Arthritis In Hindi: देश में इस समय लगभग 21 करोड लोग किसी न किसी प्रकार के अर्थराइटिस से पीड़ित हैं।
Arthritis Disease Meaning, Causes In Hindi, Gathiya Rog Kya Hai: विज्ञान मानता है कि अधिकांश मामलों में अर्थराइटिस को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसे अच्छी तरह से नियंत्रित कर सकते हैं। खासकर इन्फ्लेमेशन वाली अर्थराइटिस को बेहतर मैनेज किया जा सकता है। बसर्ते समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए और उपचार कराया जाए।
वैज्ञानिकों ने अभी तक 100 से अधिक प्रकार की अर्थराइटिस की पहचान की है। जिनके अलग-अलग लक्षण और नुकसान हैं। लेकिन इनमें सबसे आम अर्थराइटिस डीजेनरेटिव अर्थराइटिस यानी जोड़ों को होने वाली क्षति और दूसरा प्रकार इंप्लामेंट्री आर्थराइटिस।
इसका सबसे आम प्रकार रूमेटाइड अर्थराइटिस है। देश की लगभग 22 प्रतिशत आबादी डिजेनरेटिव ओस्टियो अर्थराइटिस से और लगभग 5 से 6% इंप्लामेंट्री आर्थराइटिस से पीड़ित है। अर्थराइटिस को मुख्यता बुजुर्गों की बीमारी माना जाता है। जो कि गलत है. छोटे बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों में सभी को हो सकता है। अच्छी नींद रोज 40 मिनट एक्सरसाइज और संतुलित डाइट से बुनियादी बातें जो अर्थराइटिस से बेहद जरूरी हैं। आई जानते है अर्थराइटिस होता क्या है.
अर्थराइटिस (Arthritis) क्या है?
गठिया एक ऐसी बीमारी है जिससे लोगों के जोड़ों में बहुत दर्द होता है और उनके लिए हिलना-डुलना भी मुश्किल हो जाता है। दुनिया भर में बहुत से लोगों को गठिया है,
अर्थराइटिस क्यों होता है? / Arthritis Kya Hota Hai
इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण: अभी भी कई प्रकार के अर्थराइटिस के कारणों का का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है. लेकिन अधिकांश अर्थराइटिस इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होते हैं इसमें शरीर जोड़ों के टिशु को नुकसान पहुंचाने लगता है कुछ प्रकार के अर्थराइटिस मेटाबॉलिक कंडीशन के कारण हो सकते हैं। अर्थराइटिस से जुदा वह सब कुछ जो आपको जानना जरूरी है…
Repetitive Stress Injury: क्या आप कंप्यूटर-लैपटॉप में देर तक काम करते हैं? तो खबर आपके लिए है
(How to cure arthritis) अर्थराइटिस को कैसे ठीक करें?
ये कुछ सावधानियों को बरत कर अर्थराइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है
1 वजन संतुलित करें
अधिक वजन अर्थराइटिस के प्रमुख कारणों में से एक है. यदि निर्धारित मात्रा में आपका वजन 1 किलो से भी ज्यादा है तो ऑस्टियो अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति के घुटनों पर लगभग 5 किलो अधिक यानी 5 गुणा भाग पड़ता है
2 ब्लड शुगर नियंत्रित रखें
आस्टियो आर्थराइटिस और ब्लड शुगर का आपस में संबंध है. दरअसल शुगर के कारण जोड़ों में साइन टोकन नाम का प्रोटीन बनता है जो सृजन और दर्द पैदा करता है. इसके अलावा शुगर से शरीर में हल्का इंप्लांटेशन भी बना रहता है
3 संक्रमण को पूरी तरह ठीक करें
बैक्टीरिया और वायरस से केवल सर्दी और खांसी ही नहीं होती है. कुछ कीटाणु ऐसे होते हैं जो जॉइंट्स को प्रभावित कर सकते हैं इसमें भी अर्थराइटिस हो सकता है. खासकर दांतों और पेट में होने वाले संक्रमण से इसका खतरा अधिक होता है इसे इन्फेक्शन इनफेक्शियस अर्थराइटिस कहते हैं।
4 जोड़ों को चोट से बचाए
उम्र बढ़ाने के साथ जॉइंट्स प्रभावित होते हैं, लेकिन जब जॉइंट्स पर चोट लगती है तो जोड़ों के बीच पाई जाने वाली सुरक्षा परत तेजी से खराब होने लगती है. ऐसे में खेलकूद और एक्सरसाइज आदि के पहले वार्मअप जरूर करें।
5 तंबाकू और धूम्रपान से बचें
स्मोकिंग से रहुमेटाइड अर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है. दरअसल तंबाकू में पाए जाने वाले विभिन्न केमिकल शरीर में इन्फ्लेमेशन बढ़ाते हैं. साथ ही इम्यूनिटी को ट्रिगर करते हैं. जो जोड़ों को नुकसान पहुँचाती है अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है।
कुछ विशेष परिस्थितियों भी जिम्मेदार है
जेनेटिक्स: यदि अर्थराइटिस पूर्व से परिवार में होता है तो खतरा अधिक है.
जेंडर: ओस्टियो रूमेटाइड आर्थराइटिस जो ल्यूपस महिलाओं में व ग्राउंट पुरुषों में अधिक होता है. ओस्टियोआर्थराइटिस में जोड़ों में इन्फ्लेमेशन से उनके सुरक्षा कवच क्षतिग्रस्त होने लगते हैं. वहीं रूमेटाइड अर्थराइटिस ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है. यह हृदय सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों पर असर डालता है. इसका प्रभाव उंगलियों के जोड़ों पर ज्यादा दिखता है.
लुपस में नाक के दोनों तरफ लालिमा आ जाती है. जिससे तितली जैसी आकृति बनती है. वहीं गाउट में यूरिक विभिन्न अंगों पर असर डालता है। वहीं गाउट में यूरिक एसिड शरीर में बढ़ जाता है. जिससे जोड़ों में दर्द होने लगता है.
ऐसे लोगों को ज्यादा होता है
ऐसा पेशा जिसमें व्यक्ति के जोड़ों पर अधिक भर पड़ता है, जैसे किन दिन- दिन भर खड़े रहना आदि. ऐसे में ऑस्टियो अर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है.