क्या उज्जैन छोड़ देंगे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव?

Dr.Mohan Yada

ज्योतिषियों का कहना है कि महाकाल के आगे कोई PM या CM और न ही कोई राजा-महाराजा टिक सकता है. लोगों की मान्यता है कि उज्जैन में महाकाल बिराजे हैं. ये उनकी नगरी है, इसीलिए उनकी नगरी में एक ही राजा रह सकता है.

Will Mohan Yadav Be Able to Stay in Ujjain: मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा ने डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) के नाम का ऐलान किया है. 13 दिसंबर को वे शपथ ले चुके हैं. नए CM उज्जैन के निवासी (Residents Of the City of Mahakal) हैं. उज्जैन से उनका एक मिथ जुड़ा हुआ है और मिथ यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री रात में उज्जैन में नहीं रुक सकते हैं. ये मिथ केवल CM के साथ ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री और रियासत के राजा-महाराजाओं से भी जुड़ा है. मान्यता है कि उज्जैन में महाकाल विराजे हैं. ये उन्हीं की नगरी है, और वे ही उज्जैन के राजा हैं. इसीलिए उनके रहते कोई दूसरा राजा या VIP वहां नहीं ठहर सकता है.

देखा जाए तो डॉ.मोहन यादव उज्जैन के रहने वाले हैं तो वे रात में उज्जैन के अपने निजी आवास पर रुक सकेंगे या नहीं? इसे लेकर ज्योतिषियों की अलग-अलग राय है. कुछ कहते हैं कि यदि कोई परंपरा है तो उसका पालन करना पड़ेगा। कुछ ज्योतिष कहते हैं कि यदि राजा मानकर रात गुजारेंगे तो दिक्कत होगी।

VVIP से जुड़ा मिथक आखिर क्यों है?

पुजारियों के मुताबिक महाकाल की अपनी एक परिधि है. यहां किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री या राजघराने से जुड़ा व्यक्ति इस परिधि से दूर रहता है. महाकाल मंदिर पर जो ध्वज लहराता है उसे धर्मध्वजा कहते हैं. इस धर्मध्वजा की जहां तक छाया पड़ती है, उस परिधि तक कोई राजा रात में नहीं ठहर सकता (No VVIP can stay in Mahakal) है. विक्रमादित्य भी उज्जैन के राजा थे उनका किला भी इस परिधि में आता है.

कहा जाता है कि जब विक्रमादित्य न्याय करने जाते थे, तब राजा की कुर्सी पर महाकाल विराजित होते थे, इसीलिए वे न्याय कर पाते थे. मान्यता अनुसार विक्रमादित्य के बाद किसी भी राजा को राज करने का अधिकार तभी मिल सकता है, जब वह राजा विक्रमादित्य की तरह पराक्रमी और न्यायप्रिय हो. कुछ लोग मानते हैं कि इसी वजह से राजा भोज को अपनी राजधानी धार और भोपाल में बनानी पड़ी थी.

जब मोरारजी देसाई को देना पड़ा था इस्तीफ़ा

उज्जैन का VVIP नेताओं से जुड़ा ये मिथक इसीलिए भी कहा जाता है क्योंकि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उनकी गलती यही थी कि वे एक रात उज्जैन में ठहरे थे. अगले ही दिन कुछ ऐसे हालात बने कि उनकी सरकार गिर गई. ऐसा ही एक वाकया कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) से भी जुड़ा है. वे भी एक रात उज्जैन में रुके थे, जिससे 20 दिन बाद वे CM नहीं रहे.

18 साल CM रहते हुए भी नहीं रुके शिवराज

महाकाल मंदिर के पुजारियों के अनुसार शिवराज सिंह चौहान 18 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इतने सालों में उन्होंने एक रात भी उज्जैन में नहीं गुजारी। इसका ताजा उदाहरण है 25 नवंबर की तारीख, जब शिवराज पूरे परिवार के साथ महाकाल मंदिर पहुंचे थे. यहां उन्होंने महाकाल लोक के दर्शन किए और भगवान की आरती में भी शामिल हुए. रात 11:30 बजे तक शिवराज मंदिर परिसर में ही रहे. लेकिन रात 12 बजने से पहले वे उज्जैन की सीमा से बाहर निकल गए.

इतना ही नहीं इससे पहले सिंहस्थ महाकुंभ के आयोजन के दौरान भी शिवराज रात 12 बजे से पहले उज्जैन की सीमा छोड़ देते थे. वे एक हफ्ते तक उज्जैन में रुके थे, लेकिन सिर्फ दिन में उज्जैन में रहते थे. रात होते ही इंदौर चले जाते थे. बता दें कि सिंहस्थ के दौरान ही भाजपा ने वैचारिक महाकुंभ का आयोजन किया था, जिसका संयोजन दिवंगत सांसद अनिल माधव दवे (Anil Madhav Dave) को बनाया गया था.

राहुल गांधी और दिग्विजय भी नहीं ठहरे महाकाल की नगरी में

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और राहुल का उज्जैन से बाहर रात गुजारना भी चर्चा का विषय बन गया था. जब यात्रा रात में उज्जैन की सीमा पर पहुंची तो सभी यात्री और दोनों नेताओं को निनौरा में रात गुजारनी पड़ी. इस पर दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि वे कोई राजा नहीं हैं. इस मान्यता पर भरोसा नहीं करते हैं. ये संयोग है कि यात्रा शहर के बाहर रुकी।

सिंधिया परिवार भी कभी नहीं रुकता महाकाल के क्षेत्र में

उज्जैन में सावन के महीने में निकलने वाली शाही सवारी की शुरुआत सिंधिया राजवंश ने ही की थी. उस समय भी सिंधिया परिवार की ओर से भगवान महाकाल की सवारी के दौरान पूजा की जाती थी, लेकिन पहले केवल दो या तीन सवारियां ही निकाली जाती थी. लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया है. कहा जाता है की सिंधिया परिवार के तरफ से एक अखंड दीप आज भी महाकाल मंदिर में जलता है, जिसका खर्चा भी सिंधिया परिवार उठाता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने इस परंपरा को कायम रखा है.

ज्योतिषियों ने बताया समाधान

डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) के मुख्यमंत्री बनने के बाद उज्जैन के ज्योतिषियों ने उनके वहां ठहरने के समाधान के लिए अलग-अलग राय दी है. कुछ ज्योतिष कहते हैं कि वे भगवान मजाकल की कृपा से ही CM बने हैं. लेकिन वे उज्जैन से बाहर गेस्ट हाउस बनाकर रुक सकते हैं. कुछ ज्योतिष इस परंपरा को मिथ बताते हैं. साथ ही अन्य शास्त्री यह भी कहते हैं कि जो परंपरा है उसे तो मानना ही पड़ेगा।

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