राजनीतिक चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसे अभय मिश्रा! कांग्रेस नेताओं ने खोला मोर्चा, कहा- दोबारा पार्टी में लिया तो..

Rewa MP News

Rewa MP News: बीजेपी से कांग्रेस, कांग्रेस से बीजेपी और फिर से बीजेपी टू कांग्रेस करने में लगे अभय मिश्रा अब राजनीतिक चक्रव्यूह में बुरे फंस गए हैं. अगस्त में INC छोड़ BJP में शामिल हुए Abhay Mishra की जब से रणदीप सुरजेवाला के आगे हाथ पसारे वाली तस्वीर सामने आई है तभी से उनके राजनितिक चरित्र पर सवाल उठने लगे हैं. ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस, अभय को दूसरा मौका देने पर विचार कर रही थी लेकिन ऐसा होता…. इससे पहले ही रीवा के कोंग्रेसी उनके खिलाफ लामबंद हो गए. पार्टी के लोगों ने सामुहिक रुप से ये एलान कर दिया कि ”अगर अभय मिश्रा को फिर से कांग्रेस की सदस्यता दी गई तो हम अभी अपना त्यागपत्र दे देंगे”

अभय मिश्रा अगस्त 2023 में इस आस में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे कि पार्टी उन्हें सेमरिया से टिकट दे ही देगी। लेकिन जब उन्हें यह आभास हो गया कि यहां दाल नहीं गलने वाली तो उन्होंने बिना वक़्त बर्बाद किए कांग्रेस के आगे नतमस्तक होने का फैसला ले लिया। लेकिन इस बार उनकी रणनीति पूरी तरह से विफल हो गई.

दरअसल अभय मिश्रा की हाल ही में दो तस्वीरें सामने आईं. एक फोटो में अभय, कांग्रेस लीडर रणदीप सुरजेवाला से विनती करते नज़र आ रहे हैं तो एक तस्वीर में वे हाथ जोड़े किसी कांग्रेस नेता की गाड़ी के आगे खड़े हैं. ऐसे में उनकी कांग्रेस में वापसी का कोई चांस बने ही नहीं इसी लिए सेमरिया क्षेत्र के कोंग्रेसियों ने विरोध शुरू कर दिया।

सेमरिया विधानसभा के सभीकार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को एक पत्र लिखा जिसमें साफ तौर पर लिखा-

अभय मिश्रा पूर्व विधायक जो कि रीवा जिले में फ्राड, शराब तस्कर व अन्य तरह के अनैतिक धंधे करने के लिए कुख्यात हैं, पता चला है कि वह पुनः कांग्रेस पार्टी में प्रवेश पाना चाहते हैं. जो कि 03 महिनें पूर्व ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और उन्होंने कांग्रेस पार्टी और वरिष्ठ नेताओं के ऊपर अनर्गल आरोप लगाते हुये बयान बाजी की थी. ऐसे व्यक्ति को यदि पार्टी में शामिल किया जाता है, तो पार्टी की बदनामी पूरे जिले में होगी और जिसका परिणाम अच्छा नही रहेगा। इसके विरोध में सेमरिया 69 के सभी वरिष्ठ नेता, ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर बूथ कमेटी तक हैं। हम लोग यह विश्वास दिलाते हैं कि इनके अलावा जिसे भी पार्टी अपना प्रत्याशी बनाएगी, सब लोग मिलकर चुनाव जीत लेगें। सेमरिया – 69 में जितने लोग टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, सब लोग और पूरा संगठन एक साथ हैं।

सेमरिया के कोंग्रेसी नेताओं ने कमलनाथ को खत लिखते हुए कहा कि- ”अभय मिश्रा पूर्व विधायक को कांग्रेस पार्टी से दूर ही रखे जाने की कृपा करें”

दरअसल अभय मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब इन्होने बीजेपी की रीतियों और नीतियों पर खूब सवाल उठया था. बीजेपी पर निशाना साधते हुए अभय मिश्रा, नरेंद्र मोदी तक पहुंच गए, तब इन्होने कहा था ”अगर नरेंद्र मोदी दुबारा देश के प्रधानमंत्री बने तो देश को बेचखाएंगे। चुनाव दुबारा से नहीं होंगे”। वहीं अभय मिश्रा ने बीजेपी से बगावत कर विंध्य के कद्दावर नेता राजेंद्र शुक्ल को चुनौती दी थी. हालांकि पिछले चुनाव में उन्हें रीवा सीट से श्री शुक्ल ने बुरी शिकश्त दी थी.

2023 में फिर एक बार अभय मिश्रा बीजेपी में लौटे, तब मीडिया के सामने उन्होंने कांग्रेस की खूब आलोचना की थी. लेकिन जब बीजेपी से सेमरिया की टिकट नहीं हासिल कर पाए तो दो महीने के अंदर ही उन्होंने कांग्रेस में वापसी का जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया जो नाकाम साबित हुआ. अब अभय मिश्रा को कांग्रेस चाहकर भी पार्टी में शामिल नहीं कर सकती, यदि ऐसा हुआ तो रीवा में INC के लोग विद्रोह शुरू कर देंगे।

अभय मिश्रा की कांग्रेस में रीएंट्री की संभावनाओं का विरोध करने वाले कोंग्रेसियों ने एक वीडियो भी सोशल मीडिया में शेयर किया है जिसमे सभी ‘अभय के पार्टी में दोबारा शामिल होने पर कांग्रेस छोड़ने का आह्वान कर रहे हैं

नए भाजपाई सिद्धार्थ के खिलाफ भी पार्टी के लोग

जिस तरह अभय मिश्रा के खिलाफ कोंग्रेसी नेताओं ने कमलनाथ को पत्र लिखा है ठीक ऐसा ही कुछ भारतीय जनता पार्टी में भी हुआ है. कांग्रेस छोड़ त्योंथर से टिकट हासिल करने के लिए नए-नए भाजपाई बने ‘सिद्धार्थ तिवारी राज’ के खिलाफ भी बीजेपी के लोगों ने विरोधी सुर छेड़ दिए हैं. खबर है कि बीजेपी रीवा के कुछ पदाधिकारी जनसंपर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ल के पास पहुंचे और सिद्धार्थ तिवारी को पार्टी में शामिल करने का विरोध जताया. सिद्धार्थ तिवारी के खिलाफ बीते दिन त्योंथर विधानसभा के सभी मंडल अध्यक्ष अपना इस्तीफा लेकर पहुंचे थे. जिन्हे समझा-बुझा कर लौटा दिया गया.

सूत्रों की मानें तो सिद्धार्थ को भाजपा से त्योंथर की टिकट मिलना तय ही है. क्योंकि सिद्धार्थ ने टिकट के लिए ही तो भाजपा ज्वाइन की है और अपनी पारिवारिक पार्टी की विचारधारा को त्याग कर भाजपाई बने हैं.

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