इस महत्वाकांक्षी बिल को एक देश-एक चुनाव बिल या एक देश-एक चुनाव बिल कहें, यह बिल (ONE NATION ONE ELECTION LOKSABHA) कोई साधारण बिल नहीं,,,
DELHI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का सबसे महत्वाकांक्षी बिल वन नेशन-वन इलेक्शन लोकसभा (ONE NATION ONE ELECTION LOKSABHA) में मंजूर हो गया है। यह पहली चुनौती थी जिसे इस बिल ने पार कर लिया है। लेकिन इस बिल का कानून बनना अभी भी बहुत मुश्किल है। इसकी वजह है बीजेपी का नंबर गेम, जो न तो लोकसभा में है और न ही राज्यसभा में। हालांकि लोकसभा और राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत होते हुए भी इस बिल का फंसना तय था।
कोई साधारण बिल नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महत्वाकांक्षी बिल को एक देश-एक चुनाव बिल या एक देश-एक चुनाव बिल कहें, यह बिल (ONE NATION ONE ELECTION LOKSABHA) कोई साधारण बिल नहीं है। जिसे लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत और फिर हस्ताक्षर के बाद पारित किया जा सके। राष्ट्रपति के इस पर कानून बनाना चाहिए। यह विधेयक एक संविधान संशोधन विधेयक है। जिसका पूरा नाम संविधान (129वां) संशोधन विधेयक 2024 है। जिसे आम भाषा में एक देश-एक चुनाव विधेयक या एक देश-एक चुनाव विधेयक कहा जा रहा है।
ONE NATION ONE ELECTION LOKSABHA का गणित
अब चूंकि यह बिल एक संवैधानिक संशोधन बिल है। इसलिए इसे लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत से पारित नहीं किया जा सकता है। बल्कि इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है और बीजेपी के पास न तो लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत है और न ही राज्यसभा में।
लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543
आइए इसे थोड़ा और विस्तार से समझे तो लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543 है। दो-तिहाई बहुमत के लिए 362 सांसदों का समर्थन जरूरी है। बीजेपी के पास कुल 240 सांसद हैं। एनडीए के सभी घटक दलों के सांसदों को जोड़ने के बाद भी बीजेपी की संख्या 292 है।
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बीजेपी को कम से कम 70 सांसदों के समर्थन की और जरूरत
इसका मतलब यह है कि लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए बीजेपी को अभी भी कम से कम 70 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। फिलहाल बीजेपी को वह समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है। राज्यसभा में भी कहानी कमोबेश ऐसी ही है। राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 243 है। दो-तिहाई बहुमत के लिए 162 सांसदों का समर्थन चाहिए। जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास राज्यसभा में कुल 112 सांसद हैं। 6 मनोनीत सांसद हैं, तो उनके पास संख्या 118 है। फिर भी बीजेपी के पास राज्यसभा में 44 सांसद कम हैं।
दो तिहाई बहुमत खेल से दूर नजर आ रहा
ऐसे में ये तय है कि ये बिल फंस जाएगा। फिलहाल बिल को जेपीसी के पास भेज दिया गया है। ऐसे में संभव है कि जेपीसी में चर्चा के दौरान बीजेपी कुछ विपक्षी दलों को अपने पाले में कर ले और कुछ और सांसदों को इस बिल के पक्ष में वोट करने के लिए मना ले। लेकिन फिर भी बीजेपी के पास संख्या बल है। दो तिहाई बहुमत खेल से दूर नजर आ रहा है।