जेल से जनमत तक पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी का जीवन सफर, उपमुख्यमंत्री ने दी श्रद्धाजलि

सतना। भाजपा के वरिष्ठ नेता और तीन बार के पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी का निधन रविवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया था। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली एम्स से सतना स्थित उनके निजी निवास सुभाष पार्क पहुंचा। अपने नेता को श्रद्धाजलि देने के लिए लोगो का हुजूम उनके निज निवास पहुच गया। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित किए और अंतिम संस्कार में शामिल हुए। पूर्व विधायक को राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी, सांसद गणेश सिंह समेत दूसरे दल के नेता भी श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा, भाजपा जिलाध्यक्ष समेत अन्य जनप्रतिनिधि और संगठन के लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुचे

गॉड ऑफ ऑनर के साथ दी गई अंतिम विदाई

पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी को राजकीय सम्मान (गॉड ऑफ ऑनर) के साथ अंतिम विदाई दी गई। पुलिस बल ने सलामी दी और पूरी श्रद्धा से अंतिम संस्कार की औपचारिकताएं पूरी की गईं। उनके अंतिम संस्कार के समय बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे, जिन्होंने “तिवारी जी अमर रहें” के नारों के बीच अपने नेता को अश्रुपूर्ण विदाई दी।

22 वर्ष की आयु में गए थें जेल

8 अप्रैल 1953 को सतना जिले के चकदही गांव में शंकरलाल तिवारी का जन्म हुआ था। वे बचपन से ही सामाजिक विचार धारा और स्पष्टवादी रहे, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और मीसाबंदी के रूप में 18 महीने रीवा, टीकमगढ़ और सतना की जेलों में बंद रहे। जेल से निकलने के बाद उन्होने राजनीति को ही जनसेवा का माध्यम बना लिए। सतना के लोग शंकरलाल तिवारी को बाबू के नाम से पुकारते थे। पूर्व विधायक शंकर लाल ने पहला चुनाव 1998 में निर्दलीय लड़ा था. उसके बाद 2003, 2008 और 2013 में भाजपा से चुनावी मैदान में रहे. तीन बार लगातार सतना विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. वह हमेशा जमीनी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए थें। शंकरलाल तिवारी अपने पीछे अपनी पत्नी सुषमा तिवारी, तीन बेटे राजनारायण तिवारी, आशीष और पुनीत, और एक बेटी विजयश्री को छोड़ गए हैं। वे सतना के सुभाष चौक स्थित अपने पैतृक निवास में परिवार के साथ रहते थे।

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