हमास के हमले की तीन मुख्य वजहें, क्यों फेल हुआ लीजेंडरी मोसाद?

ISRAEL VS FILLITIAN

लीजेंडरी मोसाद से ऐसे हुई चूक

Three main reasons for Hamas attack: मोसाद नाम तो सुना होगा, बात अगर इजराइल की हो तो उसके साथ हमेशा एक नाम नत्थी होकर आता है मोसाद. इसके कारनामे भी लेजेंडरी है. इसे दुनिया का सबसे खतरनाक और ताकतवर ख़ुफ़िया एजेंसी माना जाता है.ऐसा माना जाता है मोसाद के पास ऐसी जासूसी तकनीक है जिससे कोई भी खुफिया बात उनसे छिपी नहीं रह सकती। बता दें कि इसके आलावा भी इजराइल के पास ख़ुफ़िया सुरक्षा फोर्सेस हैं, जिन्हे इजराइल डिफेन्स फोर्सेस के नाम से जाना जाता है. वो भी काफी पॉवरफुल हैं. इजराइल के पास दुनिया के सबसे उन्नत हथियार हैं. इसलिए हमास द्वारा इजराइल पर हमले के बीच सबसे बड़ा सवाल जो उठ रहा है, वो ये कि इजराइल को इस हमले की भनक कैसे नहीं लगी. लेजेंडरी मोसाद से इतनी बड़ी चूक कैसे हुई, इंटेलिजेंस फेलियर कैसे हुआ, क्या रहीं वजहें? तो आइये जानते हैं सब कुछ..

जब आप मैप की ओर देखेंगे तो इजराइल और गाजापट्टी का बॉर्डर दिखाई देगा।हमास ने हमला इसी गाजापट्टी से शुरू किया था. यहीं से मिसाइल छोड़ी गई. इसके बाद जमीनी, हवाई और समुद्री रास्तों से हमास लड़ाकों ने इजराइल पर घुसपैठ की. हमले की कोशिश हमास गाजापट्टी से पहले भी करता रहा है. राकेट और मिसाइल दागने की घटना लगभग रोजमर्रा की हैं. इनसे बचने के लिए आयरन डोम नाम का सुरक्षा कवच इजराइल ने बना रखा है. जो हमलो को रोक देता है. इसके आलावा इजराइल गाजापट्टी में कँटीले तार से घेराबंदी भी करवाई है. जिसकी रक्षा के लिए लगातार पेट्रोलिंग होती है. यहां तक की कैमरे भी लगे हुए है. जिससे किसी भी तरह की घुसपैठ पर नजर राखी जा सके. रिपोर्ट्स के अनुसार हमास के लड़ाके इस तारबाड़ को काटकर इजराइल में दाखिल हुए हैं.

इजराइल के इतिहास में ऐसा दूसरा मौका है जब सुरक्षा तंत्र फ़ैल हुआ है. इससे पहले 1973 में ख़ुफ़िया तंत्र फ़ैल हुआ था. जब योम किप्पुर के दिन अरब देशों ने अचानक हमला किया और सुरक्षा एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी. योम किप्पुर यहूदियों का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस बार भी हमला योम किप्पुर के एक दिन बाद हुआ है. यह समझने के लिए काफी है कि हमला पूरी प्लानिंग के साथ हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि इजराइल के ख़ुफ़िया एजेंसियों से चूक कहा पर हुई. ये तमाम सवाल मन में उठ रहे हैं. तो आइये चर्चा करते हैं, हमास हमले के तीन मुख्य कारण जो नजर आते हैं.

पहला कारण: इजराइल का वेस्ट बैंक पर फोकस

इजराइल के PM बेंजामिन नेतन्याहू दक्षिणपंथी नेता बेन ग्विर की पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रहें हैं. बेन ग्विर इजराइल के रक्षा मंत्री है. और वेस्ट बैंक में मौजूद फिलिस्तीन क्षेत्रों पर कब्जे के हिमायती. इनके ऊपर आरोप लगते रहे हैं कि इनके कार्यकाल में बेस्ट बैंक पर तनाव बढ़ा है. वेस्ट बैंक की जमीन कज्बा करने और फिलिस्तीन नागरिकों को बेदखल करने के मामले बढ़ें हैं. इजरायली आर्मी का एक बड़ा हिस्सा वेस्ट बैंक में तैनात किया गया है. ऐसे में वेस्ट बैंक पर ज्यादा फोकस करने की वजह से गाजापट्टी पर सुरक्षा फोर्सेस की कमी आई है. कई लोग रोज गाजा से इजराइल में एंटर करते है. काम के सिलसिले में. इन्ही लोगों से हमास को पैसा मिलता है. 2021 में इजराइल ने गाजापट्टी से एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था. जिसके बाद कुछ समय तक शांति बनी रही. दो साल से कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी. यही कारण रहा की सुरक्षा एजंसियां माहौल को भाप नहीं पाई. (GAJA bombing)

दूसरी वजह-अल अक्सा विवाद

इजराइल की पुलिस इसी साल अल अक्सा मस्जिद में घुस गई थी. मस्जिद के अंदर मारपीट कि गई रबर की गोलियों से हमला किया गया. इस हमले से करीब 40 लोग घायल हो गए. पुलिस ने सफाई दी थी कि कुछ उपद्रवी मस्जिद के अंदर घुसे थे. उनके पास हथियार के नाम पर लाठियां, पत्थर और पटाखें थे. ऐसे में हमें मजबूरन परिसर में घुसना पड़ा. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन घटनाओं के चलते हमास लम्बे समय से इजराइल के लोगों को सबक सीखने की फ़िराक में था. इस हमले का नाम भी अल अक्सा फ्लड्स दिया है.

तीसरा कारण- इजराइल-सऊदी अरब समझौता

पिछले कुछ सालों में इजराइल और अरब देशों के संबंधों में सुधर हुआ है. अमेरिका के प्रयाश से अब्राहम एकॉर्ड साइन हुए. परिणामस्वरूप बहरीन, मोरक्को और UAE ने इजरायल को मान्यता दी. अब सऊदी अरब और इजराइल के बीच समझौते की बात चल रहीं है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा जा है कि इस समझौते के तहत हो सकता है इजराइल फिलिस्तीन ऑथरिटी वो समूह है जिसका वेस्ट बैंक पर नियंत्रण है. 2006 से पहले गाजापट्टी पर कंट्रोल था. फिलिस्तीन अथॉरिटी और हमास दोनों फिलिस्तीनियों के असली मुखिया होने का दावा करते हैं. हमास बिलकुल ऐसा नहीं चाहता कि इजरायली सरकार और PA के बीच कोई समझौता हो. इसीलिए हमास मुँह फुलाए बैठा है. हमास यह नहीं चाहता की, अरब देशों के साथ इजराइल का संबंध सुधरे. जानकारों का मानना है कि ताजा हमला अरब देशों और इजरायल के बीच चल रही शांति वार्ता को पटरी से उतारने की एक कोशिश है. जिसका अंदाज़ा इजरायली सरकार को पहले ही हो जाना चाहिए था.

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