Pandit Jawaharlal Nehru Last Time In Hindi: पंडित नेहरु आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। एक समय उनकी छवि विश्व नेता की बन गई थी। लेकिन 1962 में हुए चीन के विश्वासघात और युद्ध ने उन्हें बहुत मानसिक आघात दिया था। इसकी की वजह से देश और देश के बाहर भी उनकी छवि पर बहुत असर पड़ा था। इस युद्ध ने कहीं ने कहीं ने उन्हें मानसिक रूप से बहुत निराश कर दिया था। इसका असर उनके उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ा। और उनकी तबीयत गिरने लगी। मृत्यु से चार महीने पहले ही नेहरू भुवनेश्वर में आयोजित कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में शामिल होने गए थे जहाँ उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ना प्रारंभ हो गई थी। और रोज डॉक्टर्स द्वारा उनकी नियमित जांच की जाती थी।
कैसे बीता पंडित नेहरु का अंतिम समय
अपनी मृत्यु से करीब 5 दिन पहले ही पंडित नेहरु देहरादून गए थे। 26 मई 1964 को नेहरु देहरादून से 8 बजे लौटे थे। सोने से पहले उन्होंने कई फ़ाइलों और दस्तावेजों को को देखा। आमतौर वह काफी लेट सोते थे, लेकिन उस दिन वह जल्दी ही सोने चले गए। हालांकि बार-बार करवट बदलते रहने के बावजूद भी उन्हें नींद नहीं आ रही थी। वह कई बार पीठ दर्द की शिकायत भी कर रहे थे, लेकिन किसी को बताने के लिए भी मना कर रहे थे। जिसके बाद उनके विश्वस्त सहयोगी नत्थू ने उन्हें नींद की गोली देकर सुलाने की कोशिश की। नींद की गोली लेने के बाद भी अगली सुबह 27 मई को सुबह जल्दी उठ गए।
पंडित नेहरु की मृत्यु
बाद में सुबह नत्थू ने सुबह उठकर नेहरु के स्वास्थ्य की जानकारी दी। जिसके बाद डाक्टरों को बुलाया गया और पता चला पंडित नेहरु की बड़ी धमनी डैमेज हो गई है। जिसके बाद नेहरु बेहोश हो गए और कोमा में चले गए। दोपहर 1:44 पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर अपनी आटोबायोग्राफी बियोंड द लाइंस मेइन लिखते हैं, कि पंडित नेहरु का निधन रात में ही हो गया था। वह करीब 1 घंटे बाथरूम में बेहोश पड़े थे।
दोपहर 2 बजे की गई संसद में घोषणा
27 मई से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। जिसमें पंडित नेहरु को शेख अब्दुल्लाह और कश्मीर मुद्दे पर कुछ जवाब देना था। लेकिन जब वह नहीं पहुंचे तब बताया गया, प्रधानमंत्री की तबीयत अचानक खराब हो गई है। दोपहर 2 बजे स्टील मंत्री के,. सुब्रह्मण्यम संसद आए और उन्होंने बुझे हुए स्वर मेइन केवल इतना कहा- “रोशनी बुझ गई है”। जिसके बाद संसद स्थगित हो गई और कुछ घंटों बाद ही गुलजारी लाल नंदा को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री घोषित किया गया।
हिंदू रीति रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार
तिरंगे मेइन लिपटे उनके शरीर को पहले अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। फिर अगले दिन 28 मई को यमुना नदी के किनारे शांतिवन में हिंदू रीति-रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में करीब 1.5 मिलियन लोग शामिल हुए।
देश भर में बिखेरी गई उनके अस्थियों की राख
रीति-रिवाजों के अनुसार उनकी अस्थियाँ प्रयाग ले जाकर गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया और उनकी इच्छानुसार राख को हेलिकॉप्टर से देश भर के अलग-अलग हिस्सों में बिखेर दिया गया।
मेज पर मिली अंडरलाइन कविता
अंतिम समय में पंडित नेहरु ने सुप्रसिद्ध अंग्रेजी कवि रॉबर्ट फ्रॉस्ट की ‘स्टॉपिंग बाई वुड्स ऑन अ स्नोइंग ईवनिंग’ नाम की कविता की अंतिम चार लाइन को अंडरलाइन कर रखा था। यह कविता उनके जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, आशावादिता और सार्थकता की तरफ इंगित करती है। यह कविता थी-
द फॉरेस्ट इज ब्युटीफूल, डार्क एंड डीप,
बट आई हैव सम प्रॉमिस टू कीप,
एंड आई हैव माइल्स टू गो बिफोर आई स्लीप,
एंड आई हैव माइल्स टू गो बिफोर आई स्लीप।
अर्थात यह जंगल गहरा, घना और खूबसूरत है। पर मैंने वादा किया है, मुझे सोने से पहले मीलों जाना है।