दीवाली अब भारत तक सीमित नही, जाने सात संमदर पार कैसे मनाया जाता है यह उत्सव

दीवाली। दीवाली की धूम अब 7 संमदार पार भी रहती है। यह पर्व भारतवासियों के साथ ही नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया, फिजी, यूके और अमेरिका जैसे देशों में भी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। यू कहा जाए कि यह त्योहार अब एक वैश्विक उत्सव हो गया है। दीवाली का यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत और आशा की किरण का संदेश देता है। भारत में पांच दिनों तक इस पर्व को मनाया जा रहा है। धनतेरस से इस पर्व की शुरूआत होती है, फिर नरक चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज तक दीवाली की छठा बनी रहती है। लोगो अपने घरों में दिए जलाकर पूजा-अर्चना करने के साथ ही पर्व का उत्सव मनाते है।

नेपाल में तिहार

नेपाल में इसे ‘तिहार’ के रूप में मनाया जाता है। यहां पहले दिन कौवों, दूसरे दिन कुत्तों और तीसरे दिन गाय की पूजा होती है। चौथे दिन लक्ष्मी पूजा और आखिरी दिन ‘भाई टीका’ का खास आयोजन किया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।

मलेशिया की दीवाली

श्रीलंका और मॉरीशस में भी यह पर्व बेहद लोकप्रिय है। तमिल समुदाय और भारतीय मूल के लोग घरों को सजाकर, मिठाइयां बनाकर और दीये जलाकर दीपावली मनाते हैं। सिंगापुर और मलेशिया में हिंदू समुदाय के बीच दीवाली की झलक ‘लिटिल इंडिया’ की सड़कों पर रोशनी और सजावट के रूप में देखी जा सकती है। मलेशिया में इसे ‘हरि दीपावली’ कहा जाता है, जहां सुबह तेल स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। इसी तरह फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना जैसे कैरेबियन देशों में भारतीय मूल के लोगों के कारण दीवाली बड़े हर्षाेल्लास से मनाई जाती है।

पश्चिमी देशों में मनाई जाने वाली दीवाली

दीवाली की धूम यूके, अमेरिका और कनाडा में भारतीय प्रवासी समुदाय दीवाली परेड और सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। लीसेस्टर की दीवाली परेड विश्व की सबसे बड़ी मानी जाती है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्थानीय सरकारें भी इन उत्सवों में भाग लेती हैं, जिससे दीवाली अब एक वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव का रूप ले चुकी है।

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