Pegasus Spyware: क्या है पेगासस सॉफ्टवेयर, इससे जासूसी कैसे होती है?

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Pegasus Spyware एक बार फिर से चर्चा में है. इस स्पाई सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों की जासूसी की जाती है. अभी हाल ही में भारत के विपक्षी नेताओं ने सरकार के ऊपर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार हमारे ऊपर पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी कर रही है. Pegasus को इस्राइली कंपनी NSO Group ने बनाया है. लेकिन क्या आपको इससे डरने की जरुरत है? आइये जानते हैं.

Pegasus क्या है?

What is Pegasus in Hindi: पेगासस एक हैकिंग सॉफ्टवेयर- या स्पाइवेयर है. इसे इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा दुनिया भर की सरकारों के लिए विकसित, विपणन और लाइसेंस दिया गया है। इसमें आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले अरबों फोन को संक्रमित करने की क्षमता है।

एक बार जब यह आपके फोन तक पहुंच जाता है, तो यह आपके द्वारा भेजे या रिसीव किए गए MSG को कॉपी कर सकता है, आपकी फोटो ले सकता है और आपकी कॉल रिकॉर्ड कर सकता है। सरल शब्दों में जानते हैं. इस सॉफ्टवेयर को ‘मैलवेयर’ कहते है. ऐसा कोई मैलवेयर अगर किसी डिवाइस मतलब कंप्यूटर, मोबाइल फोन या टैब में डाल दिया जाए तो उस डिवाइस की सारी जानकारी निकाली जा सकती है. सारी मतलब सारी. यह गुप्त रूप से आपके फोन के कैमरे के माध्यम से आपकी फिल्म बना सकता है, या आपकी बातचीत को रिकॉर्ड करने के लिए माइक्रोफ़ोन को सक्रिय कर सकता है। यह संभावित रूप से पता लगा सकता है कि आप कहां हैं, आप कहां थे और आप किससे मिले हैं।

कैसे पकड़ा गया था पेगासस?

एक सवाल तो जरूर मन में आता है कि जब कोई सॉफ्टवेयर इतना हाईटेक है तो पकड़ा कैसे गया. पेगासस का सबसे पुराना वर्जन, जिसे रिसर्चर्स ने 2016 में पकड़ा गया था. दरअसल अगस्त 2016 में अरब मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने वाले अहमद मंसूर को टेक्स्ट MSG आया। उन्हें एक सीक्रेट मैसेज मिला, जिसमें UAE में कैद सैनिकों के बारे बताया गया था. मंसूर ने इस मैसेज को टोरंटों की सिटीजन लैब में भेजा, जिन्होंने ने जांच में पाया कि टेक्स्ट MSG के साथ आये लिंक में एक स्पाईवेयर छिपा हुआ है. किसी फ़ोन में मैलवेयर को इम्प्लांट करने के इस तरीके को सोशल इंजीनियरिंग कहते हैं.

कैसे पता करें अपने फ़ोन में पेगासस?

Pegasus को धरदबोचना काफी मुश्किल काम है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप फोन में मौजूद स्पाईवेयर का पता लगा सकते हैं. पता लगाने का सबसे बढ़िया तरीका बैटरी लाइफ और डाटा कंजप्शन है. ऐसा इसलिए जब कोई सॉफ्ट वेयर आपके मोबाइल फोन में रहेगा और सारा दिन एक्टिव रहेगा तो, जाहिर सी बात है कि इसका असर आपकी बैटरी पर पड़ेगा ही.

दूसरा कि इस स्पाईवेयर के बाद डेटा हैकर या मेन सर्वर को सेंड करना होता है. इस प्रोसेस में अच्छा खासा डेटा ख़त्म होता है और यहां पर आपको किसी स्पाईवेयर के होने का अंदेशा लगेगा क्योंकि आपका डेटा जरुरत से ज्यादा खर्च होगा।

इसके आलावा भी आपके फोन में कुछ साइन दिखेंगे। दरअसल, एंड्रॉयड हो या iOS फोन में कैमरा व माइक्रोफोन के एक्टिव होने में कुछ लाइट्स जलती दिखती हैं. इस लाइट से आपको पता चलता है कि आपका फोन यूज हो रहा है.

स्टोरेज और लावारिस ऐप्स का होना भी स्पाईवेयर के मौजूदगी के संकेत देते हैं. कई बार यूजर्स को उनके फोन में अनजान ऐप्स मिलते हैं. ऐसे ऐप्स जिन्हे आपने कभी डाउनलोड ही नहीं किया हो. ऐसे ऐप्स का होना भी फोन में स्पाईवेयर के होने का संकेत है.

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