MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की रिपोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने एक विभाग में सभी पदों के आरक्षित वर्ग से भरे होने पर समानता के अधिकार पर सवाल उठाया। सरकार को डेटा में स्पष्टीकरण या संशोधन पेश करने का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रमोशन में आरक्षण के लिए पेश किए गए क्वांटिफायबल डेटा पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंगलवार को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सरकार ने सीलबंद लिफाफे में डेटा सौंपा था, लेकिन एक विभाग के आंकड़े देखकर बेंच ने हैरानी व्यक्त की। पीठ ने टिप्पणी की, “इसमें तो सभी पद आरक्षित वर्ग से भरे हैं, ऐसे में समानता का अधिकार कहां रहेगा?” कोर्ट ने सरकार को डेटा में स्पष्टीकरण या संशोधन पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
यह मामला भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी और अन्य की याचिकाओं से जुड़ा है, जिसमें मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम-2025 को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि 2002 के नियमों को हाईकोर्ट ने आरबी राय मामले में पहले ही समाप्त कर दिया था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की, जहां यथास्थिति बनाए रखने का आदेश है और मामला लंबित है। फिर भी सरकार ने मामूली बदलाव कर पुराने नियमों को ही 2025 के रूप में दोहरा दिया।
मामले में अजाक्स संघ सहित आरक्षित वर्ग के कई अधिकारियों-कर्मचारियों ने हस्तक्षेप याचिकाएं दाखिल की हैं। पिछली सुनवाई में सरकार ने कहा था कि नई पॉलिसी 2016 के बाद के प्रमोशन पर लागू होगी, जबकि 2016 से पहले के प्रमोशन में 2002 के नियम प्रभावी रहेंगे। इसके बाद के प्रमोशन पर 2025 के नियम लागू होंगे। कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने नए नियमों के अनुरूप क्वांटिफायबल डेटा एकत्र कर सीलबंद लिफाफे में पेश किया, जिस पर पीठ ने उक्त टिप्पणियां कीं।
