RBI लगातार तीसरी बार Repo Rate में करेगा कटौती! Loan EMI घटेगी?

RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की इसी हफ्ते होने वाली बैठक में क्या आम जनता को फिर से ब्याज दरों में कटौती की राहत मिलेगी? वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी MPC की बैठक 4 जून से लेकर 6 जून तक होने वाली है. जिस पर निवेशकों से लेकर बैंकों और आम जनता की भी नज़रें टिकी हुई है. पिछले लगातार दो बार से आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है, जिसके कारण होम लोन, कार लोन, कॉरपोरेट लोन जैसे लोन सस्ते हुए हैं.

लगातार तीसरी बार होगी ब्याज दरों में कटौती?

मौद्रिक नीति समिति की बैठक से यह उम्मीद है कि लगातार तीसरी बार भी ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. यदि ऐसा हुआ तो लोन और ज्यादा सस्ते हो जाएंगे, जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी. रेपो रेट यानी वह ब्याज दर, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक लोन देता है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. यदि आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में कटौती की जाती है तो इससे बैंकों को सस्ता लोन मिलता है, जिसका फायदा आम जनता को सस्ते लोन और कम ईएमआई के रूप में मिलता है.

2 बार हो चुकी है इतनी कटौती

RBI ने फरवरी 2025 में 0.25% की कटौती की थी. Aur फिर अप्रैल 2025 में भी 0.25% की कटौती की गई. लगातार 2 बार रेपो रेट में हुई कटौती के बाद रेपो रेट 6% पर आ गया. आरबीआई द्वारा की गई ब्याज दरों में इस कटौती के पीछे का मकसद मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना है.

जून में फिर राहत की उम्मीद?

RBI की 2024 25 के वार्षिक रिपोर्ट में यहां अनुमान लगाया गया है कि अगले साल मुद्रास्फीति 4% के आसपास बनी रहेगी. इस लक्ष्य के अनुसार बाजार में कटौती की संभावना है. ट्रेड वॉर और ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण वैश्विक बाजारों में अभी भी अनिश्चितता की स्थिति है, जिसे देखते हुए आरबीआई भी सतर्क रुख अपना सकती है.

सेंट्रल बैंक ने साल 2025-26 के लिए GDP Growth का अनुमान 6.5% सेट किया है. जिससे भी आरबीआई की नीतिगत दरों में कटौती की संभावना जताई जा रही है. बार्कलेज की मुख्य अर्थशास्त्री आस्था गुदवानी का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितता के कारण आरबीआई रेपो रेट में कटौती से बच सकता है.

रेपो रेट में फिर से हुई कटौती तो क्या होगा असर?

जून 2025 की एमपीसी बैठक में बाजारों में कटौती की जाती है तो इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दर कम हो सकती है, जिससे आम आदमी पर EMI का बोझ भी कम होगा. इसके अलावा रेपो रेट में कटौती होने से कॉर्पोरेट निवेश और निजी खपत को भी बढ़ावा मिलता है. इसके बारे में आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा पहले ही उल्लेख कर चुके हैं. रेपो रेट में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में तरलता और बढ़ सकती है. और यदि रेपो रेट को स्थिर रखा जाए तो मौजूदा लोन और ईएमआई के दरों में कोई बदलाव नहीं होगा.

Repo Rate में कटौती करने ना करने वाले कारक

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया जून 2025 की एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कटौती करता है या नहीं यह कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे, आर्थिक वृद्धि, संभावित मुद्रास्फीति और वैश्विक परिस्थितियां, यदि मुद्रा स्थिति नियंत्रण में रहती है तो आरबीआई के द्वारा कटौती की जा सकती है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता के माहौल के कारण आरबीआई के द्वारा तटस्थ रुख भी अपनाया जा सकता है.

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