MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने शेष रह गए हैं. चुनाव से पहले दलबदल का दौर जारी है. इस फेरबदल की लड़ाई में कभी कांग्रेस बाजी मर लेती है, तो कभी भाजपा। उलटपलट की इस लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी ने कल कांग्रेस को पटखनी दे मारी। बीजेपी एक दिन पहले बुंदेलखंड के सागर जिले में कांग्रेस को बड़ा झटका दिया। इसके बाद अगली शाम दमोह जिले के कद्दावर नेता राघवेंद्र सिंह लोधी को वापिस से अपने दाल में मिला के बीजेपी ने कांग्रेस को एक इलेक्ट्रिक शॉक दे डाला।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी के क्षत्रिय संगठन महामंत्री अजय जमवाल, केंद्रीय मंत्री व प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद के समक्ष राघवेंद्र लोधी की घर वापसी कराई। बता दें कि, 2018 के विधानसभा चुनाव में दमोह जिले के जबेरा विधानसभा से टिकट मांग रहे राघवेंद्र लोधीको बीजेपी ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद पार्टी से नाराज राघवेंद्र सिंह लोधी इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ गए थे.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल पर लगाए थे आरोप
राघवेंद्र सिंह लोधी, 2018 के विधानसभा चुनाव में जबेरा सीट से टिकट मांग रहें थे। पार्टी ने उनकी जगह धर्मेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था। पार्टी से बगावत कर राघवेंद्र सिंह निर्दली पर्चा भर चुनाव लड़े थे. उन्हें कुल 21751 वोट मिले थे. साथ ही पार्टी से खिसिआए राघवेंद्र सिंह ने केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल पर कई आरोप लगाए थे. उन्होंने अपनी टिकट काटने का आरोप केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल पर लगाया था. तब उन्होंने मंत्री को निशाने में लेते हुए कहा था कि- ‘तुम सांसद बने हो जनता के आशीर्वाद से, तुम सिर्फ जाती की राजनीती करने वाले नेता हो,भाग्य तुम्हारे साथ है तो जीत रहे हो.
बीजेपी को सता रहा भितरघात का डर
भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव को बड़ी गंभीरता से ले रही है। पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. यही कारण है कि पार्टी धुरंधरों को चुनावी मैदान में उतार रही है. पार्टी के शीर्ष नेता प्रदेश की हर छोटी बड़ी राजनैतिक उठा पठक में बहुत बारीकी से नज़र बनाए हुए हैं, क्योंकि पार्टी को भितरघात का डर है. यही वजह है कि राघवेंद्र सिंह लोधी को पार्टी में लाया गया है. इसके पीछे की एक और मुख्य वजह जो है वो लोधी समाज के वोटरों को साधने की है. बता दें की बीजेपी अभी तक उमीदवारों की 3 सूची जारी कर चुकी है. जिसमें 79 प्रत्याशियों के नाम हैं. इस सूची में कई ऐसे दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं, जो केंद्र की राजनीती में हिस्सा लेते हैं. कई ऐसे सांसदों को पार्टी ने टिकट दिया है, जो अपने 35 साल की राजनीती में कभी विधायकी का चुनाव नहीं लड़ें थे. खैर पार्टी ऐसा क्यों कर रहीं हैं, ये पार्टी का आंतरिक मामला है. लेकिन राजनितिक पंडितो का मानना है कि पार्टी सर्वे में अच्छे पोजीशन में नहीं दिख रही है, यही कारण है की पार्टी ऐसे प्रयोग कर रही है.