सरोद का ज़िक्र हो और उस्ताद अमजद अली खान का नाम न आए ऐसा तो हो नहीं सकता, अपनी धुनों से कायम की मिसाल

Ustad Amjad Ali Khan Birthday

न्याजिया बेग़म
Ustad Amjad Ali Khan Birthday: सरोद का ज़िक्र हो और उस्ताद अमजद अली खान का नाम न आए ऐसा तो हो नहीं सकता क्योंकि उन्होंने इतने प्रयोग किए न केवल सरोद के साथ ,रागों के साथ बल्कि कुछ नए राग भी ऐसे रचे कि शास्त्रीय रागों में वो एक अलग ही मकाम रखने लगे।अमजद अली खान को यूं तो संगीत विरासत में मिला था पर उन्होंने जिस शिद्दत से संगीत की धुनों को रचा वो एक मिसाल है , यहां तक कि कुछ रागों को उन्होंने श्रद्धांजलि स्वरूप बनाया और नाम दिया जी हां महात्मा गांधी की 102 वीं जयंती पर राग बापू कौंस की रचना करके सबको अचंभित कर दिया था तो वहीं इंदिरा गांधी के लिए राग प्रियदर्शिनी रचा और राजीव गांधी को श्रद्धांजलि स्वरूप राग कमलश्री अर्पित किया , उन्होंने अपने घराने के माधुर्य को बनाए रखते हुए हरिप्रिया, सुहागभैरव, विभावकारी, चंद्रभैरव, मंदसमीर, किरणरंजनी जैसे अदभुत राग रचे तो वहीं कई बार अलग अलग जगहों की धुनों को भी अपने संगीत में पिरोया ।

उनकी पैदाइश 9 अक्टूबर 1945 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में दरबारी संगीतकार हाफिज अली खान और राहत जहां के सात बच्चों में सबसे छोटे बेटे के तौर पर हुई ,वो बंगश वंश का हिस्सा है और खान संगीतकारों की छठी पीढ़ी हैं; उनके परिवार को सरोद का जनक भी माना जाता है, आपके वालिद साहब ने तानसेन के वंशजों से संगीत सीखा था , और उन्होंने अमजद अली को भी उतनी ही बारीकी से सिखाया। जब वो पैदा हुए तो उनका नाम मासूम अली खान रखा गया था लेकिन कहते हैं कुछ वक्त बाद एक संत ने उनका नाम बदल कर अमजद अली कर दिया था शायद उन्हें आभास हो गया था कि संगीत जगत में यही नाम सितारा बनके जगमगाएगा ,महज़ पांच साल की उम्र से वो सरोद बजाने भी लगे थे और 10 साल की उम्र तक स्टेज प्रोग्राम पेश करने लगे ,तब से इस नन्हें कलाकार की उंगलियों में एक उम्दा वादक के सब गुण मौजूद थे जैसे गायक झाला ,इकहरी तान ,ख्याल के दोगुन तिगुन में बढ़त घटत की अनुपम लय कारी। वो सेनिया बंगश घराने से ताल्लुक रखते हैं जिसका माधुर्य भी उनके वादन में सुनाई देता ।

भारतीय नृत्यांगना शुभा लक्ष्मी उनकी हमसफर हैं और उनके दोनों बेटे अयान अली और अमान अली भी उनके नक्श ए क़दम पर चलकर उनका साथ देते हैं। उन्हें 1975 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया , 1991 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और 2001 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा़ गया और भी कई पुरस्कार उनके नाम हैं, उस्ताद अमजद अली खान पर गुलज़ार निर्देशित भारतीय वृत्तचित्र फिल्म उस्ताद अमजद अली खान ने 1990 में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। वो इसी तरह अपने संगीत से हमें मंत्र मुग्ध करते रहे और स्वस्थ रहे आज के दिन की मुबारकबाद के साथ यही दुआ है हमारी।

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