भारत आर्मेनिया को देगा Sukhoi Su-30MKI, तुर्किए और अजरबैजान परेशान

India To Give Su-30MKI To Armenia: आर्मेनिया (Armenia) और अजरबैजान (Azerbaijan) के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी के बीच एक नया भू-राजनीतिक मोड़ आया है। अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान (Pakistan) से 40 JF-17 Thunder फाइटर जेट खरीदने की घोषणा के बाद आर्मेनिया अब भारत से सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट खरीदने पर विचार कर रहा है। यह कदम दक्षिण काकेशस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि आर्मेनिया अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी अजरबैजान के खिलाफ अपनी वायुसेना को मजबूत करना चाहता है।

अजरबैजान की JF-17 डील और आर्मेनिया की चिंता

अजरबैजान ने हाल ही में पाकिस्तान और चीन द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित JF-17 Thunder ब्लॉक III फाइटर जेट्स की खरीद को बढ़ाकर 40 विमानों तक करने का ऐलान किया है, जो पहले 16 था। यह डील अजरबैजान की वायुसेना को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है, खासकर 2020 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध के बाद, जिसमें अजरबैजान ने आर्मेनिया पर जीत हासिल की थी। इस डील ने आर्मेनिया में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है।

आर्मेनिया का भारत की ओर रुख

आर्मेनिया, जो लंबे समय से रूस से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहा है, अब अपनी रक्षा जरूरतों के लिए भारत की ओर देख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्मेनिया के लिए भारत निर्मित Su-30MKI एक किफायती और शक्तिशाली विकल्प है, खासकर फ्रांस के राफेल जेट्स की तुलना में, जो अधिक महंगे हैं। Su-30MKI की मारक क्षमता और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में इसकी प्रभावशाली भूमिका ने इसे आर्मेनिया के लिए आकर्षक बना दिया है। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने Su-30MKI और ब्रह्मोस मिसाइल के कॉम्बो से पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, जिसने इसकी ताकत को वैश्विक स्तर पर साबित किया।

Su-30MKI क्यों है खास?

भारत की हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड HAL द्वारा निर्मित सुखोई Su-30MKI भारतीय वायुसेना का मुख्य आधार है, जिसमें 270 से ज्यादा जेट्स हैं। यह विमान उन्नत रडार, लंबी दूरी की मिसाइलें, और मल्टी-रोल क्षमताओं के लिए जाना जाता है। आर्मेनिया पहले से ही रूस निर्मित Su-30SM का संचालन करता है, जिसके कारण Su-30MKI को अपनाना इसके लिए आसान होगा। इसके अलावा, भारत आर्मेनिया को Astra BVR मिसाइल, Rudram एंटी-रेडिएशन मिसाइल, और BrahMos क्रूज मिसाइल जैसे स्वदेशी हथियार भी प्रदान कर सकता है, जो इस डील को और आकर्षक बनाते हैं।

आर्मेनिया-रूस संबंधों में बदलाव

आर्मेनिया ने दशकों तक रूस से हथियार खरीदे, लेकिन हाल के वर्षों में रूस और आर्मेनिया के बीच तनाव बढ़ा है। रूस ने यूक्रेन युद्ध के कारण आर्मेनिया को हथियारों की आपूर्ति में देरी की, जिसके बाद आर्मेनिया ने पश्चिमी देशों और भारत की ओर रुख किया। आर्मेनिया ने 2020 के बाद भारत से हथियारों का आयात बढ़ाया है और वह भारत का सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है। आर्मेनिया ने पहले रूस से Su-30SM के लिए ऑर्डर दिया था, लेकिन पांच साल की देरी के बाद अब वह भारत के Su-30MKI पर दांव लगाने की योजना बना रहा है।

क्षेत्रीय और भू-राजनीतिक प्रभाव

अजरबैजान का पाकिस्तान और तुर्की के साथ घनिष्ठ सैन्य सहयोग, जिसे “तीन भाइयों” के रूप में जाना जाता है, आर्मेनिया के लिए चुनौती पैदा करता है। 2020 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध में तुर्की और पाकिस्तान ने अजरबैजान का समर्थन किया था। अब अजरबैजान की JF-17 खरीद ने भारत-पाकिस्तान के क्षेत्रीय तनाव को भी इस समीकरण में ला दिया है। भारत से Su-30MKI खरीदकर आर्मेनिया न केवल अपनी वायुसेना को मजबूत करेगा, बल्कि भारत के साथ रक्षा संबंधों को भी गहरा करेगा।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

RANE एनालिस्ट सैम लिचटेनस्टीन के अनुसार, आर्मेनिया कई रणनीतियों पर विचार कर रहा है, लेकिन भारत निर्मित Su-30MKI की लागत-प्रभावशीलता इसे पहली पसंद बनाती है। सोशल मीडिया पर चर्चा है कि आर्मेनिया की यह रणनीति अजरबैजान के JF-17 जेट्स को जवाब देने के लिए है। कुछ यूजर्स का कहना है कि Su-30MKI की मारक क्षमता और भारत के स्वदेशी हथियार इसे अजरबैजान के लिए एक मजबूत चुनौती बनाते हैं।

हालांकि आर्मेनिया और भारत के बीच Su-30MKI की डील अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन यह दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का प्रतीक है। अगर यह डील सफल होती है, तो यह भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देगी और दक्षिण काकेशस में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। आर्मेनिया के लिए यह एक रणनीतिक कदम होगा, जो उसे अजरबैजान के खिलाफ मजबूत स्थिति देगा, जबकि भारत के लिए यह रक्षा क्षेत्र में वैश्विक प्रभाव बढ़ाने का मौका है।

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