World Wildlife Day: “वन्य जीवन” जब आप ये नाम सुनते हैं तो आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है?….. जंगल?, जीव?, पहाड़?, पानी? या कुछ और?
हमारे दिमाग में क्या आता है, पता है? “मध्यप्रदेश”
ऐसा क्यों, जानते हैं आप? आइये जानते हैं!!
भारत के ह्रदय में बसा यह राज्य सभी प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण है.उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान राजस्थान से घिरे रहने के कारण इसकी आभा और दिव्य हो जाती है. कुल मिला कर वसुधैव कुटुम्बकम का एक सटीक उदाहरण है हमारा मध्यप्रदेश।
चलिए अब विषय पर आते हैं. वन्य जीव पर. 2011 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में दर्ज वनक्षेत्र 94,689 वर्ग किमी हैं जोकि राज्य के कुल क्षेत्र का 30.72% हैं, और भारत में स्थित कुल वनक्षेत्र का 12.30% है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इन क्षेत्र को “आरक्षित वन” (65.3%), “संरक्षित वन” (32.84%) और “उपलब्ध वन” (0.18%) में वर्गीकृत किया गया है। यह वन, राज्य के उत्तरी और पश्चिमी भागों में कम घना है क्योकि यहाँ राज्य के प्रमुख शहर है. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वनक्षेत्र हैं, इसीलिए यहाँ बाँधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, सतपुड़ा राष्ट्रीय अभ्यारण्य, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, माधव राष्ट्रीय उद्यान, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, पेंच राष्ट्रीय उद्यान, डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान, पालपुर कुनो राष्ट्रीय उद्यान सहित 11 राष्ट्रीय उद्यान हैं. साथ ही यहाँ की विंध्य की धरती भी अपना ख़ास महत्व रखती है. क्योकि प्रदेश के तीन टाइगर रिज़र्व जैसे बांधव गढ़ नेशनल पार्क, संजय दुबरी और पन्ना टाइगर रिज़र्व विंध्य में ही मौजूद हैं. विंध्य की खासियत ये भी है कि यहाँ के जंगलों में दुनिया के सबसे दुर्लभ बआहों की ब्रीड यानी सफ़ेद बाघ पाया जाता रहा है. और दुर्लभ हो चुके गिद्ध भी यहाँ संरक्षित हैं.
बता दें कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ कहीं पाए जाते हैं तो वो जगह मध्यप्रदेश ही है. भारत की बात छोड़िए रूस, अमेरिका, इंडोनेशिया से भी ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश के जंगलों में संरक्षित हैं. और इसिलए मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है. लेकिन मध्यप्रदेश की पहचान सिर्फ टाइगर से नहीं बल्कि कई वन्य प्राणियों से भी है. जिनमे सबसे पहला नाम चीता का है. जबसे यहाँ दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाया गया है तबसे इस राज्य को चीता स्टेट के नाम से बुलाया जाने लगा है. जानकारी के लिए बता दें कि इन चीतों के कुनबे के आने से पहले भारत में आखिरी चीता भी मध्यप्रदेश में ही देखा गया था. भारत से चीतों की प्रजाति के विलुप्त होने के 70 साल बाद नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका के चीतों को भारत लाने का निर्णय लिया गया जिसके लिए एक सर्वे कराया गया कि वहाँ के चीतों के लिए भारत के किस राज्य का वातावरण सबसे अनुकूल है? तो सर्वे में नाम मध्यप्रदेश का आया.
एलीगेटर स्टेट
टाइगर और चीता स्टेट होने के साथ-साथ हमारा मध्यप्रदेश घड़ियाल स्टेट भी है. यहाँ घड़ियालों जिसे अंग्रेजी में एलीगेटर के नाम से भी जानते हैं, इनकी कुल संख्या 1876 के करीब है. मध्यप्रदेश के सीधी-शहडोल इलाकों में और ग्वालियर के कुछ इलाकों में सोन घड़ियाल की प्रजाति भी देखने को मिलती है.
लेपर्ड स्टेट
इस लिस्ट में तीसरा नाम तेंदुए का आता है. तेंदुआ एक रहस्यमय प्राणी है, जो गरिमा का अनुभव प्रदान करता है और भारत में अपने क्षेत्र में बढ़ते खतरों का सामना कर रहा है। उनके प्राकृतिक आवास को नुकसान, मानव-वन्यजीव संघर्ष और अवैध शिकार के बीच, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने तेंदुए की आबादी के आकलन के पांचवें चक्र का आयोजन किया, जिससे इन मायावी बड़ी बिल्लियों की स्थिति और प्रवृत्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई। बता दें कि देश में तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या 3907 मध्यप्रदेश में है। जो भारत के किसी भी अन्य राज्य से कहीं ज्यादा है.
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वुल्फ स्टेट
टाइगर स्टेट, चीता स्टेट, घड़ियाल स्टेट, तेंदुआ स्टेट के साथ-साथ मध्य प्रदेश को भेड़िया स्टेट का भी तमगा मिला है. प्रदेश में लगातार वन्यजीवों की संख्या बढ़ रही है। मध्यप्रदेश में टाइगर, लेपर्ड, घड़ियाल और वल्चर सबसे अधिक हैं। इसी कारण मध्यप्रदेश को यह तमगा भी मिला हुआ है। अब प्रदेश में, जब भेड़िया की गिनती की गई तो यहां सर्वाधिक भेड़िये भी पाए गए हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 772 भेड़िए मिले हैं।
वल्चर स्टेट
बता दे कि इस लिस्ट में आखिरी नाम गिद्ध का है. अन्य जीवों की तरह गिद्ध के मांमले में भी मध्य प्रदेश शीर्ष पर हैं. वनविभाग के ताजा आंकड़ों की बात करें तो इनकी संख्या अब दस हज़ार से भी अधिक की हो गई है. आपको बता दें कि यह वही प्रजाति है जो भारत से विलुप्त होने के कागार पर खड़ी थी. लेकिन अब देश के इन सफाई दूतों की संख्या और स्थिति दोनों में सुधार हो रहा है.
हमने अबतक जो आपको बताया वो मध्यप्रदेश के वन्यजीवन का दर्शन था. जिसकी स्थिति दिन प्रतिदिन और बेहतर होती जा रही है. अगर आपको याद हो तो हमने आपसे प्रारम्भ में पूछा था कि वन्य जीवन का नाम सुनकर आकपो किसकी याद आती है? हमारा जवाब तो आपको पता ही है पर हमें भी पुरा यकीन है कि इस वीडियो को देखने के बाद आप भी जब वन्य जीवन का नाम सुनेंगे तो आपके भी दिमाग में जो पहला शब्द आएगा वो मध्यप्रदेश ही होगा.
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