कमलनाथ के गढ़ में भाजपा की तीखी नजर, इन सीटों पर चल रहा लुकाछिपी का खेल, अब होगा बबाल!

MP-VIDHANSABHA-ELECTION-2023

कोंग्रेस की पहली लिस्ट आते ही घमासान मचा है, बीजेपी की कमलनाथ के गढ़ में पैनी नजर है, तो विंध्य और महाकौशल में लुकाछिपी का खेल चल रहा है.

MP Election 2023: चुनाव की डेट जैसे- जैसे नजदीक आ रही है. इलेक्शन की तैयारी जोर पकड़ रही है. कांग्रेस और बीजेपी भले ही अपने आधे से अधिक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिया हो, लेकिन अभी तक महाकौशल और विंध्य में मुकाबले की तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई है. इन दोनों इलाकों में अभी तक 68 सीटों में मात्र 26 सीटें ऐसी हैं, जिसमें दोनों पार्टियों के उम्मीदवार आमने- सामने हैं. विंध्य की 30 में से 8 और महाकौशल की 38 में से 18 सीटों पर दोनों के प्रत्याशी आ चुके हैं. हॉटसीट पर दोनों ही पार्टियों के बिच चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है.

रविवार (15 अक्टूबर) को कांग्रेस की ओर से जारी की गई 144 उम्मीदवारों की सूची में विंध्य की 30 में से 17 और महाकोशल की 38 में से 23 सीटों पर प्रत्याशी तय किए गए हैं। नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और बालाघाट के कटंगी से विधायक टामलाल सहारे का टिकट पार्टी ने काट दिया है। वहीं, जबलपुर, कटनी, मंडला, डिंडोरी और सिवनी के विधायकों पर विस्वाश जताते हुए कांग्रेस ने फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। विंध्य की कई सीटों पर हारे हुए चेहरे दोहराये गए हैं.

छिंदवाड़ा होल्ड पर

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की छिंदवाड़ा कर्मभूमि होने के नाते हर किसी की नजर इस जिले में है. 2018 के विधानसभा चुनाव में सभी सात सीटों पर कोंग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी लेकिन अभी तक कमलनाथ बस की टिकट यहाँ से फाइनल हुई है. बची छह सीटें होल्ड में रखने से सियासत तेज हो गई है. भाजपा लगातार कमलनाथ को घर में घेरने के लिए दवाब बना रही है और रणनीति के तहत पांढुर्ना नया जिला बनाया गया है और हनुमान लोक बनाने का एलान किया था.

दल बदलने वालों पर भी भरोसा

महाकौशल की तीन सीटों पर कांग्रेस ने दल बदलकर आये नेताओं को टिकट दिया है. कुछ दिन पहले ही पार्टी में आये सांसद बोध सिंह भगत को बालाघाट कि कटंगी सीट से उतारा गया है. यहाँ से कांग्रेस विधायक टामलाल सहारे का टिकट काट दिया गया है. वहीं बालाघाट की हॉटसीट पर पूर्व सांसद कंकर मुंजारे की पत्नी अनुभा मुंजारे को चुनावी मैदान में उतरा गया है. वो अभी-अभी सपा से कांग्रेस में आई थी और इसी सीट से 2013 और 2018 के विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी है. नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव से भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए पूर्व विधायक शेखर चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है. एनपी प्रजापति की जगह.

विंध्य में दिग्गजों पर दाव

कांग्रेस ने हारे हुए प्रत्याशियों पर फिर से दाव खेला है. जैसे चुरहट से अजय सिंह राहुल, अमरपाटन से पूर्व विधान सभा अध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह को उतारा गया है. 2018 विधानसभा चुनाव में ये दोनों हार गए थे. राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल की सीट को बरकरार रखा गया है. नागौद से यागवेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया है. जिनका विद्रोह भी अब सामने आया है. सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा, चित्रकूट से नीलांशु चतुर्वेदी को टिकट दिया गया है. रैगांव से उपचुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज करने वाली कल्पना वर्मा को एक फिर प्रत्याशी बनाया गया है।

साधा जातीय संतुलन

कांग्रेस ने अपने टिकट वितरण में जातीय संतुलन पर खासा जोर दिया है। महाकोशल की 23 सीटों में आरक्षित वर्ग की सीटों के अलावा 6 ओबीसी, तीन ब्राम्हण, एक कायस्थ, एक जैन, एक राजपूत और एक सिंधी समाज से प्रत्याशी उतारा है। सबसे अधिक चौंकाने वाला नाम सिवनी से आनंद पंजवानी का आया है। यह युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में सक्रिय रहे हैं। इन्हे सिवनी सीट से दिनेश राय मुनमुन के खिलाफ उतरा गया है. वहीं, विंध्य में एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटों के अलावा चार राजपूत, एक ब्राम्हण, पांच ओबीसी चेहरे उतारे हैं।

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