिध्वज सिंह के इर्द-गिर्द घूम रहा है. अब दिल्ली-भोपाल में बैठे नेता इसी चिंता में पड़े हैं कि कहीं ये चिंगारी विंध्य में कांग्रेस की बड़ी जीत के सपने को खाख न कर दे.

अबतक कांग्रेस से पार्षद और MIC मेंबर स्वतंत्र शर्मा, जिला महामंत्री, किसान कांग्रेस प्रदेश सचिव, अभिषेक तिवारी NSUI प्रदेश सचिव, जिला सचिव युवा कांग्रेस, आईटी सेल प्रभारी और पूर्व सरपंचों सहित कई कार्यकर्ताओं ने बगावत कर दी है.

कांग्रेस के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार विंध्य में जन आक्रोश यात्रा को लीड कर रहे अजय सिंह राहुल, त्योंथर सीट से अपने चहेते रामशंकर पटेल को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं. अजय सिंह राहुल उन्हें कांग्रेस की चुनावी मीटिंग (CEC) में भी साथ लेकर गए थे. उन्होंने पार्टी के नेतृत्व मंडल से रामशंकर पटेल को त्योंथर से सीट देने की शिफारिश की है और उनकी मंशा सिद्धार्थ तिवारी को गुढ़ सीट देकर यहां से कपिध्वज सिंह का पत्ता काटना है.

सिद्धार्थ को त्योंथर सीट क्यों चाहिए?

सिद्धार्थ तिवारी की पसंदीदा सीट त्योंथर है. वे पिछले 2 साल से त्योंथर की जनता को अपनी तरफ शामिल करने का काम भी कर रहे हैं. सिद्धार्थ की पसंद त्योंथर इसी लिए है क्योंकि उनके दादा और कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व पंडित श्रीनिवास तिवारी यहां से दो बार विधायक रहे हैं. ऐसा कहा जाता है कि त्योंथर की जनता अभी भी श्रीनिवास तिवारी और उनके बेटे स्व सुंदर लाल तिवारी को अहमियत देती है. इसके अलावा यहां ब्राह्मण बहुल हैं इसी लिए काफी समय से त्योंथर सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार जीतते आए हैं.

कांग्रेस छोड़ रहे लोगों का कहना है कि अजय सिंह राहुल अपने खानदानी मतभेद को आज भी जीवित रखे हुए हैं. उनके पिता अर्जुन सिंह (मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री) और श्रीनिवास तिवारी के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे. इसके अलावा वे नहीं चाहते की विंध्य में उनसे बड़े कद वाला कोई दूसरा ठाकुर नेता तैयार हो इसी लिए अजय सिंह, सिद्धार्थ तिवारी को गुढ़ सीट दिलवाकर कपिध्वज सिंह को साइड लाइन करना चाहते हैं.

सिद्धार्थ को प्रदेश का महामंत्री बना दिया

8 अक्टूबर को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सिद्धार्त तिवारी को कमेटी का ‘महामंत्री’ मनोनीत कर दिया। उन्हें यह पद बिना किसी मांग दे दिया गया. सिद्धार्थ को कांग्रेस कमेटी में कोई भी पद चाहिए ही नहीं था उन्हें तो सिर्फ त्योंथर सीट से टिकट की दरकार थी. सूत्रों का कहना है कि सिद्धार्थ को महामंत्री पद दिया नहीं थोंपा गया है. उनसे त्योंथर सीट छीनकर महामंत्री पद का झुनझुना पकड़ा दिया गया है ताकि वे शोर ना मचाएं। कांग्रेस को लगा कि शायद महामंत्री बनने के बाद सिद्धार्थ तिवारी का गुस्सा ठंडा हो जाएगा लेकिन हुआ वही जिसका पार्टी को डर था. सिद्धार्थ के समर्थकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देना शुरू कर दिया।

कांग्रेस चुनाव कमेटी की बैठक दो दिन पहले संपन्न हुई है. पहली लिस्ट में लगभग 100 सीटों में उम्मीदवारों की घोषणा की जा सकती है. इस लिस्ट में कई नेताओं के नाम फाइनल हो गए हैं और कइयों को लेकर अभी भी असामंजस्य है. लेकिन इतना स्पष्ट है कि कांग्रेस की पहली लिस्ट आने के बाद पार्टी में अंदुरनी विरोध जमकर होने वाला है और इसका असर चुनाव में दिखाई भी देगा।

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