MP Election 2023: कांग्रेस का फोकस वोटरों पर, भाजपा का कार्यकर्ताओं पर, आखिर चल क्या रहा है MP की राजनीती में?

MP Vidhansabha Election 2023

ताजा घटनाक्रम से दिखता है कि उम्मीदवार बदलने के बाद अपने बागियों को साधने की ओर कांग्रेस का ध्यान कम हो गया है। उसका ज्यादा फोकस अब वोटरों और मैदानी प्रचार पर है। बीजेपी ने जिस तरह राम मंदिर के पोस्टर लगाए, उससे लग रहा है कि एक सुनियोजित रणनीति के तहत वह इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरना चाहती है। कांग्रेस इस पिच पर खेलने से परहेज कर रही है। दमोह की रैली में प्रियंका गांधी ने कहा कि जो काम की बात नहीं कर सकते वे धर्म की बात करते हैं। उन्होंने कांग्रेस की अपनी पिच बताई- बेरोजगारी, महंगाई, ओबीसी, किसान, महिला,गरीब और मिडल क्लास ।

BJP और Congress अपने बागियों से परेशान

कांग्रेस को तो बागियों की आदत है, पर बीजेपी भी लगभग हर चौथी सीट पर बागियों से घिरी है। ऐसी हालत पहले नहीं दिखी थी। शायद इसलिए पार्टी का फोकस कार्यकर्ताओं को साधने पर चला गया है। हाईकमान इसे कितनी गंभीरता से ले रहा है यह इससे पता चलता है। कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह एक साथ पूरे तीन दिन के दौरे पर मध्य प्रदेश में हैं। जन सभाएं केवल दो हैं। उनका सारा समय रणनीति बनाने में बीतेगा, जिसके लिए वे प्रदेश के हर कोने में जा रहे हैं। शाह पार्टी के मास्टर ट्रबल शूटर माने जाते हैं।

क्या हाल है कांग्रेस का?

विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। भाजपा की तरह डैमेज कंट्रोल के लिए स्टार प्रचारकों में चुनाव लड़ रहे 7 उम्मीदवारों और टिकट कटने ने नाराज 3 नेताओं के नाम शामिल हैं। स्टार प्रचारकों में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, लहार से प्रत्याशी नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, चुरहट से उम्मीदवार पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, राऊ से प्रत्याशी कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी, मायनारिटी का प्रतिनिधित्व कर रहे मध्य से उम्मीदवार आरिफ मसूद, केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य ओमकार सिंह मरकाम और कांग्रेस की प्रबंध कार्यकारिणी समिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल का नाम शामिल है।

खुरई से टिकट मांग रहे गुड्ड राजा बुंदेला, रहली से टिकट न मिलने से नाराज जीवन पटेल और कुरवाई से टिकट मांग रहे प्रदीप अहिरवार का नाम सूची में है। सूची में सीएम शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी का नाम भी है। राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, एआईसीसी के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल।

मप्र के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम है. प्रदेश से सांसदों में लोकसभा सांसद नकुलनाथ और तीनों राज्यसभा सांसद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा और राजमणि पटेल का नाम है। ग्वालियर-चंबल से अशोक सिंह, राधेलाल बघेल व महेंद्र पटेल हैं। कन्हैया कुमार और महेंद्र पटेल और अभय दुबे का नाम है। प्रदेश के तीन पूर्व पीसीसी चीफ रह चुके कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव का नाम सूची में है।

सुरजेवाला का शिवराज सरकार पर हमला भोपाल

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 18 साल के कार्यकाल को ‘दमनकारी’, ‘क्रूर’, ‘कपटी’ और ‘किसान विरोधी काल’ बताया। पीसीसी में शनिवार को मीडिया से चर्चा में सुरजेवाला ने कहा कि फसलों के दाम मांगने पर किसानों के सीने पर गोलियां चलाने वाले शिवराज ने हमेशा किसानों के साथ छल किया है। उन्होंने कहा- शिवराज सिंह चौहान है रेडियो गप्पिस्तान, धोखा है। सुरजेवाला ने ये भी कहा कि सीहोर में किसान से ‘लागत+50% देने का वादा किया गया था पर वो भी कोरा झूठ निकला। बड़ी-बड़ी डींगें मारने वाली केंद्रीय भाजपा सरकार एमएसपी की घोषणा तो करती है, पर किसान की फसल एमएसपी पर खरीदती ही नहीं। यह बात साल 2022-23 के ताजा आंकड़ों से साफ है। कांग्रेस नेता ने ये भी आरोप लगाया कि मप्र में शिवराज सरकार ने भावांतर योजना पर ताला लगा दिया है। साल 2023- 24 के बजट में भावांतर योजना में 1,000 का प्रावधान है। वहीं, साल 2021-22 और साल 2022-23 में एक फूटी कौड़ी भी इस योजना में खर्च नहीं की है.

भाजपा का पलटवार

भाजपा प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेयी ने कहा कि सुरजेवाला इससे पहले कभी MP नहीं आए तो उनके लिए कुछ बोलना आसान है. इधर भाजपा के मिडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने आरोप लगाया कि रणदीप सुरजेवाला ने MP में झूठ की दुकान खोल ली है. 2002-2003 में कांग्रेस से किसानों की समर्थक मूल्य खरीदी ही नहीं जाती थी.

भाजपा का पलटवार… भाजपा प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी ने कहा कि सुरजेवाला इससे पहले कभी एमपी नहीं आए तो उनके लिए झूठ बोलना आसान है। इधर, भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने आरोप लगाया कि रणदीप सुरजेवाला ने मप्र में झूठ की दुकान खोल ली है। 2002-03 में कांग्रेस शासन में किसानों प्रभावी। से समर्थन मूल्य खरीदी ही नहीं होती थी।

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